पल-पल इंडिया. बिहार क्रांति की तलाश में पदयात्रा पर निकले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इन दिनों सियासी उलझन में हैं, वजह?
उनकी राजनीतिक बातों में दम है, लेकिन उनके सियासी सफर में ठहराव आता जा रहा है, बीजेपी में मोदी टीम के एकाधिकार की नीति उन्हें आगे नहीं बढ़ने दे रही थी, तो विपक्ष उन्हें अब भी बीजेपी का ही सियासी मोहरा मानता है!
इसका कारण भी यही रहा कि पीके, नीतीश कुमार पर तो निशाना साधते रहे हैं, लेकिन मोदी पर खामोश ही रहे हैं?
लेकिन.... अब लगता है कि पीके को समझ में आ गया है कि जनता के बीच उन्हें इमेज बनानी है, तो उन्हें हर उस राजनेता पर निशाना साधना होगा, जो जनता की परेशानियों के लिए जिम्मेदार है!
खबरों की मानें तो अब तक पीके केवल नीतीश सरकार पर हमला कर रहे थे, परन्तु अब उन्होंने बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी पर भी शब्दबाण चलाए हैं, बोल रहे हैं कि- नरेंद्र मोदी को 26 सांसद देने वाले गुजरात के लिए बुलेट ट्रेन है, पर 39 सांसद देने वाले बिहार के लिए पैसेंजर ट्रेन भी नहीं है?
इतना ही नहीं, बेरोजगारी के लिए वे केंद्र और राज्य सरकार, दोनों पर निशाना साध रहे हैं!
सियासी सयानों का मानना है कि पीके ने लोकप्रियता तो हासिल कर ली है, लेकिन उसके दम पर सत्ता में असरदार भूमिका प्राप्त करना आसान नहीं है?
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