चंद्रयान-2 को मिली बड़ी कामयाबी, इसरो ने पहली बार चांद की सतह पर बड़ी मात्रा में सोडियम को खोजा

चंद्रयान-2 को मिली बड़ी कामयाबी, इसरो ने पहली बार चांद की सतह पर बड़ी मात्रा में सोडियम को खोजा

प्रेषित समय :16:05:46 PM / Sat, Oct 8th, 2022

नई दिल्ली. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने चंद्रमा पर पहली बार बड़ी मात्रा में सोडियम का पता लगाया है. यह काम ऑर्बिटर में लगे एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर क्लास ने कर दिखाया है. इस कामयाबी से चांद पर सोडियम की सटीक मात्रा का पता लगाने का रास्ता खुल गया है.

द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित इसरो की इस रिसर्च में कहा गया है कि क्लास स्पेक्ट्रोमीटर अपनी भारी संवेदनशीलता और अच्छी परफॉर्मेंस के कारण चांद पर सोडियम की पतली परत को खोज पाया है. इसे बेंगलुरु में इसरो के यूआर राओ सैटेलाइट सेंटर में बनाया गया है.

रिसर्चर्स का कहना है कि सोडियम की परत चंद्रमा की जमीन के कणों से कमजोर रूप से जुड़ी हो सकती है. यदि ये सोडियम चांद के खनिजों का हिस्सा है, तो इन सोडियम एटम्स को सौर वायु या पराबैंगनी विकिरण से ज्यादा आसानी से सतह से बाहर निकाला जा सकता है.

चंद्रमा पर सोडियम मिलना दिलचस्प

चांद की जिस सतह पर सोडियम मिला है, उसे एक्सोस्फेयर कहा जाता है. यह इलाका चांद की सतह से शुरू होकर हजारों किलोमीटर तक फैला है. चंद्रयान-2 की यह खोज चांद और एक्सोस्फेयर के बीच संबंध और तालमेल को जांचने में मदद करेगी. चंद्रमा के हल्के वायुमंडल में सोडियम की मौजूदगी एक ऐसा दिलचस्प पहलू है, जिसने वैज्ञानिकों की इस तत्व में रुचि और बढ़ा दी है.

इससे पहले भी हो चुकी खोज

चंद्रयान-2 से पहले चंद्रयान-1 के एक्स-रे फ्लोरेसेंस स्पेक्ट्रोमीटर ने भी चंद्रमा की सतह पर सोडियम होने की संभावना जताई थी. साथ ही अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के अपोलो मिशन, सोवियत यूनियन के लूना प्रोग्राम और चीन के चांग ई मिशन से मिले सैंपल्स की स्टडी में भी कुछ डेटा मिला था. हालांकि, बड़ी मात्रा में सोडियम चंद्रयान-2 ने ही खोजा है.

चंद्रयान-2 मिशन क्या है?

चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है. इसे 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा रेंज से रवाना किया गया था. इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं. चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था. 6 सितंबर 2019 को चंद्रयान-2 के जरिए इसरो ने चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग का पहला प्रयास किया था. इस मिशन में अंत तक सब कुछ ठीक रहा, लेकिन लैंडिंग से महज 500 मीटर पहले लैंडर से संपर्क टूट गया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

इसरो ने किया नई टेक्नोलॉजी इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर का सफल परीक्षण

इसरो ने पहले स्मॉल सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल मिशन को अंतरिक्ष में स्थापित कर रचा इतिहास

इसरो के सबसे छोटे रॉकेट एसएसएलवी की लॉन्चिंग फेल, ऑरबिट तक नहीं पहुंच पाया सैटेलाइट

इसरो में इंटरव्यू देकर नौकरी पाने का मौका, इस तारीख तक रोजाना होगा साक्षात्कार

इसरो ने चीनी कंपनी ओप्पो की भारतीय इकाई से मिलाया हाथ, NavIC मैसेजिंग सर्विस के लिए मिलकर करेंगे रिसर्च

रेलवे ने इसरो के साथ मिलकर बदला अपना 31 साल पुराना सॉफ्टवेयर, अब यात्रियों को मिलेगी ज्यादा सुविधा

क्रायोजेनिक स्टेज में तकनीकी खराबी से इसरो का EOS-03 सैटेलाइट लॉन्चिंग मिशन फेल

Leave a Reply