प्रदीप द्विवेदी. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और प्रमुख उद्योगपति गौतम अडानी मिले और इस मुलाकात के बाद गोदी मीडिया ने राहुल गांधी पर सवाल-पे-सवाल दागे, लेकिन किसी ने पीएम मोदी से कोई सवाल नहीं किया, जबकि सवाल तो मोदीजी से होना चाहिए था कि.... तपस्या में क्या कमी रह गई, जो अडानी के कदम राजस्थान की ओर बढ़ गए?
हालांकि, राहुल गांधी ने बड़ी शांति और तर्क के साथ अपनी बात रख दी कि अडानी का विरोध नहीं है, सवाल तो पीएम मोदी के पक्षपात पूर्ण रवैये का है?
पल-पल इंडिया में इस मुलाकात के बाद, अशोक गहलोत और गौतम अडानी मिले, राहुल गांधी तो शांत, मोदी टीम अशांत क्यों? में लिखा था कि.... जयपुर में 7-8 अक्टूबर 2022 को दो दिन का इन्वेस्ट राजस्थान कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत सहित कई प्रमुख व्यवसायी मौजूद रहे, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा- अशोक गहलोत और गौतम अडानी की मुलाकात की है!
इस मुलाकात के बाद से बीजेपी की सियासी बेचैनी बढ़ गई है, काहे?
इस कार्यक्रम में अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने आने वाले समय में राजस्थान में 40,000 नई नौकरियों के अवसर पैदा करने की बात कही!
इस मुलाकात के बाद बीजेपी ने न केवल सियासी शब्दबाण चलाए, बल्कि राहुल गांधी और अशोक गहलोत को आमने-सामने दिखाने की भी नाकामयाब कोशिश की, यह बात अलग है कि राहुल गांधी ने इसे लेकर तस्वीर एकदम साफ कर दी?
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कर्नाटक के तुमकुरु में प्रेस से बात करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी से जब राजस्थान के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि- अडानी ने राजस्थान को 60 हज़ार करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव दिया, कोई भी मुख्यमंत्री ऐसे प्रस्ताव को नहीं ठुकरा सकता, राजस्थान के मुख्यमंत्री ने अडानी को न कोई तरजीह दी, न ही अपनी राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल उन्हें उनके बिज़नेस में मदद करने के लिए किया है, मेरा विरोध ये है कि बीजेपी सरकार ने भारत के सभी बिज़नेस में दो-तीन लोगों को एकाधिकार दे रखा है, मैं इसके खिलाफ हूं, मैं बिज़नेस या कॉरपोरेट के खिलाफ़ नहीं हूं, मैं पूंजी के केंद्रीयकरण के खिलाफ हूं, अगर पूरी की पूरी राजनीतिक शक्तियां ग़लत तरीक़े से दो या तीन लोगों की मदद करने में लग जाएं, तो इसमें हिंदुस्तान का नुक़सान होता है, अगर राजस्थान की सरकार ने अडानी जी को ग़लत तरीक़े से राजस्थान में बिज़नेस दिया, तो मैं उसके खिलाफ खड़ा हो जाउंगा, अगर सही प्रक्रिया के तहत दिया है, तो मुझे उससे कोई परेशानी नहीं है!
इस जवाब के साथ ही इस मुद्दे को लेकर की गई सारी राजनीति ढेर हो गई?
इतना ही नहीं, सीएम गहलोत ने भी जवाबी बयानी हमला किया, पे बोले.... हमने कोरोना काल में भी निवेशकों को सुविधाएं दी हैं, उसके बाद भी हमने उनके लिए कई स्कीमें लॉन्च की हैं, आने वाले वक्त में हम प्रदेश में रोज़गार बढ़ाने पर काम कर रहे हैं, बीजेपी इस बात को मुद्दा बना रही है, लेकिन ये उनके लिए उल्टा पड़ेगा, क्योंकि नौजवान बोलेगा कि हमें सुविधा मिल रही है, तो आप उसमें क्यों बाधा उत्पन्न कर रहे हैं?
सीएम गहलोत ने कहा कि- दुनिया के किसी भी कोने से लोग निवेश करने आएं तो उन्हें सुविधाएं चाहिए. आज हमारी कोशिश है कि यहां और उद्योगपति आएं. हमारी कोशिश है कि उन्हें परेशानी न हो. इसमें हम काफ़ी हद तक कामयाब भी हुए हैं!
सियासी सयानों का सवाल है कि बड़े उद्योगपति जब चीन-पाकिस्तान में कारोबार करते हैं, तो किसी को आपत्ति नहीं होती है, फिर राजस्थान को लेकर इतनी चिंता क्यों है?
दरअसल, दिक्कत तो यह है कि यदि उद्योगपतियों की कारोबारी सोच का विकेंद्रीकरण हो गया, तो क्या होगा?
क्योंकि.... मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के ढेर होने के बाद भरोसी की कमी का सवाल तो कायम हुआ ही है!
अशोक गहलोत और गौतम अडानी मिले, राहुल गांधी तो शांत, मोदी टीम अशांत क्यों?
https://twitter.com/Pradeep80032145/status/1578786176181346305
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