पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर में शिक्षा को कारोबार बना चुके कुछ स्कूल इस वर्ष कापी-किताब से लेकर यूनिफार्म तक बेचने की तैयारी में रहे, उन्होने लाखों रुपए का माल भी बुलवाकर रख लिया, वे अपना माल बेचते इससे पहले कलेक्टर इलैयाराजा टी द्वारा जारी किए आदेश ने ऐसे निजी स्कूल प्रबंधन के बीच खलबली मचा दी है, कलेक्टर द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि शहर के सभी निजी स्कूलों द्वारा सूचना पटल पर बच्चों की सुविधा के लिए कम से कम पांच विक्रेताओं के नाम अंकित करे, जहां से वे कापी किताबें, यूनिफार्म खरीद सके, वहीं पुस्तक विक्रे ताओं को भी कहा है कि वे किसी को पेन, कापी कवर या अतिरिक्त सामग्री खरीदने के लिए बाध्य न करे.
बताया जाता है कि जबलपुर में निजी स्कूलों द्वारा फीस के नाम पर बच्चों के अभिभावकों से लाखों रुपए वसूले जा रहे है, यह बात तो आम हो चुकी है, यहां तक कि कुछ स्कूल प्रबंधन द्वारा प्रतिमाह लगने वाली फीस के अलावा भी अन्य तरह के शुल्क वसूले जाते है. दो वर्ष तक कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल संचालकों को थोड़ा बहुत घाटा सहना पड़ा लेकिन इस वर्ष वे कोरोना कॉल के घाटे की भरपाई करने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहे है, यहां तक कि शहर के एक बड़े नामचीन स्कूल ने तो स्वयं ही यूनिफार्म, कापी, किताब बेचने की तैयारी कर ली, यहां तक कि लाखों रुपए का माल बुलाकर स्टॉक लिया, स्कूल के टीचरों को कह दिया गया था कि अपनी क्लास के बच्चों को वाट्सएप के जरिए यह सूचना भी दे दी जाए कि कापी-किताब स्कूल से ही खरीदे, इस तरह से लाखों रुपए वसूलने की तैयारी में जुटे स्कूल प्रबंधन की साजिश पर उस वक्त पानी फिर गया जब कलेक्टर इलैयाराजा टी ने आज एक आदेश जारी कर दिया है कि शहर के सभी निजी स्कूलों द्वारा अपने यहां सूचना पटल पर कम से काम पांच पुस्तक विक्रेताओं के नाम की सूची प्रदर्शित करे ताकि अभिभावकों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो, वे अपने हिसाब से दुकान पहुंचकर कापी किताब व यूनिफार्म खरीद सके. यहां तक कि पुस्तक विक्रेताओं को भी कहा है कि वे किसी भी बच्चे के अभिभावकों को कापी-किताब के अलावा अन्य सामग्री जैसे कापी कवर, कम्पास बाक्स, अन्य उपकरण दबाव न बनाए, इस तरह की शिकायत यदि मिलती है तो वैधानिक कार्यवाही की जाएगी. कलेक्टर इलैयाराजा टी ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि स्कूल प्रबंधन द्वारा कक्षावार ली जाने वाली फीस व स्कूल में कक्षावार उपयोग में आने वाली पुस्तकों की सूची जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में उपलब्ध कराए.
पुस्तक विक्रे ताओं से मिलता है लाखों रुपए कमीशन-
गौरतलब है कि शहर के कुछ बड़े स्कूलों की पुस्तकें भी एक निर्धारित दुकान में ही मिलती रही, इसके अलावा अभिभावक शहर भर में घूम ले तो वे पुस्तक प्राप्त नहीं होती है, इसके लिए पुस्तक विक्रेताओं से कमीशन के रुप में स्कूल प्रबंधन द्वारा लाखों रुपए लिए जाते है, इसके बाद पुस्तक विक्रेताओं को फायदा होता रहा. लेकिन इस बात कलेक्टर के आदेश के अनुसार हर स्कूल को कम से कम पांच पुस्तक विक्रेताओं के नामों की सूची देना होगी कि बच्चे इन दुकानों से खरीददारी कर सके, ऐसे में स्कूल प्रबंधन को मिलने वाले लाखों रुपए के कमीशन में कमी आना संभावित है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर में नाबालिग प्रेमिका के गर्भवती होते ही प्रेमी ने शादी से किया इंकार..!
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