भगवान विष्णु के 24 अवतार

भगवान विष्णु के 24 अवतार

प्रेषित समय :19:37:28 PM / Tue, Nov 8th, 2022

भगवान विष्णु के 24 अवतार,
23 हो चुके है 24 वा (कल्कि अवतार) है बाकी है

ऐसा कहा जाता है कि जब जब पृथ्वी पर कोई संकट आता है तो भगवान अवतार लेकर उस संकट को दूर करते है. भगवान शिव और भगवान विष्णु ने अनेको बार पृथ्वी पर अवतार लिया है. भगवान शिव के 19 अवतारों के बारे में हम आपको बता चुके है आज हम आपको भगवान विष्णु के 24 अवतारों के बारे में बताएँगे. इन में से 23 अवतार अब तक पृथ्वी पर अवतरित हो चुके है जबकि 24 वा अवतार 'कल्कि अवतार' के रूप में होना बाकी है. इन 24 अवतार में से 10 अवतार विष्णु जी के मुख्य अवतार माने जाते है. यह है मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार. कृष्ण अवतार, बुद्ध अवतार, कल्कि अवतार.
1- श्री सनकादि मुनि
धर्म ग्रंथों के अनुसार सृष्टि के आरंभ में लोक पितामह ब्रह्मा ने अनेक लोकों की रचना करने की इच्छा से घोर तपस्या की. उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने तप अर्थ वाले सन नाम से युक्त होकर सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार नाम के चार मुनियों के रूप में अवतार लिया. ये चारों प्राकट्य काल से ही मोक्ष मार्ग परायण, ध्यान में तल्लीन रहने वाले, नित्यसिद्ध एवं नित्य विरक्त थे. ये भगवान विष्णु के सर्वप्रथम अवतार माने जाते हैं.
2- वराह अवतार
धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने दूसरा अवतार वराह रूप में लिया था. वराह अवतार से जुड़ी कथा इस प्रकार है- पुरातन समय में दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया तब ब्रह्मा की नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए. भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर सभी देवताओं व ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की. सबके आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी को ढूंढना प्रारंभ किया. अंत में भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया. इसके बाद भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया.
3- नारद अवतार :
धर्म ग्रंथों के अनुसार देवर्षि नारद भी भगवान विष्णु के ही अवतार हैं. शास्त्रों के अनुसार नारद मुनि, ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक हैं. उन्होंने कठिन तपस्या से देवर्षि पद प्राप्त किया है. वे भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते हैं. देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहते हैं. शास्त्रों में देवर्षि नारद को भगवान का मन भी कहा गया है. श्रीमद्भागवतगीता के दशम अध्याय के 26वें श्लोक में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इनकी महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा है- देवर्षीणाम्चनारद:। अर्थात देवर्षियों में मैं नारद हूं.
4- नर-नारायण
सृष्टि के आरंभ में भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना के लिए दो रूपों में अवतार लिया. इस अवतार में वे अपने मस्तक पर जटा धारण किए हुए थे. उनके हाथों में हंस, चरणों में चक्र एवं वक्ष:स्थल में श्रीवत्स के चिन्ह थे. उनका संपूर्ण वेष तपस्वियों के समान था. धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने नर-नारायण के रूप में यह अवतार लिया था.
5- कपिल मुनि :
भगवान विष्णु ने पांचवा अवतार कपिल मुनि के रूप में लिया. इनके पिता का नाम महर्षि कर्दम व माता का नाम देवहूति था. शरशय्या पर पड़े हुए भीष्म पितामह के शरीर त्याग के समय वेदज्ञ व्यास आदि ऋषियों के साथ भगवा कपिल भी वहां उपस्थित थे. भगवान कपिल के क्रोध से ही राजा सगर के साठ हजार पुत्र भस्म हो गए थे. भगवान कपिल सांख्य दर्शन के प्रवर्तक हैं. कपिल मुनि भागवत धर्म के प्रमुख बारह आचार्यों में से एक हैं.
6- दत्तात्रेय अवतार :
धर्म ग्रंथों के अनुसार दत्तात्रेय भी भगवान विष्णु के अवतार हैं. इनकी उत्पत्ति की कथा इस प्रकार है- एक बार माता लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती को अपने पातिव्रत्य पर अत्यंत गर्व हो गया. भगवान ने इनका अंहकार नष्ट करने के लिए लीला रची. उसके अनुसार एक दिन नारदजी घूमते-घूमते देवलोक पहुंचे और तीनों देवियों को बारी-बारी जाकर कहा कि ऋषि अत्रि की पत्नी अनुसूइया के सामने आपका सतीत्व कुछ भी नहीं.
7- यज्ञ
भगवान विष्णु के सातवे अवतार का नाम यज्ञ है. धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान यज्ञ का जन्म स्वायम्भुव मन्वन्तर में हुआ था. स्वायम्भुव मनु की पत्नी शतरूपा के गर्भ से आकूति का जन्म हुआ. वे रूचि प्रजापति की पत्नी हुई. इन्हीं आकूति के यहां भगवान विष्णु यज्ञ नाम से अवतरित हुए. भगवान यज्ञ के उनकी धर्मपत्नी दक्षिणा से अत्यंत तेजस्वी बारह पुत्र उत्पन्न हुए. वे ही स्वायम्भुव मन्वन्तर में याम नामक बारह देवता कहलाए.
