नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम आदेश में कहा है कि मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना ही होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 2 हफ्ते में अधिसूचना जारी करने के लिए कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले दो साल से 23000 के करीब स्थानीय निकाय के पद खाली पड़े हैं. पांच साल में चुनाव कराना सरकार का संविधानिक दायित्व है. आरक्षण देने के ट्रिपल टेस्ट को पूरा करने के लिए और वक्त नहीं दिया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह आदेश न केवल मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र राज्य और चुनाव आयोग तक सीमित है, बल्कि शेष राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों पर भी लागू होगा.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रदेश में 2 साल से इन सीटों पर पंचायत और नगर निकायों के लिए चुनाव नहीं हुए. यह राज्य में कानून के शासन का उल्लंघन है. शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह मध्य प्रदेश के लिए भी महाराष्ट्र की तरह आदेश पारित करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या उसने स्थानीय चुनाव में ओबीसी आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट मानदंडों को पूरा किया है?
मध्य प्रदेश सरकार ने अदालत से कहा था कि ओबीसी आरक्षण संबंधित डेटा का फाइनल प्रारूप तैयार करने में पखवाड़ा लग जाएगा. उम्मीद है कि आंकड़ों को तुलनात्मक अध्ययन के साथ 25 मई तक तैयार कर लिया जाएगा. लिहाजा सरकार को थोड़ा समय दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव में फिलहाल के लिए ओबीसी आरक्षण ना देने पर आसमान नहीं गिर पड़ेगा. पीठ ने संकेत दिया था कि मध्य प्रदेश सरकार के संकलित आंकड़े और सर्वेक्षण संतोषजनक नहीं होने पर राज्य में भी महाराष्ट्र के लिए तय व्यवस्था के आधार पर ही स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव संपन्न होंगे.
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