चंडीगढ़. एक जोड़े की सगाई और एक-दूसरे से मिलने से भावी दूल्हे को अपनी मंगेतर की सहमति के बिना यौन शोषण करने का अधिकार या स्वतंत्रता नहीं मिलती. यह बात पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सोमवार को अपने फैसले में कही है. जस्टिस विवेक पुरी ने आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया. उस पर अपनी मंगेतर का बलात्कार करने का आरोप है.
जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता को सगाई और शादी के बीच की अवधि के दौरान सहमति के खिलाफ मंगेतर का शारीरिक शोषण करने का कोई लाभ नहीं मिल सकता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि शादी कर अपना जीवन जिसके साथ बिताने जा रही लड़की यदि आरोप लगा रही है तो यह समझा नहीं जा सकता कि परिस्थिति के रूप में यह एक सहमति से संबंध का मामला था. जस्टिस पुरी ने कहा कि मौजूदा केस में अभियोक्ता का स्पष्ट बयान है कि याचिकाकर्ता ने उसकी अनिच्छा, इनकार के बावजूद उसके साथ संबंध बनाए.
लड़की ने लगाए गंभीर आरोप, कहा- वीडियो भी बनाया
दरअसल, इस मामले में एक लड़की ने कोर्ट में दावा किया था कि जनवरी 2022 में उसका रोका कार्यक्रम (सगाई) हो जाने के बाद वह और भावी दूल्हा अक्सर मिलने लगे थे, लेकिन होने वाला दूल्हा शारीरिक संबंध बनाने पर जोर दे रहा था. लड़की का कहना है कि वह हर बार मना करती रही थी. शिकायत में लड़की ने स्पष्ट किया है कि जून 2022 में भावी दूल्हा उसे एक होटल ले गया और उसकी सहमति से इनकार के बावजूद उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए, यह एक बलात्कार था. लड़की का आरोप है कि लड़के ने वीडियो भी बनाया. इसके बाद लड़की ने लड़के से शादी से इनकार कर दिया.
लड़की के अन्य लोगों से भी प्रेम संबंध
इधर, याचिकाकर्ता के वकील ने जमानत की मांग करते हुए कहा कि लड़की के अन्य लोगों के साथ प्रेम संबंधों के बारे में पता चलने के बाद याचिकाकर्ता ने शादी रद्द की. इसके साथ यह तर्क भी दिया गया कि दोनों के बीच सहमति से शारीरिक संबंध थे और कोई बलात्कार नहीं था. हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि किसी भी बिंदु पर यह साफ नहीं होता कि यह सहमति से संबंध का केस था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसला: पत्नी उसी लिविंग स्टैंडर्ड की हकदार, जैसे वह पति के साथ थी
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