गणेश चतुर्थी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है।
मान्यता है कि गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, सोमवार, स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था। इसलिए यह चतुर्थी मुख्य गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कहलाती है। यह कलंक चतुर्थी के नाम से भी प्रसिद्ध है और लोक परम्परानुसार इसे डण्डा चौथ भी कहा जाता है।
गणेश चतुर्थी बुधवार, 31,अगस्त 2022 को
गणेश पूजा मुहूर्त - 10:58 से 13:29
अवधि - 02 घण्टे 31 मिनट्स
एक दिन पूर्व, वर्जित चन्द्रदर्शन का समय - 15:33 से 20:34 , अगस्त 30
अवधि - 05 घण्टे 02 मिनट्स
अगस्त 31 वर्जित चन्द्रदर्शन का समय - 09:14 से 21:10
अवधि - 11 घण्टे 56 मिनट्स
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - 30,अगस्त 2022 को 15:33 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - 31, अगस्त 2022 को 15 :22 बजे
गणेश चतुर्थी के दिन का मुहूर्त
अन्य शहरों में गणेश चतुर्थी मुहूर्त
11:20 -- से 13:50 -- पुणे
11:05 -- से 13 :38 -- नई दिल्ली
10:55 -- से 13:24 -- चेन्नई
11:11 -- से 13:43 -- जयपुर
11:01 -- से 13 :31 -- हैदराबाद
11:05 -- से 13 :39 -- गुरुग्राम
11:06 -- से 01:40 -- चण्डीगढ़
10:21 -- से 12:52 -- कोलकाता
11:24 --से 13:54 -- मुम्बई
11:06 -- से 13:34 -- बेंगलूरु
11:24 -- से 13:56 -- अहमदाबाद
11:04 -- से 13:37 -- नोएडा
गणेश विसर्जन शुक्रवार 9, सितम्बर 2022 को
गणेश चतुर्थी को भगवान गणपति को घर में विराजमान करने का विधान है।
आइये, हम आपको बताते हैं कि किस प्रकार गणपति को अपने घर में विराजमान करें।
कैसे उनका आह्वान करें।
संकल्प: पहले दाएं हाथ में अक्षत और गंगाजल लेकर संकल्प करें कि हम गणपति को अपने घर तीन, पांच, सात और दस दिन के लिए विराजमान करेंगे। ऊं गणेशाय नम: मंत्र के साथ संकल्प लें। यह संकल्प हुआ कि आप भगवान गणपति को अपने घर में विराजमान करेंगे। प्रतिदिन उनकी पूजा करेंगे।
आह्वान: संकल्प के बाद आप गणपति जी को लेकर आइये। लेकिन इससे पहले घर का सजाए-संवारे। घर स्वच्छ हो। जिस स्थान पर विराजमान करना हो, वह पवित्र होना चाहिए। आह्वान करें कि हे गणपति, हम आपको अपने घर में ( दिन का उल्लेख करें) के लिए अपने समस्त परिवार ( परिवार के सदस्यों के नाम लें) अमुक गोत्र ( गोत्र का नाम लें) घर में सुख शांति समृद्धि के लिए प्रतिष्ठापित कर रहे हैं। हे गणपति, आप हमारी मनोकामनाएं पूरी करें और ऋद्धि-सिद्धि के साथ विराजमान हों। ज्ञात-अज्ञात यदि हमसे कोई भूल हो जाए तो आप क्षमा करना। आह्वान मंत्र कोई भी हो सकता है। यदि संस्कृत श्लोक न कर सकें तो ऊं गणेशाय नम: का ही जाप करते रहें।
पूजा स्थल
नियत दिन पर आप गणपति को अपने घर में विराजमान करें। कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। चार हल्दी की बिंदी लगाएं। एक मुट्ठी अक्षत रखें। इस पर छोटा बाजोट, चौकी या पटरा रखें। लाल, केसरिया या पीले वस्त्र को उस पर बिछाएं। रंगोली, फूल, आम के पत्ते और अन्य सामग्री से स्थान को सजाएं। एक तांबे का कलश पानी भर कर, आम के पत्ते और नारियल के साथ सजाएं। यह समस्त तैयारी गणेश उत्सव के आरंभ होने के पहले कर लें।
गणपति की प्रतिष्ठापना
जब गजानन को लेने जाएं तो स्वच्छ और नवीन वस्त्र धारण करें। यथासंभव, चांदी की थाली में स्वास्तिक बनाकर और फूल-मालाओं से सजाकर उसमें गणपति को विराजमान करके लाएं। यदि चांदी की थाली संभव न हो पीतल या तांबे की भी चलेगी। मूर्ति बड़ी है तो आप हाथों में लाकर भी विराजमान कर सकते हैं। जब घर में विराजमान करें तो मंगलगान करें, कीर्तन करें। गणपति को लड्डू का भोग लगाएं। लाल पुष्प चढ़ाएं। प्रतिदिन प्रसाद के साथ पंच मेवा जरूर रखें।
पांच इलायची और पांच कमलगट्टे
भगवान गणपति के आगे एक छोटी कटोरी में पांच छोटी इलायची और पांच कमलगट्टे रख दें। गणेश चतुर्थी तक इनको गणपति के आगे ही रहने दें। चतुर्थी के बाद कमलगट्टे एक लाल कपड़े में करके पूजा स्थल पर रहने दें और छोटी इलायची को गणपति का प्रसाद मानते हुए ग्रहण कर लें। यह समस्त कार्यों की सिद्धि का उपाय है। सारे कष्ट इससे समाप्त होते हैं। चंद्रमा, राहू, केतू की छाया भी नहीं पड़ेगी।
पूजन विधि :
आचमन- ॐ केशवाय नम:। ॐ नारायणाय नम:। ॐ माधवाय नम:।
कहकर हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें एवं ॐ ऋषिकेशाय नम: कहकर हाथ धो लें।
इसके बाद शरीर शुद्धि करें..
