मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण 35 प्रतिशत, सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद सार्वजनिक की रिपोर्ट

मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण 35 प्रतिशत, सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद सार्वजनिक की रिपोर्ट

प्रेषित समय :21:47:05 PM / Thu, May 5th, 2022

पलपल संवाददाता, एमपी. मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग रिजर्वेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद राज्य की शिवराजसिंह चौहान सरकार सकते में आ गई, आज सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद आनन-फानन पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए सरकार ने कहा कि प्रदेश में 48 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग के मतदाता है, कुल मतदाताओं में अनुसूचित जाति व जनजाति के मतदाताओं को हटा दिया जाए तो 79 प्रतिशत ओबीसी के है, इस आधार पर पिछड़ा वर्ग आयोग ने 35 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश ओबीसी के लिए की है. उक्ताशय की जानकारी पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन व नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्रसिंह ने दी. यह प्रक्रिया सिर्फ पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव को लेकर है इसका सर्विस व शैक्षणिक संस्थानों में भर्ती से कोई लेना देना नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए यह संकेत दिए थे कि एमपी में बिना ओबीसी आरक्षण पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव हो सकते है, मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार से कहा था कि ओबीसी का जो ट्रिपल टेस्ट किया है उसकी रिपोर्ट पेश करें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट को लगता है कि जजमेंट के अनुसार रिपोर्ट है तो दो सप्ताह में चुनाव कराने के लिए कहा जाएगा, लेकिन रिपोर्ट जजमेंट के अनुसार नहीं है तो ओबीसी आरक्षण के बिना ही चुनाव कराना होगे, रिपोर्ट के आधार पर तय होगा कि ओबीसी को रिजर्वेशन देना है नहीं, 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी थी, इसके बाद ही प्रदेश सरकार में खलबली मच गई और आनन फानन रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी. रिपोर्ट में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के सभी स्तरों में पिछड़ा वर्ग के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण दें, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव व नगरीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण सुनिश्चित किए जाने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए. सर्वे के बाद जनसंख्या के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग बाहुल्य जिला व ब्लॉक को अन्य पिछड़ा वर्ग बहुल क्षेत्र घोषित किया जाए.

उन क्षेत्रों में विकास की योजनाएं लागू की जाए, बस्ती विकास जैसे कार्य किए जाएं. राज्य की पिछड़ा वर्ग की सूची में जो जातियां केन्द्र की अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल नहीं है उन्हे केन्द्र की सूची में जोडऩे का प्रस्ताव केन्द्र को भेजा जाए. वहीं केन्द्र की सूची में जो जातिया एमपी की अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल नहीं है एमपी शासन द्वारा उन जाति को राज्य की सूची में जोड़ा जाए. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने यह भी संकेत दिए है कि अगर एमपी सरकार दिया गया डाटा पूर्ण नहीं होगा तो महाराष्ट्र के आधार पर यहां भी चुनाव होगें, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हैरान है कि बिना किसी प्रतिनिधि के 23 हजार पंचायत पद मध्यप्रदेश में खाली है, जिसपर प्रदेश सरकार ने कहा कि जल्द ही सरकार इस मामले में संबंधित डाटा एकत्र करेगी, सुप्रीम कोर्ट इस मामले में शुक्रवार को दोपहर दो बजे सुनवाई करेगा.  एमपी में 321 नगरीय निकाय के पद भी खाली हैं.

याचिका में कहा गया है कि समय पर चुनाव कराना निर्वाचन आयोग का संवैधानिक कर्तव्य है प्रदेश में आरक्षण सहित परिसीमन का अधिकार राज्य सरकार की बजाय चुनाव आयोग को सौंपा जाना चाहिए. मामले में सुनवाई के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से कहा गया था कि वह समय पर चुनाव कराना चाहता है लेकिन जरुरी है कि एमपी सरकार द्वारा पंचायतों के आरक्षण व परिसीमन की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाए. 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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