जयपुर. राजस्थान में 1 जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए सभी सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने का कानूनी प्रावधान कर दिया गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में पेंशन से जुड़े नियमों में बदलाव को मंजूरी दे दी गई है. जिसके बाद एनपीएस के तहत कर्मचारियों की कटौती को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है.
नियमों में इस बदलाव से अब इस साल अप्रैल से रिटायर होने वाले कर्मचारियों को उनकी सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन देने का कानूनी प्रावधान हो गया है. इसके लिए राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996, राजस्थान सिविल सेवा (अंशदायी पेंशन) नियम, 2005 और अलग अलग वेतनमान नियमों में बदलाव को मंजूरी दी गई है. इस फैसले से 1 जनवरी, 2004 और उसके बाद सरकारी नौकरी में आए कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर पुरानी पेंशन के हिसाब से लाभ लेने का पात्र बनाया गया है. 31 मार्च, 2022 से पहले जो कर्मचारी अपनी सेवा से एग्जिट हो गए हैं, उन्हें भी इस नियम के हिसाब से पेंशन के लाभ इस साल अप्रैल से दिए जाएंगे.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस साल के बजट में 2004 के बाद सरकारी सेवा में आने वाले कर्मचारियों-अफसरों को ओल्ड पेंशन देने की घोषणा की थी. इस घोषणा को पूरा करने के लिए पेंशन नियमों में बदलाव को मंजूरी दी गई है.
साढ़े पांच लाख से ज्यादा कर्मचारियों को फायदा होगा
प्रदेश में 1 अप्रैल 2004 के बाद सरकारी नौकरी में आने वाले कर्मचारियों की संख्या साढ़े पांच लाख से ज्यादा है जिन्हें नई पेंशन स्कीम में लिया गया था. इन कर्मचारियों को भी अब रिटायरमेंट के समय ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ मिल सकेगा.
एनपीएस की कटौती बंद
गहलोत सरकार ने 1 अप्रैल से नई पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से हर महीने बेसिक की 10 फीसदी कटौती बंद कर दी है. यह पैसा पीएफआरडीए में जमा हो रहा था. अब राज्य सरकार पुरानी पेंशन का नियमों में प्रावधान करके केंद्र सरकार की एजेंसी पीएफआरडीए से प्री मैच्योर एग्जिट के तहत जमा पैसा वापस मांगेगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-राजस्थान की सात हस्तियों को ‘जयपुर शिरोमणि अवॉर्ड’
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