कुण्डली के 12 भावो में गुरु चाण्डाल योग का फल

कुण्डली के 12 भावो में गुरु चाण्डाल योग का फल

प्रेषित समय :21:04:06 PM / Mon, Nov 29th, 2021

1-यदि लग्न में गुरू चाण्डाल योग बन रहा है तो व्यक्ति का नैतिक चरित्र संदिग्ध रहेगा. धन के मामलें में भाग्यशाली रहेगा. धर्म को ज्यादा महत्व न देने वाला ऐसा जातक आत्म केन्द्रित नहीं होता है.

2-यदि द्वितीय भाव में गुरू चाण्डाल योग बन रहा है और गुरू बलवान है तो व्यक्ति धनवान होगा. यदि गुरू कमजोर है तो जातक धूम्रपान व मदिरापान में ज्यादा आशक्त होगा. धन हानि होगी और परिवार में मानसिक तनाव रहेंगे.

3-तृतीय भाव में गुरू व राहु के स्थित होने से ऐसा जातक साहसी व पराक्रमी होती है. गुरू के बलवान होने पर जातक लेखन कार्य में प्रसिद्ध पाता है और राहु के बलवान होने पर व्यक्ति गलत कार्यो में कुख्यात हो जाता है.

4-चतुर्थ घर में गुरू चाण्डाल योग बनने से व्यक्ति बुद्धिमान व समझदार होता है. किन्तु यदि गुरू बलहीन हो तो परिवार साथ नहीं देता और माता को कष्ट होता है.

5-यदि पंचम भाव में गुरू चाण्डाल योग बन रहा है और बृहस्पति नीच का है तो सन्तान को कष्ट होगा या सन्तान गलत राह पकड़ लेगा. शिक्षा में रूकावटें आयेंगी. राहु के ताकतवर होने से व्यक्ति मन असंतुलित रहेगा.

6-षष्ठम भाव में बनने वाले गुरू चाण्डाल योग में यदि गुरू बलवान है तो स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और राहु के बलवान होने से शारीरिक दिक्कतें खासकर कमर से सम्बन्धित दिक्कतें रहेंगी एंव शत्रुओं से व्यक्ति पीडि़त रह सकता है.

7-सप्तम भाव में बनने वाले गुरू चाण्डाल योग में यदि गुरू पाप ग्रहों से पीडि़त है तो वैवाहिक जीवन कष्टकर साबित होगा. राहु के बलवान होने से जीवन साथी दुष्ट स्वभाव का होता है.

8-यदि अष्टम भाव में गुरू चाण्डाल योग बन रहा है और गुरू दुर्बल है तो आकस्मिक दुर्घटनायें, चोट, आपरेशन व विषपान आदि की आशंका रहती है. ससुराल पक्ष से तनाव भी बना रहता है. इस योग के कारण अचानक समस्यायें उत्पन्न होती है.

9-नवम भाव में बनने वाले गुरू चाण्डाल योग में गुरू के क्षीण होने से धार्मिक कार्यो में कम रूचि होती है एंव पिता से वैचारिक सम्बन्ध अच्छे नहीं रहते है. पिता के लिए भी यह योग कष्टकारी साबित होता है..    10-दशम भाव में बनने वाले गुरू चाण्डाल योग में व्यक्ति में नैतिक साहस की कमी होती, पद, प्रतिष्ठा पाने में बाधायें आती है. व्यवसाय व करियर में समस्यायें आती है. यदि गुरू बलवान है तो आने वाली बाधायें कम हो जाती है.

11-एकादश भाव में बनने वाले गुरू चाण्डाल योग में राहु के बलवान होने से धन गलत तरीके से भी आता है. दुष्ट मित्रों की संगति में पड़कर व्यक्ति गलत रास्ते पर भी चल पड़ता है. यदि गुरू बलवान है तो राहु के अशुभ प्रभावों को कुछ कम कर देगा.

12-द्वादश भाव में बन रहेे गुरू चाण्डाल योग में आध्यात्मिक आकांक्षाओं की प्राप्ति भी गलत मार्ग से होती है. राहु के बलवान होने से शयन सुख में कमी रहती है. आमदनी अठन्नी खर्चा रूपया रहता है. गुरू यदि बलवान है तो चाण्डाल योग का दुष्प्रभाव कम रहता है.

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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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