सुभाष शर्मा, उदयपुर. राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथद्वारा शहर में विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा विश्वास स्वरूपम 'स्टैच्यू ऑफ बिलीव' को शनिवार 29 अक्टूबर 2022 को आम लोगों के लिए समर्पित कर दी गई है. शाम 4 बजे प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू के हाथों इसका लोकार्पण किया गया. इस मौके पर बापू के अलावा, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, योगगुरु बाबा रामदेव भी मौजूद रहे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शीश पर जाकर जलाभिषेक भी किया. इस अवसर पर राज्य विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल, लाल चंद कटारिया, उदयलाल आंजना भी मौजूद थे.
संत मोरारी बापू ने रामकथा के लिए बनाए गए पंडाल में शिव प्रतिमा की रेप्लिका का अनावरण करते हुए मूल प्रतिमा को लोकार्पित किया. प्रतिमा अनावरण का कार्यक्रम नौ दिन तक चलेगा और इस दौरान संत की रामकथा चलेगी. 9 दिनों तक चलने वाले इस लोकार्पण महोत्सव में देश-विदेश से कई भक्त और वीआईपी गेस्ट भी पहुंचेंगे जिनके ठहराने की व्यवस्था तत पदम संस्थान के ट्रस्टी ने की है.
शिव प्रतिमा के लोकार्पण अवसर पर मुख्यमंत्री
कार्यक्रम के दौरान विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने कहा आज से दस साल पहले संत और मुख्यमंत्री गहलोत ने ही शिवजी की प्रतिमा का शिलान्यास किया था और आज भी वह अवसर आया कि उन्हीं के हाथों प्रतिमा को लोकार्पित किया गया. हालांकि कल्पना भी नहीं की थी, ऐसी प्रतिमा हमारे सामने बन के आएगी.
गौरतलब है कि कथावाचक संत मोरारी बापू शुक्रवार रात को विशेष विमान से उदयपुर पहुंचे थे और जहां से सड़क मार्ग के जरिए मूर्ति निर्माता उद्यमी मदन पालीवाल के घर पहुंचे. रात्रि विश्राम करने के बाद वह प्रतिमा स्थल पर लोकार्पण समारोह में आए थे. इधर, कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गणेश टेकरी पर बनाए गए हेलीपैड पर पहुंचे और कार्यक्रम में शिरकत की. उनका हैलीपेड पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, मंत्री शांति धारीवाल, लालचंद कटारिया और उदय लाल आंजना ने अगवानी की.
गौरतलब है कि विश्व की सबसे बड़ी शिव प्रतिमा का निर्माण तत पदम् उपवन संस्थान नाथद्वारा के ट्रस्टी मदन पालीवाल ने कराया है. यह अंदर से भी विशाल है. जिसमें 4 लिफ्ट के साथ इसकी ऊंचाई पर 700 सीढ़ियों के जरिया जाया जा सकता है.
500 से ज्यादा सिक्योरिटी तैनात, 1 हजार सीसीटीवी
आयोजन को लेकर सिक्योरिटी का खासा ध्यान रखा गया है. यहां 500 से ज्यादा पुलिस जवान और सिक्योरिटी गार्ड तैनात किए गए हैं. इसके अलावा कथा के साथ आवास और भोजन प्रसाद के लिए भी सभी को अलग-अलग पास अलॉट किए गए हैं. इन पास के जरिए ही सभी को एंट्री दी जा रही है.
उदयपुर-अजमेर सिक्स लेन पर नाथद्वारा में गणेश टेकरी पर संत कृपा सनातन संस्थान के ट्रस्टी मदन पालीवाल द्वारा निर्माण कराई गई यह प्रतिमा इतनी विशाल है कि अजमेर रोड से आते समय बीस किलोमीटर पहले ही दिखाई देने लगती है. 369 फीट ऊंची शिव प्रतिमा को बनाने में दस साल लगे और यह इतनी मजबूत है कि 250 किलोमीटर की रफ्तार से तेज हवा चलने और अतिवृष्टि में भी इसे नुकसान नहीं पहुंचेगा. इसके निर्माता आस्ट्रेलिया और अमेरिका की कंपनी का कहना था कि 2500 साल तक यह प्रतिमा इसी तरह रहेगी.
