ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है. स्कंद पुराण के अनुसार इस दिन गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थी. इस दिन व्यक्ति को निकट की किसी पवित्र नदी पर जाकर स्नान, ध्यान तथा दान देना चाहिए. इससे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के पश्चात स्वर्ग की प्राप्ति होती है. वराह पुराण के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी, बुधवार के दिन, हस्त नक्षत्र में गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आई थी.
ज्येष्ठ मास की दशमी तिथि का आरंभ 9 जून, बृहस्पतिवार को सुबह 8 बजकर 21 मिनट से होगा. गंगा दशहरे का समापन 10 जून को सुबह 7 बजकर 25 मिनट पर होगा. उसके बाद से एकादशी तिथि का आरंभ हो जाएगा. गंगा दशहरे का पर्व इस प्रकार से 9 जून को मनाया जाएगा.
गंगा दशहरा का महत्व
पुराणों के अनुसार इस दिन भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा ने राजा सगर के 60,000 मृत पुत्रों को जीवित कर दिया था. इस दिन जो भी गंगा नदी में खड़ा होकर गंगा स्त्रोत का पाठ करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. इसी प्रकार इस दिन जिस भी वस्तु का दान दिया जाए, उसकी संख्या दस होनी चाहिए. इससे दान के शुभ फलों में वृद्धि होती है और व्यक्ति के सौभाग्य का उदय होता है.
गंगा नदी में स्नान और दान-पुण्य की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाने वाला पर्व गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल यह पर्व 9 जून बृहस्पतिवार को है. मान्यता है कि इस दिन भागीरथ ऋषि अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए मां गंगा को धरती पर लेकर आए थे. इसलिए ही मां गंगा को मोक्षदायिनी, पतित पावनी गंगा के रूप में माना गया हे. कहते हैं गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करने मोक्ष की प्राप्ति होती है और समस्त पाप धुल जाते हैं. गंगा दशहरे के अवसर पर देश के उन प्रमुख शहरों में, जहां मां गंगा बह रही हैं,वहां मेले का आयोजन भी होता है. इस अवसर पर विशेष पूजा का आयोजन होता है और दान-पुण्य किया जाता है. आइए जानते हैं गंगा दशहरा का महत्व और इस दिन क्या-क्या दान करना चाहिए.
गंगा दशहरे को मां गंगा के धरती पर अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से सौ महायज्ञों के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है. इस दिन जो व्यक्ति गंगा में खड़े होकर गंगा स्त्रोत का पाठ करता है उसे मृत्य के बाद में बैकुंठ की प्राप्ति होती है और इस जन्म के सभी पापों का असर समाप्त हो जाता है.
मां गंगा का अवतरण*-महाराजा सगर ने विश्व विजय की कामना से अश्वमेध यज्ञ किया यज्ञ के घोड़े की रक्षा के लिये राजा सगर के साठ हजार पुत्र घोड़े के साथ थे इन्द्र किसी भी तरह इस कार्य मॆ विघ्न डालना चाहता था इन्द्र ने यज्ञ के घोड़े को तपस्यारत कपिल मुनि के आश्रम मॆ लाकर छिपा दिया सगर के पुत्रों ने समझा की कपिल मुनि ने घोड़े को बंदी बनाकर हमे चुनौती दी है फलस्वरूप उन्होने कपिल मुनि की तपस्या भंग कर दी.कपिल मुनि ने क्रोध कर सभी सगर पुत्रों को भस्म कर दिया.इन सभी मृत आत्माओं की मुक्ति के लिये किसी पवित्र नदी की आवश्यकता थी क्योंकि उस समय अगस्त ऋषि ने सभी तरह के जल के पानी को सोख लिया था.सगर और अंशुमान और दिलीप ने मां गंगा को धरती मॆ लाने के लिए घोर तप किया लेकिन वे असफल रहे भगीरथ की तपस्या से गंगा जी का अवतरण धरती मॆ हुआ जिससे उनके पुरखों को मोक्ष हुआ साथ ही मृत्युलोक वासियों को गंगा जी का सानिध्य प्राप्त हुआ.
*गंगा पूजन कैसे करे*-इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी या फ़िर घर मॆ स्नान के जल मॆ गंगा या पवित्र जल मिलाकर इस मंत्र का पाठ करना चाहिये.
*ॐ नमह शिवाये नारायनये दशहराये गंगाये नमह* का जाप दस बार करना चाहिए इसके पश्चात हाथ मॆ पुष्प लेकर इस स्त्रौत का पाठ करना चाहिये *ॐ नमो भगवते ऐइम ह्री श्री हिली हिली मिली मिली गंगे मां पावय पावय स्वाहा* इस मंत्र का पांच बार उच्चरण कर पुष्प जल को अर्पण करना चाहिये साथ ही अपने पितरों की तृप्ति के लिये प्रार्थना करना चाहिये.स्नान के समय दस दीपों का दान करना चाहिये नदी मॆ दस डुबकी लगाना चाहिये.जौ और तिल सोलह मुट्ठी लेकर तर्पण कार्य करना चाहिये इस दिन किया गय़ा कार्य पितरों को मोक्ष तथा वंशवृद्धि के लिये अति उत्तम होता है.
गंगा दशहरे पर क्या करें दान
गंगा दशहरा ऐसे वक्त में मनाया जाता है कि जब कि गर्मी अपने चरम पर होती है. ऐसे में जरूरतमंद लोगों को ठंडी चीजों का दान आपको विशेष पुण्य की प्राप्ति करवाता है. इस अवसर पर सुराही, पंखा, वस्त्र, चप्पल, छाता, खरबूजा, कच्चे आम और पके आम आदि चीजों का दान करना सबसे उत्तम माना जाता है. इसके अलावा इस दिन आप आटा, चावल, घी, सब्जियां और नमक का भी दान कर सकते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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