प्रदीप द्विवेदी. कांग्रेस के प्रमुख युवा नेता सचिन पायलट, राहुल गांधी के लिए वैसी ही सफल सियासी सारथी की भूमिका निभा सकते हैं, जैसी भूमिका अमित शाह ने नरेंद्र मोदी के लिए निभाई है!
सचिन पायलट ने राजस्थान के बीजेपी राज में कांग्रेस संगठन को जिस तरह से सक्रिय किया, उसी का नतीजा था कि वर्ष 2018 में राजस्थान में फिर से कांग्रेस की सरकार बनी, हालांकि, निजी तौर पर उन्हें, उनकी मेहनत के सापेक्ष परिणाम नहीं मिला, लेकिन वे अपनी योग्यता साबित करने में तो पूरी तरह से कामयाब रहे?
सियासत में धैर्य और समय का बहुत महत्व होता है, परन्तु इस मोर्चे पर सचिन पायलट एक बार मात खा गए, नतीजा?
उन्हें पुरानी पॉलिटिकल पोजिशन में आने में थोड़ा वक्त लग रहा है, लेकिन उस समय को पीछे छोड़ने में सचिन पायलट काफी हद तक सफल हो चुके हैं!
सचिन पायलट के समर्थक चाहते हैं कि वे राजस्थान के मुख्यमंत्री बने, वे बन भी सकते हैं, लेकिन बनने के बाद का रास्ता भी आसान नहीं है?
परन्तु, सचिन पायलट यदि केंद्र में राहुल गांधी के साथ खड़े हो जाते हैं, तो वे एक नई सियासी ताकत बनकर उभर सकते हैं!
इस वक्त पीएम नरेंद्र मोदी का सियासी जादू खत्म हो चुका है, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों के कारण जनता नाराज है, ऐसे में कांग्रेस के लिए बहुत अच्छी सियासी संभावनाएं है, लिहाजा सचिन पायलट के पास भी अच्छा अवसर है- पूरे देश में अपनी योग्यता दिखाने का?
कांग्रेस चाहे तो सचिन पायलट को अभी से लोकसभा चुनाव का प्रभारी बनाकर 2024 में कामयाबी की नई कहानी लिख सकती है!
जब तक मुसलमानों का क्षेत्रीय दलों से मोहभंग नहीं होगा, बीजेपी को कोई सियासी खतरा नहीं है? क्योंकि....
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-हरियाणा मा.शि. बोर्ड की किताब पर बवाल, कांग्रेस के 'तुष्टिकरण' से हुआ देश का बंटवारा
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