समाजवादी पार्टी (सपा) ने पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल को समर्थन देकर राज्यसभा भेजने का फैसला किया है।कहा जा रहा है कि सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान को जमानत दिलाने में अहम भूमिका निभाने के इनाम के तौर पर उन्हें राज्यसभा भेजा जा रहा है। हालांकि, इससे पहले भी सपा के समर्थन से ही सिब्बल उच्च सदन में पहुंचे थे। आइए जानते हैं कि किन वजहों से एक बार फिर अखिलेश ने सिब्बल पर भरोसा जताया है।
करीब ढाई साल तक सीतापुर जेल में बंद रहे रामपुर के नेता आजम खान सपा और इसके अध्यक्ष से नाराज बताए जाते हैं। खुद आजम खान नाराजगी पर खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि वह कपिल सिब्बल को राज्यसभा जाते देखना चाहते हैं। सिब्बल की जमकर तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि उनके पास शुक्रिया अदा करने के लिए शब्द नहीं है। यदि सपा उन्हें राज्यसभा भेजती है तो उन्हें (आजम) सबसे ज्यादा खुशी होगी। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। इसमें एक लक्ष्य आजम के दर्द पर मरहम लगाने की भी है। अब संभव है कि कपिल सिब्बल अखिलेश व आजम में बनी दूरी को पाटे और आजम खां को इधर-उधर जाने की जरा भी संभावना को खत्म कराएं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कपिल सिब्बल ने जिस तरह सीएए-एनआरसी, बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद, तीन तलाक, बुलडोजर, हिजाब जैसे मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की ओर से वकालत की, उससे मुस्लिम समाज में उनकी स्वीकार्यता बढ़ी है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि कपिल सिब्बल के आने से अल्पसंख्यक वोटर्स भी खुश होंगे, जिन्होंने हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी का खुलकर साथ दिया है। ऐसे में पार्टी ने इस कदम से उन्हें संदेश देने की कोशिश की है कि अल्पसंख्यक समुदाय के साथ खड़े होने वालों का पार्टी सम्मान करती है।
कपिल सिब्बल दिल्ली की राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। लगभग सभी दलों के नेताओं से उनका अच्छा संपर्क है। सपा को उम्मीद है कि कपिल सिब्बल दिल्ली की राजनीति में अपने संपर्कों से पार्टी को अहमियत दिलाएं। कपिल सिब्बल ने नामांकन के बाद यह भी कहा कि वह सभी दलों को मोदी के खिलाफ एकजुट करने का प्रयास करेंगे।
वर्ष 2017 में जब सपा परिवार में अंतर्कलह चरम पर थी तब पार्टी सिंबल साइकिल को लेकर मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव दोनों ने चुनाव आयोग में दावा किया था। उस वक्त कपिल सिब्बल ने अखिलेश की तरफ से पैरवी की थी। सब जानते हैं कि चुनाव आयोग ने साइकिल चिन्ह अखिलेश को आवंटित कर दिया। कुछ ही दिनों बाद मुलायम सिंह भी पूरी तरह बेटे अखिलेश के साथ आ गए।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 20 हजार रुपये का जुर्माना
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