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
इसका ध्यान रखें
जल से भरा हुआ कलश गणेश जी के बाएं रखें।
चावल या गेहूं के ऊपर स्थापित करें।
कलश पर मौली बांधें एवं आमपत्र के साथ एक नारियल उसके मुख पर रखें।
गणेश जी के स्थान के सीधे हाथ की तरफ घी का दीपक एवं दक्षिणावर्ती शंख रखें।
गणेश जी का जन्म मध्याह्न में हुआ था, इसलिए मध्याह्न में ही प्रतिष्ठापित करें।
10 दिन तक नियमित समय पर आरती करें।
पूजा का समय नियत रखें। जाप माला की संख्या भी नियत ही रखें।
गणेश जी के सम्मुख बैठकर उनसे संवाद करें। मंत्रों का जाप करें। अपने कष्ट कहें।
शिव परिवार की आराधना अवश्य करें यानी भगवान शंकर और पार्वती जी का ध्यान अवश्य करें।
सुपारी गणेश और मिट्टी के गणेश भी रख सकते हैं
यदि आपकी सामर्थ्य न हो तो आप घर में सुपारी गणेश और पीली मिट्टी से गणेशाकृति बनाकर उनको स्थापित कर सकते हैं। इसमे कोई दोष नहीं है। सुपारी गणेश और पीली मिट्टी के गणेश जी बनाकर स्थापित करने से वास्तु दोष भी समाप्त होते हैं। लेकिन इतना ध्यान रखें कि पूजा नियमित हो। पीली मिट्टी के गणेश जी का स्नान नहीं हो सकता, इसलिए गंगाजल के छींटे लगा सकते हैं।
गणेश पूजन (सरलतम विधि )
लम्बी सूंड, बड़ी आँखें ,बड़े कान ,सुनहरा सिन्दूरी वर्ण यह ध्यान करते ही प्रथम पूज्य श्री गणेश जी का पवित्र स्वरुप हमारे सामने आ जाता है | सुखी व सफल जीवन के इरादों से आगे बढऩे के लिए बुद्धिदाता भगवान श्री गणेश के नाम स्मरण से ही शुरुआत शुभ मानी जाती है। जीवन में प्रसन्नता और हर छेत्र में सफलता प्राप्त करने हतु श्री गजानन महाराज के पूजन की सरलतम विधि विद्वान पंडित जी द्वारा बताई गयी है ,जो की आपके लिए प्रस्तुत है -प्रातः काल शुद्ध होकर गणेश जी के सम्मुख बैठ कर ध्यान करें और पुष्प, रोली ,अछत आदि चीजों से पूजन करें और विशेष रूप से सिन्दूर चढ़ाएं तथा दूर्बा दल(११या २१ दूब का अंकुर )समर्पित करें|यदि संभव हो तो फल और मीठा चढ़ाएं (मीठे में गणेश जी को मूंग के लड्डू प्रिय हैं ) अगरबत्ती और दीप जलाएं और नीचे लिखे सरल मंत्रों का मन ही मन 11, 21 या अधिक बार जप करें :-
ॐ चतुराय नम: | ॐ गजाननाय नम: |ॐ विघ्रराजाय नम: | ॐ प्रसन्नात्मने नम: |
पूजा और मंत्र जप के बाद श्री गणेश आरती कर सफलता व समृद्धि की कामना करें।
श्री गणेश जी की आरती
जय गणेश,जय गणेश,जय गणेश देवा |
माता जाकी पारवती,पिता महादेवा |
एक दन्त दयावंत,चार भुजा धारी |
मस्तक पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी || जय
अंधन को आँख देत,कोढ़िन को काया |
बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया || जय
हार चढ़े,फूल चढ़े और चढ़े मेवा |
लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा || जय
दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी
कामना को पूरा करो जग बलिहारी |
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