केरल हाईकोर्ट का आदेश: हड़ताल में की गई तोडफ़ोड की भरपाई के लिए 5.20 करोड़ जमा करे PFI

केरल हाईकोर्ट का आदेश: हड़ताल में की गई तोडफ़ोड की भरपाई के लिए 5.20 करोड़ जमा करे PFI

प्रेषित समय :18:56:38 PM / Thu, Sep 29th, 2022

कोच्चि. केरल उच्च न्यायालय से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट के जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार और जस्टिस सीपी मोहम्मद नियासो की पीठ ने पीएफआई की फ्लैश हड़ताल से राज्य और केरल राज्य परिवहन निगम को हुए नुकसान को लेकर प्रदेश महासचिव ए अब्दुल सथर को अनुमानित नुकसान 5.20 करोड़ रुपये की राशि दो हफ्तों में अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग के पास जमा कराने का निर्देश दिया है.

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि यदि दो सप्ताह के भीतर राशि जमा नहीं की जाती है, तो राज्य राजस्व वसूली अधिनियम के प्रावधानों को लागू करके पीएफआई की संपत्ति के साथ-साथ सचिव सहित उसके पदाधिकारियों की व्यक्तिगत संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तत्काल कदम उठाएगी.

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस तरह वसूली गई राशि विशुद्ध रूप से अनंतिम होगी और इसे राज्य द्वारा अलग रखा जाएगा. इस राशि को मुवावजे के रूप में उनमें वितरित किया जाएगा जिनकी पहचान मुआवजा आयुक्त करेंगे. राज्य के मजिस्ट्रेट एवं सत्र पीठ से कहा कि हड़ताल संबंधी हिंसा के किसी भी आरोपी को कथित तौर पर उनके द्वारा किये गये नुकसान की क्षतिपूर्ति किये जाने तक जमानत नहीं दी जाए.

वहीं सरकार ने अनुमान लगाया है कि हड़ताल के दौरान तोडफ़ोड़ से केरल राज्य परिवहन निगम लगभग 25 लाख रुपये का नुकसान हुआ है, जिनमे विंडस्क्रीन और बसों में तोडफ़ोड़ शामिल है. हालांकि अनुमानित राशि बढ़ सकती है क्योंकि बसों का शेड्यूल रुकने से भी निगम को भारी नुकसान हुआ है. सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान करने के लिए कुल 63 मामले दर्ज किए गए और 48 गिरफ्तारियां की गई हैं. सरकार ने बताया कि आने वाले दिनों में भी गिरफ्तारियां होंगी. वहीं सरकार ने बताया कि सार्वजनिक सड़क के नुकसान का अनुमान नहीं लगाया जा सका है, क्योंकि विशेषज्ञों की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है

वहीं बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि हमारा दृढ़ मत है कि पीएफआई, उसके नेता और समर्थक सार्वजनिक व निजी संपत्ति को हुए नुकसान और विनाश के लिए पूर्ण और प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार हैं. हाईकोर्ट ने अवैध हड़ताल को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाने के लिए राज्य प्रशासन की भी आलोचना की. यह चिंता का विषय है कि हमारी घोषणा के बावजूद एक फ्लैश हड़ताल का आह्वान एक अवैध और असंवैधानिक कायज़् है. राज्य प्रशासन ने 23 सितंबर को अपने अवैध प्रदर्शनों और आकस्मिक सड़क अवरोधों के साथ प्रदर्शनकारियों को आगे बढऩे से रोकने के लिए लगभग कुछ भी नहीं किया. अदालत ने कहा कि मीडिया रिपोर्टों से यह भी पता चलता है कि हमारा आदेश आने तक पुलिस मूकदर्शक बनी रही.

अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य में फ्लैश हड़ताल किसी राजनीतिक समूह, पार्टी या किसी अन्य के समर्थन के नहीं हो सकती थी. अदालत ने कहा कि हम नागरिकों के जीवन खतरे में नहीं डाल सकते हैं, कान खोलकर सुन लें-अगर फिर भी कोई ऐसा करता है तो उसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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