बाहर से ही नहीं, यह प्रतिमा अंदर से भी इतनी विशाल की छोटा-मोटा गांव बस सके
शिव प्रतिमा विश्वास स्वरूपम प्रतिमा बाहर से ही नहीं, बल्कि अंदर से भी इतनी बड़ी है कि इसके अंदर छोटा-मोटा गांव बस सकता है. इसके अंदर बने हाल में एक साथ 10 हजार लोग रह सकते हैं. बाहर से देखा जाए तो यह प्रतिमा 369 फीट हाइट की है, वहीं अंदर से इसे पूरी तरह देखने में चार घण्टे का समय लगेगा.
चार लिफ्ट, जिसके जरिए शिव प्रतिमा के कंधे तक जाया जा सकेगा
शिव प्रतिमा के अंदर अलग-अलग ऊंचाई तक जाने के लिए 4 लिफ्ट लगी हैं. यहां दर्शन करने आने वाले लोगों को 20 फीट से लेकर 351 फीट की ऊंचाई तक का सफर करवाया जाएगा. इसमें लिफ्ट के जरिए 270 फीट की ऊंचाई तक जाकर शिवजी के बाएं कंधे पर लगे त्रिशूल के दर्शन किए जा सकेंगे. यहीं से 'तद पदम उपवन' जहां शिव प्रतिमा गणेश टेकरी पर निर्मित है, को देखा जा सकता है.
शीशे से बना ब्रिज, जिससे गुजरना हर किसी के बस का नहीं
प्रतिमा पर 270 से 280 फीट की ऊंचाई पर जाने के लिए एक छोटा से ब्रिज बनाया गया है. इसकी खासियत है कि यह ब्रिज पत्थर या आरसीसी का नहीं, बल्कि शीशे से बनाया गया है. 21 सीढ़ियों को पार करने में ही इतना वक्त लग जाता है, जितने में आदमी पांच से दस मंजिल चढ़ जाए. शीशे से बनी सीढ़ियों से ग्राउंड फ्लोर का नजारा बेहद ही दर्शनीय है. 280 फीट की ऊंचाई पर भगवान शिव का दायां कंधा है, जहां से भगवान शिव के नाग के दर्शन आपको आसानी से हो सकेंगे. शिव प्रतिमा में एक एक्पीरियंस गैलरी का काम फिलहाल जारी है, जहां प्रोजेक्टर के जरिए यह बताया जाएगा कि इस प्रतिमा को बनाने में कितना समय लगा और किन किन चरणों में यह बनाई गई.
भगवान शिव श्रीनाथजी से मिलने यहीं आए थे!
गणेश टेकरी पर भगवान शिव की प्रतिमा बनाने के पीछे की रोचक कहानी है. प्रतिमा के निर्माता मदन पालीवाल बताते हैं कि ऐसी मान्यता है शिवजी भगवान श्रीनाथजी से मिलने नाथद्वारा आए थे और उन्होंने अरावली पर्वत की इस पर्वतमाला पर उनका इंतजार किया, जिसे गणेश टेकरी कहा जाता है. इसलिए शिवजी की प्रतिमा का निर्माण गणेश टेकरी पर कराए जाना तय किया गया. पूर्व में शिव प्रतिमा की ऊंचाई 251 फीट रखा जाना था लेकिन बाद में इसे 369 फीट तक ऊंचा बनाया गया.
पचास हजार मजदूरों को शिव प्रतिमा को बनाने में लगे दस साल
विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा के निर्माण में दस साल का समय लगा. हर दिन 50 हजार से अधिक मजदूरों ने इसमें काम किया. कोरोना के दौरान जब-जब लॉकडाउन रहा तब काम बंद किया गया. इस बीच मौका मिलता तो कारीगर काम पर लौट आते और प्रतिमा को पूरा करने के लिए दिन-रात जुटे रहते.
