ज्योतिष कोई जादू की छड़ी नहीं है ! ज्योतिष एक विज्ञानं है ! ज्योतिष में जो ग्रह आपको नुकसान करते है, उनके प्रभाव को कम कर दिया जाता है और जो ग्रह शुभ फल देता है, उनके प्रभाव को बढ़ा दिया जाता है.
जन्म-पत्रिका के किसी भी भाव में शनि-राहू की युति हो तो प्रेत श्राप का निर्माण करती है. शनि-राहू युति भाव के फल को पूरी तरह बिगाड़ देती है तथा लाख यत्न करने पर भी उस भाव का उत्तम फल प्राप्त नहीं होता है.
शनि राहु की युति के लिये भी कई बाते मानी जाती है, शनि राहु अगर अपनी युति बनाकर लगन में विराजमान है और लगनेश से सम्बन्ध रखता है तो व्यक्ति एक शरीर से कई कार्य एक बार में ही निपटाने की क्षमता रखता है.
वह अच्छे कार्यों को भी करना जानता है और बुरे कामों को भी करने वाला होता है, वह जाति के प्रति भी कार्य करता है और कुजाति के प्रति भी कार्य करता है. वह कभी तो आदर्शवादी की श्रेणी में अपनी योग्यता को रखता है तो कभी बेहद गंदे व्यक्ति के रूप में समाज में अपने को प्रस्तुत करता है. यह प्रभाव उम्र के दो तिहाई समय तक ही प्रभावी रहता है.
वह चाहे धन का भाव हो, सन्तान सुख, जीवन साथी या कोई अन्य भाव. भाग्य हर कदम पर रोड़े लेकर खड़ा सा दिखता है जिसको पार करना बार-बार की हार के बाद जातक के लिए अत्यन्त कठिन होता है.
शनि + राहू = प्रेत श्राप योग यानि ऐसी घटना जिसे अचनचेत घटना कहा जाता है अचानक कुछ ऐसा हो जाना जिसके बारे में दूर दूर तक अंदेशा भी न हो और भारी नुक्सान हो जाये. इस योग के कारण एक के बाद एक मुसीबत बढ़ती जाती है .
यदि शनि या राहू में से किसी भी ग्रह की दशा चल रही हो
ऐसे योग वाले के घर में निशानी होती है की जगह जगह दरारें पड़ना. सफाई के बावजूद भी गंदी बदबू आते रहना. घर में से जहरीले जीव जन्तु निलकना बिच्छू - सांप आदि
इस लिए ये प्रेत श्राप योग भारी मुसीबतें ले कर आता है और इस योग के दशम भाव पर प्रभाव के कारण ही चलते हुए काम बंद हो जाते हैं.
सप्तम भाव पर प्रभाव के कारण ही शादिया टूट जाती है. अष्टम भाव पर इसका प्रभाव हो तो जातक पर जादू – टोना जैसा अजीब सा प्रभाव रहता है . नवम भाव में हो तो भाग्य हीनता ही रहती है. एकादश भाव में हो तो मुसीबतों से लड़ता लड़ता इंसान हार कर बैठ जाता है मेहनत के बाद भी फल नही पाता आदि कुंडली के सभी भावों में इसका बुरा प्रभाव रहता है.
व्यक्ति जीवन में अनेक रुपों में सुख भोगता है. कभी अपने तो कभी परिवार के सुख की लालसा जन्म से लेकर मृत्यु तक साथ चलती है.
धर्म में आस्था रखने वाला व्यक्ति इन सुखों को पाने या कमी न होने के लिए देवकृपा की हमेशा आस रखता है. हर गृहस्थ या अविवाहित जीवन में बुद्धि, ज्ञान, संतान, भवन, वाहन इन पांच सुखों की कामना जरूर करता है.
यहां इन सुखों का खासतौर पर जिक्र इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जब किसी व्यक्ति की जन्म कुण्डली में शनि-राहु की युति बन जाती है, तब इन पांच सुखों को जरूर प्रभावित करती है.
