नई दिल्ली. भारत के प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने अधिकारियों को मुकेश जैन की अचल संपत्तियों को कुर्क करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिये है.
गौरतलब है कि स्वघोषित धर्मगुरु स्वामी ओम के साथ भारत के प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में याचिका को पब्लिसिटी स्टंट बताते हुए खारिज कर दिया था और प्रत्येक याचिकाकर्ता पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. मामले को 6 मई को सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध किया गया था, क्योंकि किसी भी पक्ष ने जुर्माने की राशि जमा नहीं की है.
मुकेश जैन के वकील डॉ एपी सिंह ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि स्वामी ओम की मृत्यु हो गई है और उन्हें जैन से निर्देश प्राप्त हुआ है, जिनके खिलाफ भू-राजस्व के बकाया के रूप में लागत वसूलने का निर्देश दिया गया था, ओडिशा के कटक में स्थानांतरित हो गए हैं. डॉ एपी सिंह ने अदालत को आगे बताया कि जैन के खिलाफ 4 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने एपी सिंह की दलीलें सुनने के बाद अधिकारियों को निर्देश दिया कि दिल्ली में मुकेश जैन की अचल संपत्ति को कुर्क करने के लिए कदम उठाए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मुकेश जैन का पता नहीं चलने की स्थिति में उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कटक में ट्रायल कोर्ट के माध्यम से मुकेश जैन पर आदेश तामील करने का निर्देश दिया, जहां वह वर्तमान में रहते हैं. गर्मी की छुट्टियों के बाद शीर्ष अदालत के खुलने पर इस मामले में फिर सुनवाई होगी.
स्वामी ओम और मुकेश जैन की याचिका को 2017 में खारिज करते हुए, अदालत ने नोट किया था कि इन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के शपथ ग्रहण से एक दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भले ही याचिकाकर्ताओं ने एक ठोस कानूनी प्रस्ताव उठाया था और घटना के होने से पहले अपने स्टैंड के प्रति पूरी तरह से वाकिफ थे, उन्होंने आखिरी समय में सुप्रीम कोर्ट को अस्थिर करने का फैसला किया.
सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि याचिका पूरी तरह से पब्लिसिटी स्टंट थी, जिसे स्पष्ट शब्दों में बहिष्कृत करने की आवश्यकता थी, जिससे मुकेश जैन और स्वामी ओम जैसे याचिकाकर्ता फिर से ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित न हों. सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश जैन और स्वामी ओम के इस एक्शन को अशिष्ट, गैर-जिम्मेदार और लापरवाह होने के अलावा अविवेकी और विचारहीन बताया था और दोनों को जुर्माने के तौर पर 10-10 लाख रुपये प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कराने का निर्देश दिया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी में पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 10 मई को
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