व्रत नियम एवं महात्म्य,
अग्नि पुराण के अनुसार बुध संबंधी व्रत विशाखा नक्षत्रयुक्त बुधवार को आरंभ करना चाहिए और लगातार सात बुधवार अथवा यथा सामर्थ्य व्रत करना चाहिए. बुधवार का व्रत शुरू करने से पहले गणेश जी के साथ नवग्रहों की पूजा करनी चाहिए. व्रत के दौरान भागवत महापुराण का पाठ करना चाहिए.
बुधवार व्रत शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से शुरू करना अच्छा माना जाता है. इस दिन प्रातः उठकर संपूर्ण घर की सफाई करें. तत्पश्चात स्नानादि से निवृत्त हो जाएँ. इसके बाद पवित्र जल का घर में छिड़काव करें. घर के ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान गणेश जी या शिव परिवार की प्रतिमा या चित्र किसी कांस्य पात्र में स्थापित करें. तत्पश्चात धूप, बेल-पत्र, अक्षत और घी का दीपक जलाकर पूजा करें. व्रत करने वाले को हरे रंग की माला या वस्त्रों का अधिक प्रयोग करना चाहिए.
इस दिन गणेश जी को 21 गांठो सहित दूर्वा चढ़ाने का विधान है मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश जी की कृपा शीघ्र ही प्राप्त होने लगती है. भगवान गणेश जी भाग्य के बंधन खोलकर सौभाग्य प्राप्ति का वरदान देते है इसके विषय मे एक प्रचलित कथा भी है
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीनकाल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था, उसके कोप से स्वर्ग और धरती पर त्राहि-त्राहि मची हुई थी. अनलासुर एक ऐसा दैत्य था, जो मुनि-ऋषियों और साधारण मनुष्यों को जिंदा निगल जाता था. इस दैत्य के अत्याचारों से त्रस्त होकर इंद्र सहित सभी देवी-देवता, ऋषि-मुनि भगवान महादेव से प्रार्थना करने जा पहुंचे और सभी ने महादेव से यह प्रार्थना की कि वे अनलासुर के आतंक का खात्मा करें.
तब महादेव ने समस्त देवी-देवताओं तथा ऋषि-मुनियों की प्रार्थना सुनकर, उनसे कहा कि दैत्य अनलासुर का नाश केवल श्री गणेश ही कर सकते हैं. फिर सबकी प्रार्थना पर श्री गणेश ने अनलासुर को निगल लिया, तब उनके पेट में बहुत जलन होने लगी. इस परेशानी से निपटने के लिए कई प्रकार के उपाय करने के बाद भी जब गणेशजी के पेट की जलन शांत नहीं हुई, तब कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठें बनाकर श्री गणेश को खाने को दीं. यह दूर्वा श्री गणेशजी ने ग्रहण की, तब कहीं जाकर उनके पेट की जलन शांत हुई. ऐसा माना जाता है कि श्री गणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा तभी से आरंभ हुई.
व्रत के दिन बुध मंत्र ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाये नम:’ का 9,000 बार या 5 माला जप करें.
या फिर इस मंत्र से बुध की प्रार्थना करें.
बुध त्वं बुद्धिजनको बोधदः सर्वदा नृणाम्. तत्वावबोधं कुरुषे सोमपुत्र नमो नमः॥
पूजन मंत्र जप, एवं प्रार्थना के बाद बुधवार कथा का पाठ सुने इसके बाद सामार्थ्य अनुसार श्रीगणेश चालीसा, श्रीगणेश अथर्वशीर्ष का पाठ भी करना चाहिये.
पूरे दिन व्रत कर शाम के समय फिर से पूजा कर एक समय भोजन करना चाहिए. बुधवार व्रत में हरे रंग के वस्त्रों, फूलों और सब्जियों का दान देना चाहिए. इस दिन एक समय दही, मूंग दाल का हलवा या हरी वस्तु से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए.
