पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बुल्डोजर कार्रवाई के खिलाफ लगी याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता न तो पीडि़त है और न ही पीडि़त से कोई सीधा संबंध है, इसलिए मामला सुनवाई योग्य नहीं है.
एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस पीके कौरव की युगल बैंच ने तर्को के साथ तर्को के साथ याचिका निरस्त कर दी, युगल पीठ ने कहा कि अगर किसी पीडि़त के साथ कुछ गलत हो रहा है तो वह स्वयं सामने आकर न्यायिक प्रक्रिया अपनाकर अपनी समस्या रख सकता है. अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाकर प्रदेश में बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी. याचिका में अधिवक्ता की ओर से दलील दी गई थी कि सरकार की बुलडोजर कार्यवाही से मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है. प्रदेश के आम लोगों में भय का माहौल पैदा करने की कोशिश की जा रही है.
याचिका में मप्र सरकार और डीजीपी मप्र को पक्षकार बनाया गया था. सरकार का पक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता अशीष आनंद बर्नाड ने रखा. वहीं दूसरी ओर प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि दंगाईयों के खिलाफ की गई कार्रवाई नियमों के तहत ही की गई है, हम कानून के दायरे में रहकर ही कार्रवाई कर रहे है, लोग इस बात को अच्छी तरह से समझ ले कि अगर दंगा करेगें, पत्थर फेंकेगे, अतिक्रमण करेगें तो बुल्डोजर चलेगा, वर्ग विशेष को निशान बनाए जाने के सवाल पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है वो जाति या धर्म के हिसाब से देखते हो, हम तो सब चीज कानून के हिसाब से, कानून के दायरे में रहकर कर रहे है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-गुजरात हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा खुले में पढ़ने के लिए मजबूर छात्रों का डेटा
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