कुंडली के किस योग से बढ़ते हैं शत्रु

कुंडली के किस योग से बढ़ते हैं शत्रु

प्रेषित समय :22:07:15 PM / Fri, Jul 22nd, 2022

शत्रु बने ही क्यों...क्योंकि किसी का बुरा किया...बुरा किया तो वो आपका शत्रु बनेगा ही. या फिर किसी गलत आदमी को सही बात बोल दी तो भी शत्रु बनेंगे. या फिर खुद ही जाकर हर किसी से भीड़ गए तो भी शत्रु बन गए. अब अगर मंगल, लग्नेश, और षष्टेश और गुलिक अगर केंद्र मे विविध योग बना कर बैठ गए तो यही शत्रु तंत्र विद्या भी कर सकते है आपके उपर.

छह भाव शत्रु का , बारह भाव गुप्त शत्रु का. प्रत्यक्ष शत्रु से लड़ा जा सकता है लेकिन गुप्त शत्रुओ से कैसे लड़ सकते हो. मंगल शत्रुओ का कारक है. मतलब मंगल बताएगा की आप अपने शत्रुओ से कैसे लड़ सकते हो. कैसे उन्हें परास्त कर सकते हो. छह भाव मे पाप गृह बैठा हो तो वो भी शत्रुओ से विजय दिलाता है. राहू तो खतरनाक . लेकिन एक बाद याद रखे यही राहू गुप्त शत्रु भी बना देता है इसलिए छह मे राहू वाले उछले नहीं की मेरा राहू शत्रुओ को परास्त कर देगा. सोच समझ के हैंडल करो शत्रु को. यहाँ का सूर्य भी शत्रु पे विजय प्राप्त करवाता है. गुरु भी यहाँ शत्रु हानि करेगा. 

षष्टेश अष्टम मे बैठेगा तो शत्रुओ मे वृधि होगी मेरे ख्याल से क्योंकि अपने से वृधि भाव मे बैठेगा. बाकी ऐसा बोला जाता है की अशुभ का स्वामी अशुभ मे बैठ जाए तो विपरीत राजयोग बनता है.
यहाँ स्थित राशी, षष्टेश आपको बताएँगे की शत्रु किस जाती का, किस वर्ण का है, आपके निवाश स्थान से कितना दूर रहता है, किस दिशा मे रहता है शत्रु,.भाव, राशी और षष्टेश के बलबल पे निर्भर है की शत्रु कितना बलशाली है. लग्नेश या लग्न बलवान और षष्टेश कमजोर हुआ तो शत्रु कमजोर होगा.

अष्टम शत्रु का धन है. अष्टम उसकी वृधि, नवं उसका सुख. दसम शत्रु की योजना है आपको हराने की. एकादश दुश्मन का दुशम दोस्त. द्वादश गुप्त शत्रु या शत्रु का प्रतिद्वंदी. लग्न शत्रु की मृत्यु इसलिए लग्न को मजबूत करो. द्वितीय शत्रु का भाग्य है. त्रितय शत्रु का कर्म. चतुर्थ शत्रु का लाभ. और पंचम शत्रु का नाश मतलब आप योजना बना के शत्रु का सफाया कर सकते हो. जितनी आपके अंदर बुद्धि होगी उतने ही शत्रु आपसे परास्त होने.

अब बात आती है की शत्रु को समझाए कैसे. साम, दाम, दंड, भेद. समझा बुझा कर. दाम यानी पैसे देकर , दंड यानी पुलिस केस या डरकर, भेज यानी चालाकी यानी षड्यंत्र से. तो वो तो आपका षष्टेश या षष्टम मे बैठा गृह ही बता पायेगा.तो नोजवानो पहले शत्रु का आकलन करो फिर देखो की शत्रु को कैसे हराना है. 

हरीश मिश्र 
श्री मारुती एस्ट्रो वर्ल्ड

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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