क्या आप आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं क्या आपके ऊपर कर्ज़ बढ़ गया है क्या आपकी बिक्री नही हो रही है तो इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाने हेतु यह उपाय करें.
शुक्रवार के दिन स्नान आदि से निवृत होकर पूर्व दिशा की तरफ एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माँ लक्ष्मी जी की फोटो रखे.
घी का दीपक जलाये.
धुप आदि लगाये.
ईशान कोण में जल का कलश रखे.
कुमकुम से माँ को तिलक करें.
पुष्प आदि अर्पित करें.
अब भगवान श्री गणेश जी के स्तुति मंत्र द्वारा गणेश जी का स्मरण करें.
अब आप दायें हाथ में थोडा जल लेकर संकल्प ले.
संकल्प इस प्रकार ले : हे परमपिता परमेश्वर, मैं(अपना नाम बोले) गोत्र(अपना गोत्र बोले) धन -सुख और एश्वर्य प्राप्ति के लिए माँ लक्ष्मी का यह श्री कमला प्रयोग पाठ कर रहा हूं इसमें मुझे सफलता प्रदान करें, ऐसा कहते हुए हाथ के जल को नीचे जमीन पर छोड़ते हुए बोले : ॐ श्री विष्णु – ॐ श्री विष्णु -ॐ श्री विष्णु.
लयबद्धता के साथ बिना त्रुटी किये सम्पूर्ण करें.
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्ण रजतस्त्रजाम. चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जात वेदो म आवह.|
दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||१||
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
तां म आव ह जातवेदो लक्ष्मी मनप गामिनीम्. यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषा नहम्.|
दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||२||
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम्. श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवीजुषताम्.|
दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||३||
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्. पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम्.
दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||४.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्. तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्दे अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे.|
दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||५||
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तववृक्षोथ बिल्वः. तस्य फलानि तपसानुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः.|
दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||६||
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह. प्रादुर्भूतो सुराष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे.|
दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||७||
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठां अलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्. अभूतिमसमृद्धिं च सर्वांनिर्णुद मे गृहात्.| दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||८||
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्. ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम्.| दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||९||
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि. पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः.| दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.|१०||
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
कर्दमेनप्रजाभूता मयिसम्भवकर्दम. श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम्.|
दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||११||
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे. नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले.| दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||१२.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम्. चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह.| दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||१३.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्. सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह.| दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||१४.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्. यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योश्वान्विन्देयं पुरुषानहम्.|
दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||१५||
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्. सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत्.| दारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.|
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः||१६||
|| फलश्रुती.|
पद्मानने पद्म-ऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे. तन्मेभजसि पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यहम्.|१७||
अश्वदायै गोदायै धनदायै महाधने. धनं मे जुषतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे.|१८||
पद्मानने पद्मविपद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि. विश्वप्रिये विष्णु्मनोनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि संनिधत्स्व.|१९||
पुत्रपौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम्. प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे.|२०||
धनमग्निर्धनं वायु:, धनं सूर्यो धनं वसुः. धनमिन्द्रो बृहस्पति: वरुणं धनमस्तु ते.|२१||
वैनतेय सोमं पिब सोमं पिबतु वृत्रहा. सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः.|२२||
न क्रोधो न च मात्सर्यं न लोभो नाशुभा मतिः. भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां श्रीसूक्तं जपेत्.|२३||
सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुक-गन्ध-माल्य-शोभे. भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्.|२४||
विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम्. लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम्.|२५||
महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि. तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्.|२६||
श्रीवर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाविधाच्छोभमानं महीयते. धान्यं धनं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसंवत्सरं दीर्घमायुः.|२७||
आनन्द: कर्दम: श्रीद: चिक्लीत इति विश्रुताः. ऋषयः श्रिय पुत्राश्च मयि श्रीर्देवि-देवता.|२८||
ऋण रोगादि दारिद्र्यं पापं क्षुद् अपमृत्यवः. भय शोक मनस्तापाः नश्यन्तु मम सर्वदा.|२९||
उपरोक्त विधि से इस का श्री कमला प्रयोग श्रद्धा भक्ति से 1 पाठ अर्द्ध रात्रि में करके 41दिन तक करें तो निश्चित माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है और पैसा टिकने लगता है .
21 दिन तक नित्य सुबह १ पाठ करके हवन करें, और फिर नित्य 1 बार पाठ करके कमल गट्टे से हवन करें तो निश्चित आपके ऊपर लक्ष्मी की कृपा हो जाएगी
इसका 1 पाठ सुबह और शाम 41 दिन तक करने से आजीविका प्राप्त होती है
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:॥
केवल इस मंत्र का भी कमल गट्टे की माला से 11 माला प्रतिदिन 21 दिन तक जप करने से व्यापार में वृद्धि होती है और लाभ मिलता है .
Koti Devi Devta
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तुरंत सफलता के लिए माँ विन्ध्येश्वरी साधना की पूजा करना चाहिए
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