पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर में ईसाई धर्मगुरु पीसी सिंह की पत्नी नोरा सिंह अभी तक ईओडब्ल्यू की गिरफ्त से बाहर है. नोरासिंह को पीसी सिंह ने चर्च की ही 8 संस्थाओं का मैनेजर बना दिया. एक साथ 8 संस्थाओं में नोरासिंह के कार्यरत होने के चलते उन्हे अच्छा खासा वेतन भी मिलता रहा. यह खुलासा ईओडब्लयू द्वारा की जांच में हुआ है. इसके बाद भी नोरासिंह अभी तक ईओडब्ल्यू की गिरफ्त से बाहर क्यों है. यह सवाल अब इन संस्थाओं से जुड़े अधिकारियों, कर्मचारियों से लेकर टीचर तक हो रही है.
राज्य आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) द्वारा ईसाई धर्मगुरु व पूर्व बिशप पीसी सिंह पर की गई कार्रवाई के बाद जैसे जैसे जांच आगे बढ़ी, नए नए खुलासे होते चले गए. पीसी सिंह ने सुरेश जैकब की मदद से मिशनरी की जमीनों की खरीद फरोख्त में करोड़ों रुपए कमाए. वहीं डायोसिस की संस्थाओं से मिलने वाली फीस क ा निजी व धार्मिक कार्याे में उपयोग किया. इन रुपयों ने लग्जरी गाडिय़ां तक खरीदी गई. वहीं एक और बढ़ा खुलासा यह था कि पीसी सिंह ने अपने पत्नी नोरासिंह को 8 संस्थाओं में मैनेजर के रुप में पदस्थ कर दिया. एक महिला द्वारा आठ संस्थाओं में एक साथ नौकरी करने का मामला सामने आया, जिसे सुनकर लोगों के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. इन आठ संस्थाओं से नोरा सिंह ने 6 साल में करीब 57 लाख रुपए वेतन के रुप में प्राप्त किए. इतना बड़ा धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद नोरा सिंह आज भी ईओडब्ल्यू की गिरफ्त से बाहर है. नोरासिंह का ईओडब्ल्यू की गिरफ्त से अभी तक बाहर होना अब चर्चा का विषय बन गया है. जबकि यह बात ईओडब्ल्यू की जांच में ही साफ हो चुकी है कि नोरासिंह ने एक साथ 8 संस्थाओं में नौकरी करने के नाम पर धोखाधड़ी करते हुए लाखों रुपए कमाए है. इधर ईओडब्ल्यू की टीम आने वाले दिनों में नोरासिंह को भी गिरफ्त में ले सकती है.
जबलपुर में बैठकर 350 किलोमीटर दूर की संस्था में करती रही नौकरी-
ईओडब्ल्यू की टीम को जांच में यह जानकारी लगी कि जबलपुर में रहकर नोरासिंह 350 किलोमीटर दूर बर्जेस गल्र्स हॉस्टल में मैनेजर के पद पर कार्यरत रही. इसी तरह जबलपुर से करीब 90 किलोमीटर दूर कटनी के बाडस्ले स्कूल व दमोह के मिशन स्कूल में मैनेजर के पद पर पदस्थ रही. यह बात अलहदा है कि सबकुछ कागजों पर ही होता रहा.
इन 8 संस्थाओं से मिलता रहा हर माह वेतन-
ईसाई धर्मगुरु पीसी सिंह ने अपनी पत्नी को चर्च के आशा विकास केंद्र की डायरेक्टर, शिशु संगोपन गृह की डायरेक्टर, क्राइस्ट चर्च आईसीएससी स्कूल की मैनेजर, क्राइस्ट चर्च गल्र्स की मैनेजर, कटनी के बाडस्ले स्कूल में मैनेजर, दमोह के मिशन स्कूल में मैनेजर, जबलपुर से करीब 350 किलोमीटर दूर बर्जेस गल्र्स हास्टल की मैनेजर के पद पर पदस्थ कर दिया. इन सभी संस्थाओं से नोरासिंह को प्रतिमाह खासा वेतन प्राप्त होता रहा. क्योंकि इन सभी संस्थाओं में एक साथ नोरासिंह काम जो करती रही. अब यह सवाल उठता है कि आखिर वह इन सभी संस्थाओं में एक साथ कैसे नौकरी कर सकती है. तो यह सबकुछ पीसी सिंह के रौब व दबंगई के चलते संभव हुआ है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर: रेलवे अस्पताल में डाक्टर को दिखाने कतार में खड़े रेल कर्मचारी की मौत, आक्रोश
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