ग्वालियर. नामीबिया से दो सप्ताह पहले आए आठ चीतों में से जिस मादा चीता को पीएम मोदी ने आशा नाम दिया था, उसने प्रोजेक्ट की सफलता की पहली उम्मीद बंंधा दी है. आशा गर्भवती है. चीतों की देखरेख कर रही टीम के अधिकारियों के अनुसार आशा में वह सभी प्रकार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जो गर्भवती मादा चीते में होते हैं. साढ़े तीन साल की आशा गर्भवती हो सकती है.
यह संकेत नामीबिया से चीतों को भारत लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चीता कन्जर्वेशन फंड की प्रमुख लौरी मार्कर ने भी दिए हैं. मार्कर के अनुसार चूंकि आशा नामीबिया में प्राकृतिक जंगली वातावरण में रह रही थी. इसलिए उसका गर्भाधान नामीबिया में ही हुआ है. यह भारत के लिए दोहरा उपहार जैसा है. मार्कर के अनुसार गर्भ अवधि के दौरान आशा को पूर्ण रूप से शांत माहौल की जरूरत होगी. उसके आसपास लोगों का जाना प्रतिबंधित करना होगा. जिससे उसका तनाव कम हो और वह अच्छे से चीतों को जन्म दे सके.
उल्लेखनीय है कि 17 सितंबर को अफ्रीका के नामीबिया से 8 चीतों को श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में लाया गया था. इन्हें बाड़े में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छोड़ा था. इसके बाद उन्होंने मादा चीता का नाम आशा दिया था. साथ ही अन्य चीतों के नामकरण के लिए एक प्रतियोगिता भी आयोजित की है. जिसमें देश के लोगों को चीतों के नाम सुझाने होंगे. जिस मादा चीता का नाम प्रधानमंत्री ने आशा दिया था. उसी आशा के गर्भवती होने से उम्मीद की किरण जागी है. महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि सत्तर साल बाद देश में चीते जन्म लेंगे. इससे आगे की उम्मीद बंधी है.कूनो नेशनल पार्क भी नन्हें चीतों के आगमन को लेकर और उनके स्वागत के लिए तैयार है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जम्मू-कश्मीरः गुरेज सेक्टर में सेना का चीता हेलीकॉप्टर क्रैश, रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू
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