केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- प्रमोशन में आरक्षण रद्द किया तो लाखों सरकारी कर्मचारी होंगे प्रभावित

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- प्रमोशन में आरक्षण रद्द किया तो लाखों सरकारी कर्मचारी होंगे प्रभावित

प्रेषित समय :11:10:18 AM / Thu, Mar 31st, 2022

नई दिल्ली. सरकारी नौकरियों में कर्मचारियों को प्रमोशन में मिलने वाले आरक्षण का केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुरजोर बचाव किया है. सरकार ने कोर्ट में बताया कि 2007 से लेकर 2020 तक लगभग साढ़े चार लाख कर्मचारियों को इस नीति का लाभ दिया गया है. अगर इस नीति को वापस लिया जाता है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे. कर्मचारियों के पदों में भारी फेरबदल करने होंगे. उनकी सैलरी में बदलाव करना होगा. रिटायर हो चुके कर्मचारी तक इससे प्रभावित होंगे. उनकी पेंशन में अंतर आ जाएगा. कर्मचारियों को दी गई अतिरिक्त सैलरी की रिकवरी करनी पड़ जाएगी. कुल मिलाकर ये कि प्रमोशन में कोटा खत्म किए जाने से कर्मचारियों में अशांति फैल सकती है.

केंद्र सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण सिस्टम को खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के 2017 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके अपनी नीति का बचाव किया. सरकार ने कहा कि यह नीति संविधान के प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट की तरफ दिए गए आदेशों के अनुरूप है. इसमें सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और जनजाति आदि के प्रतिनिधित्व का पूरा ख्याल रखा गया है. सरकार का कहना था कि एससी-एसटी जाति के कर्मचारियों को तरक्की में आरक्षण से प्रशासनिक कामकाज पर असर नहीं पड़ता क्योंकि इस कोटे का लाभ सिर्फ उन्हीं को मिलता है, जो परफॉर्मेंस के निर्धारित मानकों को पूरा करते हैं और इस लायक पाए जाते हैं.

सरकार ने 75 केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों का डाटा भी सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा. इसमें बताया गया कि सरकार के इन विभागों-मंत्रालयों में कर्मचारियों की कुल संख्या 27,55,430 है. इनमें से 4,79,301 कर्मचारी एससी हैं जबकि एसटी कर्मियों की संख्या 2,14,738 है. ओबीसी तबके से आने वाले कर्मचारियों की तादाद 4,57,148 है. प्रतिशत में देखें तो ये आंकड़ा एससी का 17.3, एसटी का 7.7 और ओबीसी का 16.5 फीसदी है.

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर प्रमोशन में कोटा खत्म होता है तो एससी-एसटी कर्मचारियों को दिए गए लाभ वापस लेने पड़ेंगे. इससे कर्मचारियों को उनके मूल पद पर वापस भेजना पड़ेगा. उनकी सैलरी को फिर से तय करना होगा. जो कर्मचारी इस दौरान रिटायर हो गए हैं, उनकी पेंशन भी फिर से फिक्स करनी होगी. मौजूदा कर्मचारियों और पेंशनरों को जो अतिरिक्त पैसा अब तक मिला होगा, उसकी रिकवरी की जाएगी. इससे मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी और कर्मचारियों में असंतोष फैल जाएगा.

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