पंजाब में आम आदमी की सरकार फंसी मुश्किल में, गेहूं खरीद एजेंसियां गईं हड़ताल पर

पंजाब में आम आदमी की सरकार फंसी मुश्किल में, गेहूं खरीद एजेंसियां गईं हड़ताल पर

प्रेषित समय :10:47:42 AM / Wed, Apr 13th, 2022

चंडीगढ़. पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार पहली बड़ी मुश्किल में फंस गई है. वह भी किसानों के संवेदनशील मसले पर. दरअसल, इस वक्त गेहूं की खरीद का सीजन चल रहा है. मगर ऐन मौके पर पंजाब की खरीद एजेंसियां हड़ताल पर चली गईं हैं. इससे राज्य सरकार के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है. खबरों के मुताबिक पनग्रेन, पंजाब वेयरहाउस कॉरपोरेशन और मार्कफेड ने मंगलवार, 12 अप्रैल के दोपहर बाद से गेहूं की खरीद रोक दी है.

बरेटा मंडी की कच्चा आढ़तिया एसोसिएशन के अध्यक्ष जतिंदर गर्ग ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि इस बार मंडियों में आ रहे गेहूं में टूटे दाने और झूरे का प्रतिशत 13 से 21 तक है. कई इलाकों में जहां पानी की उपलब्धता अच्छी थी, वहां से आ रहे गेहूं में भी टूटे दाने और झूरे की मात्रा 12-13% है. जबकि भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने यह मात्रा 6% तक तय की है. इसी से दिक्कत है. राज्य की खरीद एजेंसियों की समन्वय समिति के अध्यक्ष विनय कुमार भी कहते हैं, ‘जो गेहूं आ रहा है, वह केंद्र के तय दिशा-निर्देशों के अनुरूप नहीं है. इसलिए केंद्र की खरीद एजेंसी- एफसीआई लगातार बड़े पैमाने पर गेहूं के नमूने खारिज कर रही है. इससे राज्य की एजेंसियों को परेशानी आ रही है. इसीलिए हमने फैसला किया है कि जब तक इस मसले का समाधान नहीं हो जाता, केंद्र की ओर से नए दिशा-निर्देश जारी नहीं हो जाते, राज्य की एजेंसियां गेहूं नहीं खरीदेंगी.’

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने केंद्र से आग्रह किया है कि वह इस बार की परिस्थितियों को देखते हुए गेहूं में टूटे दाने और झूरे के प्रतिशत संबंधी मापदंड में कुछ राहत दे. लेकिन अब तक केंद्र ने इस पर फैसला नहीं किया है. इस संबंध में भारतीय किसान यूनियन डकौंदा के महासचिव जगमोहन सिंह डकौंदा कहते हैं, ‘यह एक और प्रमाण है इस बात का कि केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद से दूर भागने की कोशिश कर रही है.  

जानकार बताते हैं कि खाद्यान्न की खरीद पंजाब में हमेशा से एक बड़ा राजनीतिक और संवेदनशील मुद्दा रहा है. इसका अगर सही समय पर ठीक से समाधान नहीं हुआ तो किसान भड़क सकते हैं. वे राज्य की आप सरकार के खिलाफ आंदोलन का मोर्चा भी खोल सकते हैं. अपने पहले ही खरीद सीजन का सामना कर रही आप सरकार के लिए यह बड़ा झटका होगा. हालांकि पंजाब की भगवंत मान सरकार भी मुद्दे की संवेदनशीलता को समझ रही है. इसलिए उसने तुरंत केंद्र से इस मसले में दखल देने का आग्रह किया है. उसकी ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि केंद्र ने भी आग्रह पर विचार करते हुए विशेषज्ञों की 5 टीमें बना दी हैं. ये 15 जिलों में मौके पर पहुंचकर गेहूं की गुणवत्ता और अन्य स्थितियों का जायजा लेकर अपनी रिपोर्ट देंगी. उसके आधार पर अगला फैसला किया जाएगा. इसके साथ ही पंजाब सरकार ने अपनी ओर से राज्य की खरीद एजेंसियों के प्रतिनिधियों से बातचीत भी शुरू की है. एक दौर की वार्ता हो चुकी है. हालांकि इसमें अभी कोई समाधान नहीं निकला है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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