जन की बात. देश में राष्ट्रपति चुनाव दलगत राजनीति से मुक्त है, लेकिन गुजरते समय के साथ राष्ट्रपति चुनाव का राजनीतिकरण होता चला गया है, इसमें अब तो सियासी प्रबंधन के तहत धर्मवाद, जातिवाद का भी प्रवेश हो चुका है, लिहाजा देशहित में राष्ट्रपति चुनाव का राजनीतिकरण रोकने के लिए सीधे जनता से चुनाव होना चाहिए!
वैसे भी प्रधानमंत्री का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होता है, इसलिए कम-से-कम राष्ट्रपति चुनाव तो सीधे जनता के मतदान से हो?
खबरें हैं कि.... देश के अगले राष्ट्रपति के चुनाव के लिए सोमवार, 18 जुलाई 2022 को देशभर के सांसदों और विधायकों ने वोट डाले, इस गैर-राजनीतिक चुनाव के लिए भी बीजेपी-एनडीए ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया, जबकि देश के पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के प्रमुख नेता रह चुके यशवंत सिन्हा, कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी दलों के साझा उम्मीदवार बने, अब इस चुनाव के नतीजे 21 जुलाई 2022 को मतगणना के बाद घोषित होंगे.
इस चुनाव में विधायकों-सांसदों को मिलाकर तकरीबन 4800 जन-प्रतिनिधियों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया है.
भारत के प्रजातंत्र में राष्ट्रपति की भूमिका न्यायाधीश की है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यदि इस पद का भी राजनीतिकरण बढ़ता गया, तो क्या राष्ट्रपति अपनी भूमिका संविधान के अनुरूप निभा पाएंगे?
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https://twitter.com/PalpalIndia/status/1547252853701353473
https://palpalindia.com/2022/07/13/politics-President-election-Candidate-tribal-woman-Draupadi-Murmu-BTP-hidden-agenda-of-BJP-news-in-hindi.html
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