महाराष्ट्र के 6 लाख से अधिक किसानों को राज्य सरकार ने दिया बड़ा झटका, एमएसपी पर नहीं मिला बोनस

महाराष्ट्र के 6 लाख से अधिक किसानों को राज्य सरकार ने दिया बड़ा झटका, एमएसपी पर नहीं मिला बोनस

प्रेषित समय :10:58:22 AM / Mon, Mar 28th, 2022

मुंबई. महाराष्ट्र के लगभग 6 लाख किसानों को राज्य सरकार ने बड़ा झटका दे दिया है. इस बार यानी खरीफ मार्केटिंग सीजन 2021-22 में यहां पर धान उत्पादकों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बोनस नहीं मिला है. जबकि पिछले कुछ वर्षों से यहां के किसानों को एमएसपी पर बोनस दिया जा रहा था. साल 2020 में भी किसानों को तय एमएसपी से 700 रुपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त दाम बोनस के रूप में दिया गया था. राज्य सरकार के इस फैसले को लेकर किसानों में गुस्सा है और अब कृषि मंत्री को इस बारे में जवाब नहीं देते बन रहा है. यहां पर 20 मार्च तक सिर्फ 13.36 लाख मिट्रिक टन धान की खरीद हुई है जो पिछले दो साल में सबसे कम है. यहां के किसानों को 13 मार्च तक धान की एमएसपी के रूप में 2618 करोड़ रुपये मिले हैं, लेकिन यह उनकी उत्पादन लागत से भी कम है.

सवाल ये है कि आखिर एमएसपी मिलने पर भी महाराष्ट्र के किसानों के लिए धान की खेती क्यों घाटे का सौदा है. क्यों उन्हें एमएसपी पर बोनस की दरकार है वो भी 700 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक. हमने इसका जवाब तकनीकी पहलुओं के जरिए तलाशने की कोशिश की. दरअसल, केंद्र सरकार ने 2021-22 के लिए धान की औसत उत्पादन लागत को प्रति क्विंटल 1293 रुपये माना है. उस पर 50 परसेंट लाभ जोड़कर इसका एमएसपी 1940 रुपये क्विंटल तय किया गया है. जबकि महाराष्ट्र में प्रति क्विंटल धान की लागत 2971 रुपये प्रति क्विंटल आती है. यह देश में सबसे अधिक है. इस बात की तस्दीक खुद कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ने की है. इसलिए यहां के किसानों को बोनस न मिले तो उन्हें भारी घाटा होगा.

महाराष्ट्र के किसान नेता एवं पूर्व विधायक वामनराव चतप ने टीवी-9 डिजिटल से बातचीत में कहा कि किसानों ने धान की एमएसपी पर कम से कम 700 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने की मांग की थी. लेकिन सरकार ने अब तक एक भी रुपये नहीं दिए. हम बोनस इसलिए मांग रहे हैं क्योंकि हमारे यहां धान की उत्पादन लागत सबसे ज्यादा है. उन्होंने बताया कि कोंकण के चार और विदर्भ के पांच जिलों और नासिक के कुछ हिस्सों में धान की खेती होती है. बोनस न मिलने की वजह से भंडारा, गोदिया, गढचिरौली, चंद्रपुर, नागपुर का कुछ हिस्सा, रायगढ, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग एवं पालघर के किसान ठगे हुए महसूस कर रहे हैं. उधर, कुछ महीने पहले महाराष्ट्र के शिवसेना सांसद कृपाल तुमाने ने 1000 रुपये प्रति क्विंटल बोनस की मांग उठाई थी.

किसी के भी मन में यह सवाल उठ सकता है कि जब महाराष्ट्र में धान उत्पादन इतना महंगा है तो फिर इसकी खेती छोड़कर किसान दूसरी फसल क्यों नहीं लगाते. इसका जवाब महाराष्ट्र के किसान नेता डॉ. अज‍ित नवले देते हैं. उनके मुताबिक यहां के किसान मजबूरी में धान की खेती कर रहे हैं. धान की ज्यादातर पैदावार आदिवासी और उन क्षेत्रों में हो रही है जहां बारिश ज्यादा होती है. उन स्थानों पर, प्याज, सोयाबीन और कपास की फसल नहीं हो सकती. धान की उत्पादकता भी कम है.

इस बारे में हमने महाराष्ट्र के कृषि मंत्री दादाजी भुसे से बातचीत की. उन्होंने कहा, यह अलग डिपार्टमेंट का मामला है. विधानसभा में यह विषय आया था. आने वाले समय में धान उत्पादक किसानों को बोनस की बजाय रकबा के हिसाब से अनुदान देने की योजना पर विचार चल रहा है. किसान जितना धान उपजाएंगे उस हिसाब से उन्हें सरकारी सहायता दी जाएगी. इस साल बोनस मिला है या नहीं मुझे सही-सही जानकारी नहीं है. पता करके बताता हूं. हालांकि, विधानसभा सत्र में सरकार ने तर्क दिया था कि पड़ोसी राज्य से भी धान हमारे पास आता है और वे बोनस भी मांगते हैं. इसलिए सरकार पैसा सीधे अपने धान उत्पादकों के खाते में जमा करना चाहती है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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