जानिये कैसे आपके जीवन को हिलाकर रख सकता है कुंडली में बैठा गुरु

जानिये कैसे आपके जीवन को हिलाकर रख सकता है कुंडली में बैठा गुरु

प्रेषित समय :20:01:25 PM / Wed, May 11th, 2022

*देवगुरु बृहस्पति को सभी ग्रहों में सबसे पूजनीय स्थान मिला हुआ है. गुरु का प्रभाव अत्यधिक शुभ होता है.  गुरु  केंद्र में स्थित गुरु लाख दोष को दूर करने वाला होता है, 
*यह युक्ति सर्वत्र प्रसिद्ध है.  जिसके केंद्र स्थान में बृहस्पति स्थित हैं उसका अन्य सभी ग्रह कुछ भी नही कर सकते.
*गुरु का प्रभाव व्यक्ति को भौतिक सुख दे ना दे लेकिन आत्मिक सुख अवश्य देता है. 
*ये झूठा सुख नहींं देता वरण सच्चा व स्थाई सुख देता है.
* ये धन नही ज्ञान देता है. 
*लेकिन गुरु का कुण्डली में अशुभ होना अनेक परेशानियों को आमंत्रण भी देता है.
* जिस जातक की जन्म कुंडली में गुरु बली हो तथा लग्न पर शुभ दृष्टी प्रभाव रखता हो तो ऐसे जातक निर्मल हृदय के होते हैं.
 *ऐसे जातकों के परिवार एवं मित्रगण इन पर हमेशा गर्व करते हैं.
*जन्म कुंडली के त्रिकोण भाव में स्थित गुरु का शुभ प्रभाव व्यक्ति को मान-सम्मान देता है. ऐसे व्यक्ति जहां जाये बड़ा आदर प्राप्त करते हैं.
 *ऐसे लोग हमेशा सत्य व न्याय का पक्ष लेने वाले होते हैं.
*गुरु के प्रभाव की झलक जातक के चेहरे व शरीर से दिख जाती है. व्यक्ति के चेहरे पर तेज व चमक होती है. व्यक्ति हृष्ट-पुष्ट होता है.
–* बृहस्पति यदि जन्म कुंडली के दूसरे भाव में स्थित हो तो जातक सत्य बोलता हैं. 
*ऐसे लोगों की वाणी गम्भीर व ज्ञान से भरी होती है. प्रभावशालि वाणी होने के कारण ऐसे लोग, वकील, गुरु अथवा राजनेता के रूप में अत्यधिक सफल होते हैं.
–* गुरु का तृतीय स्थान में प्रभाव व्यक्ति के द्वारा शुभ कर्म करवाता है. ऐसे लोगों का लेखन व हस्ताक्षर बडा ही सुन्दर होता है. 
*किसी प्रकार के रचनात्मक कार्यों से जुडे होते हैं. किसी चैरिटेबल व संस्था से जुडकर भी ऐसे जातक अपने जीवन में आगे बढते हैं.
 *गुरु धन व सम्पन्नता का ग्रह है. गुरु यदि पीडित अवस्थागत हो तो जातक को धनहीन व दरिद्र बनाता है. गुरु का अशुभ प्रभाव होने पर चाहे जातक जितना भी कमा ले धन एकत्रित नहींं कर पाता.
*गुरु षष्टम और अष्टम भाव में महादशा के उपरांत गलत प्रभाव भी देता है स्वास्थ्य को लेकर जन्म कुंडली में गुरु का अनिष्ट प्रभाव अनेक रोग देता है. 
*इनमे मुख्यत: लम्बी अवधि के रोग होते हैं अथवा ऐसे रोग होते हैं जिनके कारण बार-बार डॉक्टरों को बदलना पड़ता है. मोटापा, शुगर, चर्बी के रोग, पीलीया, कंठ व फेफडों की सूजन पेट का वायु से फूलना आदि रोग होते हैं.
*अगर आपकी कुंडली में गुरु अनिष्‍ट स्‍थान में बैठा है और इसकी वजह से आपको अनेक मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है तो आप अपनी कुंडली के अशांत गुरु को शांत करने के लिए अपने गुरु ग्रह की शांति करा सकते हैं.
*गुरु यंत्र की पूजा करने से आपके घर-परिवार में सकारात्‍मकता आती है और गुरु से संबंधित सभी दोष दूर हो जाते हैं. 
*कुंडली में यदि गुरु कमज़ोर या नीच स्‍थान में बैठा हो तो उस जातक के विवाह में देरी और भाग्‍य से संबंधित समस्‍याएं आती हैं.
*गुरु विवाह का कारक है इसलिए गुरु के कमज़ोर होने पर व्‍यक्‍ति के वैवाहिक जीवन पर सबसे ज्‍यादा असर पड़ता है.
* इस दोष को दूर करने के लिए आप अपनी  कुंडली का विश्लेषण  अपने गुरु पुरोहित जी  से करवा कर उचित मार्गदर्शन ले सकते हैं और अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं.
 *गुरु को प्रसन्‍न करने के लिए अपने गुरु, माता-पिता और ब्राह्मणों का सम्‍मान करें और उनका आशीर्वाद प्राप्‍त करें.

शक्ति उपासक---आचार्य पटवाल
Shakti-Upasak Acharya Patwal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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