110 फीट की ऊंचाई पर विराजमान है भगवान शिव
विश्व के सबसे बड़ी शिव प्रतिमा जिस जगह विराजित हैं, उसकी ऊंचाई 110 फीट है. इसके बाहरी हिससे को कैलाश पर्वत जैसा रूप दिया गया है ताकि लगे कि भगवान शिव कैलाश पर्वत पर विराजमान हैं. मान्यता के अनुसार भगवान शिव का कमंडल और डमरू बनाया गया है. कहा जाता है कि जब शिवजी नाथद्वारा आए तो उन्होंने अपना कमंडल और डमरू पीछे छोड़ दिया था. इसलिए इस प्रतिमा में भगवान शिव का त्रिशूल है. जहां डमरू और कमंडल छोड़ा गया था वहां अलग से इनका स्टैच्यू बनाया जाएगा.
शिव प्रतिमा के चरणों तक जाने पर नहीं लगेगा टिकट, अंदर जाना होगा तो देना होगा शुल्क
शिव प्रतिमा के चरणों तक जाने के लिए यहां आने वाले भक्तों को टिकट नहीं देना होगा. जिन भक्तों को प्रतिमा के अंदर जाना है, उन्हें तय शुल्क देना होगा. हालांकि फिलहाल यह तय नहीं किया गया है. रामकथा संपन्न होने से पहले इसकी जानकारी शिव प्रतिमा की साइड स्टैच्यू आफ बिलिव पर दी जाएगी.
2012 में मुरारी बापू ने रखी थी नींव
इस प्रतिमा का लोकार्पण संत मोरारी बापू के हाथों से होगा. दस साल पहले 18 अगस्त 2012 को संत मोरारी बापू ने ही इस प्रतिमा की नींव रखी थी. तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, डॉ. सीपी जोशी, मिराज ग्रुप के चेयरमैन मदनलाल पालीवाल ने भूमि पूजन किया था.
इस तरह बढ़ती गई ऊंचाई
जब इस प्रतिमा के निर्माण का निर्णय लिया गया तब इसकी ऊंचाई 251 फीट रखना तय किया गया. किन्तु बाद में इसकी ऊंचाई 351 फीट करने का निर्णय लिया गया. जब प्रतिमा 351 फीट की बनकर तैयार हुई तो इस पर गंगा की जलधारा लगाने की राय मिली तो गंगामाता की जलधारा लगाई गई तो इसकी ऊंचाई बढ़कर 369 फीट हो गई.
22 देशों से आए भक्त, नौ दिन कथा सुनेंगे
विश्व की सबसे ऊँची शिव प्रतिमा के लोकार्पण महोत्सव में भाग लेने विश्व के 22 देशों से भक्त नाथद्वारा पहुंच चुके हैं. 1200 लोगों को ठहराने के लिए विशेष स्विस टेंट लगाए गए हैं, जहां होटल जैसी सभी सुविधाएं होंगी. इसके अलावा प्रतिमा निर्माता की ओर से भक्तों को ठहराने के लिए शहर की होटलों में व्यवस्था की गई है.
होंगी सांस्कृतिक संध्या….
संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से नौ दिवसीय रामकथा के साथ ही चार दिवसीय सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया जाएगा. सांस्कृतिक संध्या 2 नवम्बर से प्रारंभ होगी, 2 नवम्बर को गुजराती कलाकार सिद्धार्थ रांधेडिया, 3 नवम्बर को हंसराज रघुवंशी अपनी प्रस्तुति से शिव भाव प्रकट करेंगे, 4 नवम्बर को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें विख्यात कवि कुमार विश्वास के साथ ही अन्य ख्यातनाम कवि काव्य रस से माहौल को शिव रस से सराबोर करेंगे. सांस्कृतिक संध्या के अंतिम दिन 5 नवम्बर को सिंगर कैलाश खैर स्वर लहरियों से समां बांधेंगे!
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