नजरिया. पंजाब में दो बातें साफ हो गई हैं, एक- जनता ने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू, दोनों के सियासी दबाव से कांग्रेस को मुक्ति दिला दी है और दो- सीटों के हिसाब से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ही मैदान में बची हैं, लिहाजा यदि सियासी दबाव से मुक्त पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बना, तो लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस अपने सियासी नुकसान को कम कर सकती है?
खबरों की मानें तो 2024 के मद्देनजर पंजाब में कांग्रेस किसी सांसद को पार्टी अध्यक्ष बना सकती है. खबरों पर भरोसा करें, तो कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए प्रदेश कमेटी की तरफ से भेजे नामों में सांसद रवनीत बिट्टू, चौधरी संतोख सिंह के नाम हैं, तो विधायक अमरिंदर राजा वड़िंग, सुखजिंदर रंधावा के भी नाम शामिल हैं, जबकि नवजोत सिद्धू की दावेदारी भी बरकरार है. पंजाब में कांग्रेस की सबसे बड़ी समस्या गुटबाजी की है, जिसके चलते ही इस बार चुनाव में कांग्रेस को खासा नुकसान हुआ है.
याद रहे, इसी गुटबाजी के कारण पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई और 2017 की 77 सीटों के सापेक्ष इस बार 18 सीटों पर संतोष करना पड़ा है. देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस नेतृत्व किस तरह से सियासी दबाव से मुक्त होकर निर्णय लेता है और पंजाब में कमजोर पड़ा सियासी आधार कैसे फिर से मजबूत करता है?
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