नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के पंचायत चुनाव से संबंधित एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. शीर्ष न्यायालय अब 10 मई को अपना निर्णय देगी. दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय का फैसला यह तय करेगा कि पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण दिया जाएगा या नहीं? उच्चतम न्यायालय उस मामले की सुनवाई कर रही है जिसमें उसने मध्य प्रदेश के राज्य निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित सीटों को फिर से सामान्य श्रेणी में अधिसूचित करने का निर्देश दिया था.
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरक्षण देने से पहले ट्रिपल टेस्ट की कसौटी को 1 हफ्ते में पूरा कर लेंगे. उन्होंने शीर्ष अदालत से कहा, "पिछड़ा वर्ग आयोग ने जो रिपोर्ट सौंपी है, उसके मुताबिक 49 फीसदी आबादी ओबीसी है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि इतनी बड़ी आबादी स्थानीय निकाय में प्रतिनिधित्व से वंचित रह जाये, लिहाजा कोर्ट थोड़ा वक़्त और दे.
तुषार मेहता ने कहा कि आयोग ने पूरे राज्य में 35 फीसदी ओबीसी आरक्षण दिए जाने की सिफारिश की है. सुनवाई ने दौरान कोर्ट ने सवाल किया कि क्या वाकई एक हफ्ते के अंदर आरक्षण दिए जाने से पहले ज़रूरी ट्रिपल टेस्ट की कवायद को पूरा कर लिया जाएगा! कोर्ट ने सरकार के रवैये पर भी सवाल खड़ा किया और कहा, कब तक इंतजार किया जाए. कायदे से पांच साल में चुनाव हो जाने चाहिए. आप दो साल पहले से लेट हैं. ये संवैधानिक विफलता ही है कि 24 हज़ार से ज़्यादा स्थानीय निकाय की सीट खाली पड़ी है.
केंद्र ने अपने आवेदन में न्यायालय से पिछले साल 17 दिसंबर के उस आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया है जिसमें मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने और फिर से सामान्य वर्ग के तहत अधिसूचित करने का निर्देश दिया गया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल 10वीं, 12वीं का रिजल्ट आज, ऐसे करें चेक
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