व्रत कथा,,समतापुर नगर में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था. वह बहुत धनवान था. मधुसूदन का विवाह बलरामपुर नगर की सुंदर और गुणवंती लड़की संगीता से हुआ था. एक बार मधुसूदन अपनी पत्नी को लेने बुधवार के दिन बलरामपुर गया.
मधुसूदन ने पत्नी के माता-पिता से संगीता को विदा कराने के लिए कहा. माता-पिता बोले- 'बेटा, आज बुधवार है. बुधवार को किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा नहीं करते.' लेकिन मधुसूदन नहीं माना. उसने ऐसी शुभ-अशुभ की बातों को न मानने की बात कही.
दोनों ने बैलगाड़ी से यात्रा प्रारंभ की. दो कोस की यात्रा के बाद उसकी गाड़ी का एक पहिया टूट गया. वहाँ से दोनों ने पैदल ही यात्रा शुरू की. रास्ते में संगीता को प्यास लगी. मधुसूदन उसे एक पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने चला गया.
थोड़ी देर बाद जब मधुसूदन कहीं से जल लेकर वापस आया तो वह बुरी तरह हैरान हो उठा क्योंकि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा था. संगीता भी मधुसूदन को देखकर हैरान रह गई. वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई.
उद्यापन पूजन सामग्ररी
बुध या गणेश भगवान की मूर्ति – 1
कांस्य का पात्र -1
चावल/अक्षत – 250 ग्राम
धूप – 1 पैकेट
दीप - 2
गंगाजल
फूल
लाल चंदन- – 1 पैकेट
गुड़
हरा वस्त्र -1.25 मीटर (2)
यज्ञोपवीत- 1 जोड़ा
रोली
गुलाल
नैवेद्य(मूंग दाल से बनी हुई)
जल पात्र
पंचामृत (कच्चा दूध, दही, घी,मधु तथा शक्कर मिलाकर बनायें)
संकल्प,हाथ में जल, अक्षत, पान का पत्ता, सुपारी और कुछ सिक्के लेकर निम्न मंत्र के साथ उद्यापन का संकल्प करें: -
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः. श्री मद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गतब्रह्मावर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौद्धावतारे वर्तमाने यथानामसंवत्सरे अमुकामने महामांगल्यप्रदे मासानाम् उत्तमे अमुकमासे (जिस माह में उद्यापन कर रहे हों, उसका नाम) अमुकपक्षे (जिस पक्ष में उद्यापन कर रहे हों, उसका नाम) अमुकतिथौ (जिस तिथि में उद्यापन कर रहे हों, उसका नाम) बुधवासरान्वितायाम् अमुकनक्षत्रे (उद्यापन के दिन, जिस नक्षत्र में सुर्य हो उसका नाम) अमुकराशिस्थिते सूर्ये (उद्यापन के दिन, जिस राशिमें सुर्य हो उसका नाम) अमुकामुकराशिस्थितेषु (उद्यापन के दिन, जिस –जिस राशि में चंद्र, मंगल,बुध, गुरु शुक, शनि हो उसका नाम) चन्द्रभौमबुधगुरुशुक्रशनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभ पुण्यतिथौ सकलशास्त्र श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलप्राप्तिकामः अमुकगोत्रोत्पन्नः (अपने गोत्र का नाम) अमुक नाम (अपना नाम) अहं बुधवार व्रत उद्यापन करिष्ये.
शुद्धोदक- स्नान,,पंचामृत स्नान के बाद दूसरे पात्र में गंगाजल लेकर चम्मच से बुध देव को शुद्धोदक स्नान के लिये जल अर्पित करते हुये मंत्र का उच्चारण करें:-
ऊँ बुधाय नम: शुद्धोदक स्नानम् समर्पयामि.
