मां ने नाबालिग बेटी का रेप कराया, फिर किया कोख का सौदा, 4 साल में 8 बार एग बेचे

मां ने नाबालिग बेटी का रेप कराया, फिर किया कोख का सौदा, 4 साल में 8 बार एग बेचे

प्रेषित समय :16:01:23 PM / Tue, Jun 7th, 2022

चेन्नई. तमिलनाडु में एक मां ने ही अपनी नाबालिग बेटी का रेप कराया और फिर उसके एग्स का सौदा कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक मामला सेलम जिले का है. जांच में पता चला है कि नाबालिग लड़की से उसकी मां का पुरुष दोस्त पहले रेप करता था और फिर उसके एग्स को अस्पतालों में बेचा जाता था. रेप पीडि़ता की मां और उसके पुरुष दोस्त को गिरफ्तार कर लिया गया है.

जांच अधिकारी ने बताया कि लड़की के साथ रेप और उसके एग्स को बेचने का सिलसिला 2017 से चल रहा था. उस वक्त लड़की नाबालिग थी. पिछले 4 साल में 8 से ज्यादा बार उसकी कोख का सौदा किया गया है. मामला सामने आने के बाद राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने लड़की से बातचीत कर उसकी काउंसिल शुरू कर दी है.

हॉस्पिटल में एग 20 हजार रुपए में बिकता था

पीडि़ता ने बताया कि हर बार प्रेग्नेंट होने के बाद एग बेचने पर हॉस्पिटल से 20 हजार रुपए मिलते थे. इसमें से 5 हजार रुपए एक महिला कमीशन के रूप में लेती थी और बाकी पैसे मां और उसका दोस्त रखता था. ऐसा साल में दो बार किया जा रहा था.

पीड़िता की शिकायत पर हुआ एक्शन

पीड़ित के माता-पिता 10 साल पहले अलग हो गए थे, जिसके बाद वह अपनी मां के साथ उसके पुरुष दोस्त के यहां रहती थी. कई साल से हैवानियत झेल रही लड़की मई में अपने घर से भागकर अपने दोस्त के पास चली गई थी. लड़की ने दोस्त को आपबीती सुनाई, जिसके बाद उसके दोस्त और कुछ रिश्तेदारों ने मिलकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने लड़की की मां और उसके पुरुष दोस्त को गिरफ्तार कर लिया है.

राज्य सरकार ने जांच के लिए कमेटी बनाई

राज्य के स्वास्थ्य सचिव ने मीडिया को बताया कि इस केस की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई है. अभी तक पॉक्सो एक्ट, आधार दुरपयोग समेत आईपीसी की धारा 420, 464, 41, 506 (ii) के तहत केस दर्ज किया गया है. इस मामले में बांझपन के बढ़ते केस के एंगल से भी जांच की जाएगी. इधर, पुलिस का कहना है कि इस केस में कुछ डॉक्टरों और दलालों की पहचान की गई है. उन पर भी एक्शन लिया जाएगा.

महिला के एग का कारोबार इसलिए बढ़ रहा

महिला फर्टिलाइजेशन सेंटर्स में जाकर एग डोनेट कर सकती है. इस प्रक्रिया को एग डोनेशन कहा जाता है. इसमें डॉक्टर्स एक महिला की ओवरी से एग्स निकालकर लैब में उसे स्पर्म से फर्टिलाइज कराते हैं, जिसके बाद भ्रूण का जन्म होता है. इस प्रोसेस को इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ कहा जाता है. यह भ्रूण रिसीवर महिला के गर्भ में इंप्लांट कर दिया जाता है. ज्यादातर मामलों में ऐसा तब होता है, जब एक महिला अपने एग्स की वजह से मां बनने में असफल हो रही हो. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एग्स डोनेट करने के बाद महिला मानसिक रूप से प्रभावित हो सकती है.

एग डोनर कौन हो सकती है?

दिसंबर 2021 में पास हुए असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (रेगुलेशन) यानी एआरटी बिल के मुताबिक, 21 से 50 साल की वो महिला, जिसका कम से कम 3 साल का एक बच्चा हो, वही एग डोनेट कर सकती है. कोई भी महिला सिर्फ एक बार एग डोनेट कर सकती है. कानून बनने के बाद 25 दिसंबर 2021 को इसका गजट नोटिफिकेशन भी किया गया था. इस कानून के तहत मानव भ्रूण के व्यापार को अपराध माना गया है. पहली बार अपराध करने पर 5 से 10 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है. इसके बाद अपराध करने पर आठ से 12 वर्ष की कैद और 10 से 20 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है. इसके अलावा दोनों पक्षों (डोनर और रिसीवर) में लिखित अनुबंध होना अनिवार्य है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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