नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को पीएम केयर्स फंडकी वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. देश की सबसे बड़ी अदालत की ओर से सुनवाई करने से इनकार के बाद याचिकाकर्ता को अपनी याचिका वापस लेनी पड़ गई. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इस संबंध में सलाह देते हुए कहा कि अगर याचिकाकर्ता चाहे तो सुनवाई के लिए दिल्ली हाई कोर्ट जाकर अपनी याचिका लगा सकता है.
पीएम केयर्स फंड की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहे तो दिल्ली हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है. फिलहाल याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अपनाी याचिका वापस ले ली.
इससे पहले पिछले साल सितंबर में एक सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा गया था कि प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपात राहत कोष ‘पीएम केयर्स’ भारत सरकार का फंड नहीं है और इसकी तरफ से एकत्र किया गया धन भारत की संचित निधि में भी नहीं जाता.
पीएम केयर्स न्यास में मानद आधार पर काम कर रहे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में अवर सचिव ने कोर्ट से बताया कि ट्रस्ट पारदर्शिता के साथ काम करता है और लेखा परीक्षक उसकी निधि की लेखा परीक्षा करता है. यह लेखा परीक्षक भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की ओर से तैयार किए गए पैनल का चार्टर्ड अकाउंटेंट होता है.
पीएम केयर्स फंड को लेकर विपक्ष लगातार हमला करता रहा है. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने आईं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 8 फरवरी को अपने भाषण में कहा था, योगी आदित्यनाथ कह रहे हैं कि उन्होंने चार लाख करोड़ रुपये का निवेश कराया है. वह रुपया कहां गया? क्या आपने उसे पीएम केयर्स फंड में भेज दिया है, उसका तो ऑडिट भी नहीं होगा.
उन्होंने कहा, अगर हम मुख्यमंत्री राहत कोष का पैसा किसी दुखी विद्यार्थी या मां-बहन को देते हैं तो आप सीबीआई को भेज देते हैं और पीएम केयर्स फंड में आपने सरकार के अधिकारियों, कर्मचारियों और विभिन्न संगठनों और कंपनियों से लाखों करोड़ों रुपए लिए लेकिन उसका ऑडिट नहीं किया जाएगा. किसी को पता ही नहीं चलेगा कि वह पैसा कहां से आया और कहां गया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर बोला सुप्रीम कोर्ट: हिजाब का परीक्षा से कोई लेना देना नहीं
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