यज्ञोपवीत,,मंत्र उच्चारण के द्वारा बुध देव को यज्ञोपवीत अर्पित करें :-
ऊँ सुबुद्धिप्रदाय नम: यज्ञोपवीतम् समर्पयामि
वस्त्र,,मंत्र उच्चारण के द्वारा बुध देव को वस्त्र अर्पित करें :-
ऊँ दुर्बुद्धिनाशाय नम: वस्त्रम् समर्पयामि
गंध,,मंत्र उच्चारण के द्वारा बुध देव को गंध अर्पित करें :-
ऊँ सौम्यग्रहाय नम: गंधम् समर्पयामि.
अक्षत,,,मंत्र उच्चारण के द्वारा बुध देव को अक्षत अर्पित करें :-
ऊँ सर्वसौख्यप्रदाय नम: अक्षतम् समर्पयामि.
पुष्प,,मंत्र उच्चारण के द्वारा बुध देव को पुष्प अर्पित करें :-
ऊँ सोमात्मजाय नम: पुष्पम् समर्पयामि.
श्री गणेश जी की आरती,,
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा,
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा !!
!! एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी,
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी,
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा !!
!! अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया,
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा !!
!! हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा,
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा,
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा !!
!! दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी,
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी,
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा !!
आरती का तीन बार प्रोक्षण करके सबसे पहले सभे देवी-देवताओं को आरती दें. उसके बाद उपस्थित व्यक्तियों को आरती दिखायें एवं स्वयं भी आरती ले.
प्रदक्षिणा
अपने स्थान पर खड़े हो जायें और बायें से दायें की ओर घूमकर प्रदक्षिणा करें:-
ऊँ सुबुद्धिप्रदाय नम: प्रदक्षिणा समर्पयामि
दोनों हाथ जोड़कर मंत्र के द्वारा बुध देव से प्रार्थना करें:-
प्रियंग कालिकाभासं रूपेणाप्रतिमं बुधम्.
सौम्य सौम्य गुणापेतं तं बुधप्रणमाम्यहम्॥
क्षमा-प्रार्थना,दोनों हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना करें:-
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्.
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर: ॥
विसर्जन
विसर्जन के लिये हाथ में अक्षत , पुष्प लेकर मंत्र –उच्चारण के द्वारा विसर्जन करें :-
स्वस्थानं गच्छ देवेश परिवारयुत: प्रभो.
पूजाकाले पुनर्नाथ त्वग्राऽऽगन्तव्यमादरात्॥
अब 21 अथवा सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों को यथाशक्ति भोजन करायें और दक्षिणा और भगवान गणेश के किसी भी स्तोत्र अथवा पाठ की एक एक पुस्तक हरे वस्त्र सहित दें. तत्पश्चात् बंधु-बांधवों सहित स्वयं भोजन करें.
श्री गणेश चालीसा
॥दोहा॥
जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल.
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
गणपति अथर्वशीर्ष
ॐ नमस्ते गणपतये.
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि
त्वमेव केवलं कर्ताऽ सि
त्वमेव केवलं धर्ताऽसि
त्वमेव केवलं हर्ताऽसि
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि
त्व साक्षादात्माऽसि नित्यम्..1..
अर्थ , आठ ब्राह्मणों को सम्यक रीति से ग्राह कराने पर सूर्य के समान तेजस्वी होता है. सूर्य ग्रहण में महानदी में या प्रतिमा के समीप जपने से मंत्र सिद्धि होती है. वह महाविघ्न से मुक्त हो जाता है. जो इस प्रकार जानता है, वह सर्वज्ञ हो जाता है वह सर्वज्ञ हो जाता है.
साधक इस दिन सामर्थ्य अनुसार श्रीगणेश सहस्त्र नामावली का पाठ करना चाहे तो अति उत्तम है क्योंकि पूजा पाठ से ज्यादा तप का महत्त्व है किसी भी रूप में अधिक से अधिक समय भगवान का नाम स्मरण भी तप की ही श्रेणी में आता है.
Koti Devi Devta
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ईसाइयत और इस्लाम में धर्मांतरित होने वाले दलितों को भी मिलेगा आरक्षण का लाभ?
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