नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि परीक्षा का हिजाब से कोई लेना-देना नहीं है. दरअसल, अदालत ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर लगे बैन को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग का जिक्र करते हुए ये बात कही. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई की मांग करने वाली अपनी याचिका का उल्लेख किया. हाईकोर्ट द्वारा हिजाब पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था.
वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने कहा कि परीक्षाएं 28 मार्च से शुरू हो रही हैं. लेकिन अधिकारी हिजाब पहनने वाली छात्राओं को शैक्षणिक संस्थानों में एंट्री नहीं दे रहे हैं. इस वजह से छात्रों का एक साल बर्बाद हो सकता है. इस पर चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा, परीक्षा का हिजाब मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है.’ कोर्ट ने वकील से इस मुद्दे को सनसनीखेज नहीं बनाने को भी कहा. पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अपील को होली की छुट्टी के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा.
कुछ याचिकाकर्ताओं ने कर्नाटक सरकार के फैसले को बरकरार रखने के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. सरकार के आदेश के मुताबिक, स्कूलों और कॉलेजों में ड्रेस कोड का सख्ती से पालन करना है. सुप्रीम कोर्ट में की गई एक अपील में कहा कि सरकारी अधिकारियों के सौतेले व्यवहार ने छात्रों को अपने विश्वास का पालन करने से रोका है. इसकी वजह से कानून-व्यवस्था में परेशानी देखने को मिली है. अपील में कहा गया है कि हाईकोर्ट का आदेश पूरी तरह से विफल रहा है. इसने स्थिति की गंभीरता के साथ-साथ भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत निहित आवश्यक धार्मिक प्रथाओं के मूल पहलू को नहीं समझा.
हिजाब विवाद की शुरुआत इस साल जनवरी में शुरू हुई थी, जब उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज ने कथित तौर पर हिजाब पहनकर आईं छह लड़कियों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी. इसके बाद प्रवेश नहीं दिए जाने को लेकर छात्राएं कॉलेज के बाहर धरने पर बैठ गईं. इसके बाद उडुपी के कई कॉलेजों के लड़के भगवा स्कार्फ पहनकर क्लास अटेंड करने लगे. यह विरोध राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया और कर्नाटक में कई स्थानों पर विरोध और आंदोलन हुए. नतीजतन, कर्नाटक सरकार ने कहा कि सभी छात्रों को ड्रेस कोड का पालन करना चाहिए. इसने कहा कि जब तक एक विशेषज्ञ समिति ने इस मुद्दे पर फैसला नहीं कर लेता, तब तक हिजाब और भगवा स्कार्फ दोनों पर प्रतिबंध लगाया जाता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के बाद आज मुस्लिम संगठन ने बुलाया बंद
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