काठमांडू. एम्स में पढ़ाई करने वाले नेपाल के नेत्र चिकित्सक डॉ. संदुक रुइत ने मोतियाबिंद के ऑपरेशन की लागत को 90 प्रतिशत तक कम कर दिया है. वह हर हफ्ते 2,500 मरीजों का इलाज करते हैं और उन लोगों का मुफ्त इलाज करते हैं, जो उसकी फीस नहीं चुका सकते हैं. उनकी परोपकारी सेवाओं के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने डॉ. संदुक रुइत को पद्म श्री से सम्मानित किया था. नेपाल में बहुत से लोग जिनमें से अधिकांश गरीब हैं, डॉ. रुइत के मुफ्त इलाज से लाभान्वित हुए हैं.
डॉ. संदुक रुइत ने काठमांडू में तिलगंगा नेत्र विज्ञान संस्थान की स्थापना की है. नियमित रूप से इस हिमालयी देश के ऊंचे पहाड़ों और तराई की निचली भूमि के दूरदराज के गांवों का दौरा करते हैं. वे अपने साथ विशेषज्ञों की एक टीम और उपकरण लेकर गांवों में मोतियाबिंद की सर्जरी को अंजाम देते हैं. उनके इलाज से केवल नेपाल के नहीं वरन भारत के लोग भी फायदा उठाते हैं.
लुंबिनी में मायादेवी मंदिर के ठीक बगल में जहां 2,600 साल से भी पहले भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, उनका शिविर लगता है. वहां सैकड़ों लोग एक अस्थायी अस्पताल के बाहर लाइन में खड़े रहते हैं. उनको ये उम्मीद रहती है कि डॉ. रुइत उनकी आंखों की रोशनी फिर से वापस लौटा सकते है. वहां पर भगवा वस्त्र पहने बौद्ध भिक्षु, बूढ़े किसान और गृहिणियां इस उम्मीद में पहुंचते हैं कि वे फिर से दुनिया को देखने में सक्षम हो पाएंगे. क्योंकि नेपाल के प्रसिद्ध नेत्र सर्जन डॉ. संदुक रुइत अपनी अभिनव और सस्ती मोतियाबिंद सर्जरी के साथ वहां उनका इलाज करने के लिए समय-समय पर आते हैं. उन्हें इसके लिए कई पुरस्कार भी दिए गए हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-नेपाल की ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता भूमिका श्रेष्ठ को इंटरनेशनल वूमेन ऑफ करेज पुरस्कार
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