वाराणसी. ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे-वीडियोग्राफी रिपोर्ट कोर्ट द्वारा गठित आयोग ने वाराणसी कोर्ट को सौंप दी है. यह सर्वे स्पेशल कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह, दूसरे कमिश्नर अजय मिश्रा और अजय प्रताप सिंह की टीम ने 14, 15 और 16 मई को किया था. वहीं वाराणसी जिला सिविल न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर के सामने पेश की गई रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.
स्पेशल कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह की रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने के पानी को कम करने पर 2.5 फुट की एक गोलाकार आकृति दिखाई पड़ी. इसके टॉप पर कटा हुआ गोलाकार डिजाइन का एक अलग सफेद पत्थर दिखाई पड़ा, जिसके बीचों-बीच आधी इंची से कम गोलाकार का छेद था. सींक डालने पर यह 63 सेंटीमीटर गहरा पाया गया. इसकी गोलाकार आकृति की नाप की गई तो बेस का व्यास करीब चार फुट पाया गया. इस दौरान वादी पक्ष ने इसे शिवलिंग बताया तो प्रतिवादी पक्ष ने कहा कि यह फव्वारा है. इसकी पूरी पूरी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की गई, जो रिपोर्ट के साथ सील बंद है.
इसके साथ रिपोर्ट में कहा गया है कि जब अंजूमन इंतिजामिया के मुंशी एजाज मोहम्मद से पूछा गया कि यह फव्वारा कब से बंद है तो वह बोले काफी समय से बंद है. इसके बाद उनसे दोबारा पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 20 साल से बंद है. फिर इसके बाद कहा कि यह 12 साल बंद है. इसके दौरान हिंदू पक्षकारों ने सर्वे के दौरान कथित फव्वारे को चालकर दिखाने को कहा, तो मस्जिद कमेटी के मुंशी ने फववारा चलाने में असमर्थता जताई. इसके साथ रिपोर्ट में कहा गया है कि कथित फव्वारे में बीचों-बीच सिर्फ 63 सेंटीमीटर का एक छेद मिला है. इसके अलावा कोई छेद किसी भी साइड या किसी भी अन्य स्थान पर खोजने पर नहीं मिला. रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच के दौरान फव्वारे हेतु कोई पाइप घुसाने का स्थान नहीं मिला है.
इसके साथ रिपोर्ट में बताया गया है कि वजू के तालाब का नाप 33 गुना 33 फुट निकला है, जिसकी वीडियो और फोटोग्राफी की गई है. इसके बीच में सभी किनारों पर 7.5 फुट अंदर एक गोलाकार घेरा आकृति कुए की जगत नुमा पायी गई है. उसका बाहर व्यास 7 फुट 10 इंच और अंदर का व्यास करीब 5 फुट 10 इंच है. इस गोले घेरे के भीतर लगभग ढाई फुट ऊंची व बेस पर 4 फुट की व्यास की गोलाकार आकृति मिली है, जो कि पानी में डूबी थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके टॉप पर 9 गुना 9 इंच का गोलाकार सफेद पत्थर अलग से लगा था, जिस पर बीच में पांच दिशाएं बनी थीं. इस पत्थर के नीचे करीब ढाई फुट ऊंची गोलाकार आकृति एक पीस में दिख रही है, जिसकी सतह पर घोल चढ़ा हुआ प्रतीत होता है. हालांकि यह थोड़ा-थोड़ा चटका हुआ है. इस पर पानी में डूबे रहने के कारण काई जमी थी. जबकि काई साफ करने पर काले रंग की आकृति निकली. इस दौरान हिंदू पक्ष ने कहा कि यह आकृति शिवलिंग है. उनका दावा है कि अमूमन तौर पर शिवलिंग इसी आकृति के होते हैं. जबकि दूसरे पक्ष ने कहा कि यह फव्वारा है.
इसके अलावा रिपोर्ट में तहखाने के भीतर मिले साक्ष्यों का भी जिक्र किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, दरवाजे से सटे लगभग 2 फीट बाद दीवार पर जमीन से लगभग 3 फीट ऊपर पान के पत्ते के आकार की फूल की आकृति बनी थीं, जिसकी संख्या 6 थी. वहीं तहखाने में चार दरवाजे थे. हालांकि उन्हें नई ईंट लगाकर बंद कर दिया गया था. इस तहखाने में 4-4 खम्भे मिले हैं, जो पुराने तरीके के थे, जिसकी ऊंचाई 8-8 फीट थी. जबकि नीचे से ऊपर तक घंटी, कलश, फूल की आकृति पिलर के चारों तरफ बनी है. एक खम्भे पर पुरातन हिंदी भाषा में सात लाइनें खुदी हुईं, जो पढऩे योग्य नहीं थी. लगभग 2 फीट की दफती का भगवान का फोटो दरवाजे के बायीं तरफ दीवार के पास जमीन पर पड़ा हुआ था जो मिट्टी से सना हुआ था. इसके साथ रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अन्य तहखाने में पश्चिमी दीवार पर हाथी के सूंड की टूटी हुई कलाकृतियां और दीवार के पत्थरों पर स्वास्तिक, त्रिशूल और पान के चिन्ह और उसकी कलाकृतियां बहुत अधिक भाग में खुदी है. ये सब कलाकृतियां प्राचीन भारतीय मंदिर शैली के रूप में प्रतीत होती है, जो काफी पुरानी है, जिसमें कुछ कलाकृतियां टूट गई हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कड़े पहरे में पूरा हुआ ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का कार्य, की गई गुंबद की जांच और वीडियोग्राफी
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