प्रदीप द्विवेदी. हिन्दी में एक मुहावरा है.... आटे-दाल का भाव मालुम होना?
शायद.... अंधभक्तोें को अब उसका प्रायोगिक मतलब भी समझ में आ जाएगा!
श्रावण के सोमवार से जब कई अंधभक्त व्रत-भक्ति में डूबे होंगे, तब चुपके से आटा, दही, पनीर आदि पर जीएसटी का डाका पड़ चुका होगा?
भक्तजनों को प्रत्यक्ष कष्ट नहीं हो, यही सोच कर पवित्र श्रावण मास में ऐसा अपवित्र निर्णय लिया गया है, अभी आधे भारत में श्रावण मास है और पक्ष बदलते ही शेष भारत में श्रावण मास होगा, बोले तो.... जीएसटी लागू करने के लिए करीब डेढ़ माह का अमृतकाल!
खबर है कि..... श्रावण के पहले सोमवार से आटा, दही, पनीर के लिए और अधिक जेब कटेगी?
क्योंकि.... ऐसा नान-ब्रांडेड खाद्य पदार्थों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लागू होने केे कारण उनकी कीमत बढ़ने से होगा!
इतना ही नहीं, पैक्ड दूध, दही, मक्खन, पनीर आदि के दाम भी बढ़ जाएंगे?
हे अंधभक्तों! ताली-थाली बजाओ कि.... महंगाई का अमृतकाल आ गया है?
जीएसटी के अमृतकाल को और भी सशक्त बनाने के लिए देश के प्रमुख कार्टूनिस्ट कमल किशोर की व्यंग्यराय है कि- विधायकों की बिक्री को भी जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए!
https://twitter.com/PalpalIndia/status/1543058403211489281
जीएसटी के अमृतकाल से प्रसन्न जनता के व्यंग्यबाण भी कम दिलचस्प नहीं हैं....
अनपढ़ रहेगा इंडिया, तभी तो अंधभक्त बनेगा इंडिया?
स्कूल की किताबों पर “GST” लगाने वाला पहला देश इण्डिया!
झूठ, फरेब और धोखा, यही है मोदी सरकार का लेखा-जोखा!
https://twitter.com/i/status/1548517869453180928
सुनो…मगर ध्यान से!
https://twitter.com/i/status/1548163159025782788
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