राहु-केतु की ऐसी स्थिति को कभी ना करें नज़रंदाज़

राहु-केतु की ऐसी स्थिति को कभी ना करें नज़रंदाज़

प्रेषित समय :20:45:15 PM / Wed, Jul 20th, 2022

हम अपने जीवन में सुख और तरक्की के लिए क्या कुछ नहीं करते, तरह तरह के टोटके, मन्त्र, यंत्र और पूजा पाठ करते हैं . लेकिन कोई भी विषय वस्तु हमें तभी लाभ देती है जब हम सही जानकारी प्राप्त कर उसको अपने जीवन में जगह देते हैं . और बात अगर पूजा पाठ, मंत्र जप के माध्यम से ग्रह दोष शांति की करें तो इसके लिए वर्ष में कुछ विशेष दिन ही निर्धारित होते हैं . जिस तरह अमावस्या आने पर व्यक्ति के पितृ गण उसके द्वार पर आ पहुँचते है और पूर्णिमा पर देव गण साधु जनों को आशीर्वाद देने के लिए आ पहुंचते हैं . इसी तरह पंचमी तिथि के आराध्य नाग देवता हैं . इसी वजह से सावन महीने की पंचमी तिथि  नाग दोष शांति यानी राहु केतु से संबंधित दोष शांति के लिए मनाई जाती है . पूरे वर्ष में सिर्फ मौनी अमावस्या, नाग पंचमी और पितृ विसर्जनी अमावस्या यह तीन ही ऐसे शुभ दिन हैं जब आप राहु केतु की शांति करवा सकते हो . विशेष कर यदि जन्म कुण्डली में राहु केतु की वजह से सूर्य चंद्रमा प्रभावित हो रहे हों तो ऐसी स्थिति को पितृ दोष कहा जाता है . और जिसके पितृ ही प्रसन्न नहीं हैं उसकी पाठ पूजा, प्रार्थना, प्रसाद तो देवी देवता भी स्वीकार नहीं करते . इस लिए आपके बाकी के दैनिक पूजा पाठ दान पुण्य भी व्यर्थ चले जाते हैं, ऐसे में सुख और तरक्की कैसे मिल सकते हैं .

प्रतिष्ठा प्राप्ति में बाधा : 
यदि जन्म कुण्डली के लग्न भाव में राहु की स्थिति हो, या फिर सूर्य राहु युति या राहु की दृष्टि सूर्य पर हो, ऐसी स्थिति में व्यक्ति को जीवन भर प्रतिष्ठा प्राप्ति में रुकावट आती है . ऐसी स्थिति में सूर्य से संबंधित कोई भी उपाये करने से पहले राहु की शांति 18 हज़ार बार मंत्र जप के माध्यम से नाग पंचमी के दिन करवानी चाहिए , इस जप के बाद ही सूर्य की शुभता के लिए किए गए अन्य उपाये अपना प्रभाव देंगे . 

पारिवारिक_रिश्तों_की_समस्या : 
यदि जन्म कुण्डली के 2, 5, 7, 11वे भाव में राहु की स्थिति हो, या फिर इन भाव के स्वामी ग्रहों से राहु की युति या दृष्टि संबंध हो तो ऐसी ग्रह स्थिति में घरेलू समस्या होती है . विशेष कर राहु की युति या दृष्टि संबंध गुरु या शुक्र से हो तो विवाह होने में बाधा आती है, विवाह होने के बाद भी झगड़े की स्थिति बनी होती है . और यदि जन्म कुण्डली में राहु की युति या दृष्टि सूर्य या चंद्रमा पर हो तो संतान सुख प्राप्ति में बाधा आती है . ऐसी स्थिति में चंद्रमा, गुरु, शुक्र की शुभता के किसी भी तरह के उपाय करने से पहले राहु की शांति 18 हज़ार बार मंत्र जप के माध्यम से नाग पंचमी के दिन करवानी चाहिए,  इस के बाद विवाह और संतान सुख के लिए किये गए अन्य उपाये अपना प्रभाव देंगे .

खुद का घर बनने में_बाधा : 
यदि जन्म कुण्डली के 4, 9, 11वे भाव में राहु की स्थिति हो, या फिर इन भाव के स्वामी ग्रहों से राहु की युति या दृष्टि संबंध हो तो ऐसी ग्रह स्थिति में खुद का घर बनाने में बाधा आती है . विशेष कर यदि चंद्रमा पर राहु का प्रभाव हो तो खुद की ज़मीन ही नहीं बन पाती, किराए की घर में ऐसे व्यक्ति को रहना पड़ता है, और यदि मंगल पर राहु का प्रभाव हो तो भाई बंधुओं के साथ ज़मीन को लेकर झगड़े होते हैं तब भी घर का सुख बाधित होता है, और यदि शनि पर राहु का प्रभाव हो तो घर की कंस्ट्रक्शन में बार बार बाधा आती है . ऐसी स्थिति में चंद्रमा, मंगल, शनि की शुभता के किसी भी तरह के उपाय करने से पहले राहु की शांति 18 हज़ार बार मंत्र जप के माध्यम से नाग पंचमी के दिन करवानी चाहिए, इस के बाद ही घर बनने के सुख प्राप्ति के लिए किए गए अन्य उपाये अपना प्रभाव देंगे .

शारीरिक और आर्थिक समस्या : 
यदि जन्म कुण्डली के 1, 4, 7, 8, 12वे भाव में राहु की स्थिति हो, या फिर इन भाव के स्वामी ग्रहों पर राहु का दुष्प्रभाव हो ऐसी ग्रह स्थिति में प्रतिष्ठा प्राप्ति में बाधा, बिना वजह ही शरीर में दर्द और थकान के अनुभव होते हैं, कमर और मूत्र अंगों से जुड़े रोग ऐसे व्यक्ति को परेशान करते हैं, धन और जमापूंजी का अभाव हमेशा बना रहता है . इस के इलावा सूर्य पर राहु का दुष्प्रभाव हो तो शरीर में थकान, प्रतिष्ठा में बाधा, चंद्रमा पर राहु का दुष्प्रभाव हो तो बिना वजह कही स्थान परिवर्तन, आय का स्थाई साधन नहीं बन पाता, मंगल पर राहु का दुष्प्रभाव हो तो शत्रु पीछा नहीं छोड़ते, झगड़े में पराजय होती है, बुध पर राहु का दुष्प्रभाव हो तो बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता,  गुरु राहु चांडाल योग हो तो मित्र / रिश्तेदार कपटी और धोखेबाज होते हैं, शुक्र पर राहु का दुष्प्रभाव हो तो चार लोगों के बीच बैठने पर कोई आपकी मानहानि का मौका नहीं छोड़ता . ऐसी स्थिति में इन ग्रहों की शुभता प्राप्ति के किसी भी तरह के उपाये करने से पहले राहु की शांति 18 हज़ार बार मंत्र जप के माध्यम से नाग पंचमी के दिन करवानी चाहिए, इस के बाद ही सुख प्राप्ति के लिए किए गए अन्य उपाये अपना प्रभाव देंगे .

Deep Ramgarhia

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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