नजरिया. क्या बिहार में सियासी शतरंज से थक गए हैं- सीएम नीतीश कुमार?
शायद, हां!
पल-पल इंडिया (28/3/2022) के राजनीतिक विश्लेषण- नीतीश कुमार को पांच साल, लेकिन उद्धव ठाकरे को ढाई साल भी नहीं, काहे? में कहा था कि.... मोदी टीम उसी दल के साथ रहती है, आगे जाकर जिसका सियासी रास्ता बंद हो, बिहार में नीतीश कुमार के बाद जेडीयू को आगे बढ़ानेवाला कोई बड़ा और असरदार नेता नहीं है, मतलब- नीतीश कुमार के बाद जेडीयू के वोट बैंक सहित पार्टी का ज्यादातर हिस्सा बीजेपी के सियासी खाते में जा सकता है? जबकि, महाराष्ट्र में अभी उद्धव ठाकरे तो ताकतवर हैं ही, उनके बाद भी शिवसेना का असरदार अस्तित्व बना रहेगा, अर्थात- शिवसेना कभी मोदी टीम के नियंत्रण में नहीं आएगी!
बिहार में कहने को नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू-बीजेपी की संयुक्त सरकार है, वहां बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है, बावजूद इसके बीजेपी का मुख्यमंत्री नहीं है, क्योंकि सत्ता की सियासी चाबी नीतीश कुमार के पास है.
बीजेपी जानती है कि नीतीश कुमार को हटाया, तो सत्ता हाथ से निकल जाएगी, पर उधर, नीतीश कुमार भी सत्ता का समीकरण साधते-साधते थक चुके हैं, लिहाजा वे भी इस सियासी चक्रव्यूह से बाहर निकलना चाहते हैं?
नतीजा यह है कि.... 30 मार्च को बिहार विधानसभा में अपने चेंबर में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में नीतीश कुमार ने जो कुछ भी कहा उससे यही झलक रहा है कि बिहार की राजनीति करवट ले रही है, इसलिए शायद बिहार की सत्ता और सियासत पर बीजेपी के कब्जे की राजनीतिक प्रक्रिया शुरू हो रही है?
उल्लेखनीय है कि अब बिहार विधानसभा में 77 विधायकों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है, लिहाजा बीजेपी-जेडीयू साथ रहते हैं, तो सरकार को कोई खतरा नहीं है!
नए सियासी माहौल में यह कयास लगने लगे हैं कि बीजेपी नीतीश कुमार को उप-राष्ट्रपति बनाने का ऑफर देकर बिहार में अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहती है?
जेडीयू को साथ रखने के लिए जेडीयू के दो उप-मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं!
खबरों की मानें तो नीतीश कुमार ने कहा था कि- वह बिहार विधानसभा, विधान परिषद, लोक सभा के सदस्य रह चुके हैं, केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं, राज्यसभा अब तक नहीं गए हैं?
मतलब.... नीतीश कुमार राज्यसभा जाने की इच्छा रखते हैं!
यह संभव है कि राज्यसभा जाकर नीतीश कुमार केंद्र सरकार में मंत्री बन जाएं या बीजेपी उन्हें उप-राष्ट्रपति पद दे दे?
सियासी सयानों का मानना है कि नीतीश कुमार को बीजेपी केंद्रीय मंत्री तो बना सकती है, लेकिन उप-राष्ट्रपति जैसा पद किसी विशेष परिस्थिति में ही ऑफर कर सकती है!
नीतीश कुमार को पांच साल, लेकिन उद्धव ठाकरे को ढाई साल भी नहीं, काहे?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बिहार: मैट्रिक की परीक्षा में 79.88 % परीक्षार्थी पास, औरंगाबाद की रामायणी बनीं टॉपर
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