जन्म कुण्डली में यह पांच सुख चौथे और पांचवे भाव नियत करते हैं. खासतौर पर जब जन्मकुण्डली में शनि-राहु की युति चौथे भाव में बन रही हो. तब वह पांचवे भाव पर भी असर करती है.
हालांकि दूसरे ग्रहों के योग और दृष्टि अच्छे और बुरे फल दे सकती है. लेकिन यहां मात्र शनि-राहु की युति के असर और उसकी शांति के उपाय पर गौर किया जा रहा है.
हिन्दू पंचांग में शनिवार का दिन न्याय के देवता शनि की उपासना कर पीड़ा और कष्टों से मुक्ति का माना जाता है. यह दिन शनि की पीड़ा, साढ़े साती या ढैय्या से होने वाले बुरे प्रभावों की शांति के लिए भी जरुरी है.
किंतु शनिवार का दिन एक ओर क्रूर ग्रह राहु दोष की शांति के लिए भी अहम माना जाता है. राहु के बुरे प्रभाव से भयंकर मानसिक पीड़ा और अशांति हो सकती है.
इसी तरह यह दिन रामभक्त हनुमान की उपासना से संकट, बाधाओं से मुक्त होकर ताकत, अक्ल और हुनर पाने का माना जाता है. यही नहीं श्री हनुमान की उपासना करने वाले व्यक्ति को शनि पीड़ा कभी नहीं सताती है.
ऐसा शास्त्रों में स्वयं शनिदेव की वाणी है. इसी तरह राहु का कोप भी हनुमान उपासना करने वालों को हानि नहीं पहुंचाता. अगर आप इन पांच सुखों को पाने में परेशानी महसूस कर रहे हो या कुण्डली में बनी शनि-राहु की युति से प्रभावित हो, तो यहां जानते हैं सुखों का आनंद लेने के लिए हनुमान भक्ति और शनि-राहु युति की दोष शांति के सरल
उपाय – शनिवार की सुबह यथासंभव जितना जल्दी हो सके उठकर स्नान करें. स्वच्छ वस्त्र पहनें. एक शुद्ध जल या उसमें गंगाजल मिलाकर घर के समीप या मंदिर में स्थित पीपल के पेड़ में जाकर चढ़ाएं. पीपल की सात परिक्रमा करें.
सरसों के तेल का दीपक लगाएं. इसी तरह किसी मंदिर के बाहर बैठे भिक्षुक को तेल में बनी वस्तुओं जैसे कचोरी, समोसे, सेव, पकोड़ी यथाशक्ति खिलाएं या उस निमित्त धन दें.
श्री हनुमान की प्रतिमा के सामने एक नारियल पर स्वस्तिक बनाकर अर्पित कर दें. यह तीन उपाय न केवल आपकी मुसीबतों को कम करते हैं,बल्कि जीवन को सुखी और शांति से भर देते हैं.
हनुमान चालीसा का पाठ भी बहुत प्रभावी होता है. शनि मंदिर में जाकर लोहे की वस्तु चढाएं या दान करें,
नोट --- कोई भी ग्रह जब तक अपना प्रभाव अच्छा या बुरा नहीं दिखाता है जब तक अपनी दशाओं में नहीं आता है क्योंकि जब महादशा शुरू होती है किसी भी ग्रह की फिर उस जातक पर जो महादशा चल रही होती है उसी का पूरा प्रभाव होता है और पूरी कुंडली का भार वही ग्रह संभालता है जितने सालों की वह ग्रह महादशा में चलेगा आपका जीवन का सारा भार उसी ग्रह के ऊपर होता है. इसलिए उपाय भी जब भी काम करते हैं जब उस ग्रह का दशा चल रही होती हैं.
शक्ति उपासक----आचार्य पटवाल
Shakti-Upasak Acharya Patwal
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