8- भगवान ऋषभदेव :
भगवान विष्णु ने ऋषभदेव के रूप में आठवा अवतार लिया. धर्म ग्रंथों के अनुसार महाराज नाभि की कोई संतान नहीं थी. इस कारण उन्होंने अपनी धर्मपत्नी मेरुदेवी के साथ पुत्र की कामना से यज्ञ किया. यज्ञ से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु स्वयं प्रकट हुए और उन्होंने महाराज नाभि को वरदान दिया कि मैं ही तुम्हारे यहां पुत्र रूप में जन्म लूंगा.
9- आदिराज पृथु
भगवान विष्णु के एक अवतार का नाम आदिराज पृथु है. धर्म ग्रंथों के अनुसार स्वायम्भुव मनु के वंश में अंग नामक प्रजापति का विवाह मृत्यु की मानसिक पुत्री सुनीथा के साथ हुआ. उनके यहां वेन नामक पुत्र हुआ. उसने भगवान को मानने से इंकार कर दिया और स्वयं की पूजा करने के लिए कहा.
10- मत्स्य अवतार
पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए मत्स्यावतार लिया था. इसकी कथा इस प्रकार है- कृतयुग के आदि में राजा सत्यव्रत हुए. राजा सत्यव्रत एक दिन नदी में स्नान कर जलांजलि दे रहे थे. अचानक उनकी अंजलि में एक छोटी सी मछली आई. उन्होंने देखा तो सोचा वापस सागर में डाल दूं, लेकिन उस मछली ने बोला- आप मुझे सागर में मत डालिए अन्यथा बड़ी मछलियां मुझे खा जाएंगी.
11- कूर्म अवतार:
धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने कूर्म (कछुए) का अवतार लेकर समुद्र मंथन में सहायता की थी. भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को कच्छप अवतार भी कहते हैं. इसकी कथा इस प्रकार है- एक बार महर्षि दुर्वासा ने देवताओं के राजा इंद्र को श्राप देकर श्रीहीन कर दिया. इंद्र जब भगवान विष्णु के पास गए तो उन्होंने समुद्र मंथन करने के लिए कहा. तब इंद्र भगवान विष्णु के कहे अनुसार दैत्यों व देवताओं के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने के लिए तैयार हो गए.
12- भगवान धन्वन्तरि :
धर्म ग्रंथों के अनुसार जब देवताओं व दैत्यों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो उसमें से सबसे पहले भयंकर विष निकला जिसे भगवान शिव ने पी लिया. इसके बाद समुद्र मंथन से उच्चैश्रवा घोड़ा, देवी लक्ष्मी, ऐरावत हाथी, कल्प वृक्ष, अप्सराएं और भी बहुत से रत्न निकले. सबसे अंत में भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए. 
13- मोहिनी अवतार :
धर्म ग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान सबसे अंत में धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर निकले. जैसे ही अमृत मिला अनुशासन भंग हुआ. देवताओं ने कहा हम ले लें, दैत्यों ने कहा हम ले लें. इसी खींचातानी में इंद्र का पुत्र जयंत अमृत कुंभ लेकर भाग गया. सारे दैत्य व देवता भी उसके पीछे भागे. असुरों व देवताओं में भयंकर मार-काट मच गई.
देवता परेशान होकर भगवान विष्णु के पास गए.
14- भगवान नृसिंह:
भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था. इस अवतार की कथा इस प्रकार है- धर्म ग्रंथों के अनुसार दैत्यों का राजा हिरण्यकशिपु स्वयं को भगवान से भी अधिक बलवान मानता था. उसे मनुष्य, देवता, पक्षी, पशु, न दिन में, न रात में, न धरती पर, न आकाश में, न अस्त्र से, न शस्त्र से मरने का वरदान प्राप्त था. उसके राज में जो भी भगवान विष्णु की पूजा करता था उसको दंड दिया जाता था.
15- वामन अवतार :
सत्ययुग में प्रह्लाद के पौत्र दैत्यराज बलि ने स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया. सभी देवता इस विपत्ति से बचने के लिए भगवान विष्णु के पास गए. तब भगवान विष्णु ने कहा कि मैं स्वयं देवमाता अदिति के गर्भ से उत्पन्न होकर तुम्हें स्वर्ग का राज्य दिलाऊंगा. कुछ समय पश्चात भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया.एक बार जब बलि महान यज्ञ कर रहा था तब भगवान वामन बलि की यज्ञशाला में गए और राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी.
16- हयग्रीव अवतार :
धर्म ग्रंथों के अनुसार एक बार मधु और कैटभ नाम के दो शक्तिशाली राक्षस ब्रह्माजी से वेदों का हरण कर रसातल में पहुंच गए. वेदों का हरण हो जाने से ब्रह्माजी बहुत दु:खी हुए और भगवान विष्णु के पास पहुंचे. तब भगवान ने हयग्रीव अवतार लिया.
17- श्रीहरि अवतार :
धर्म ग्रंथों के अनुसार प्राचीन समय में त्रिकूट नामक पर्वत की तराई में एक शक्तिशाली गजेंद्र अपनी हथिनियों के साथ रहता था. एक बार वह अपनी हथिनियों के साथ तालाब में स्नान करने गया. वहां एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया और पानी के अंदर खींचने लगा. गजेंद्र और मगरमच्छ का संघर्ष एक हजार साल तक चलता रहा. अंत में गजेंद्र शिथिल पड़ गया और उसने भगवान श्रीहरि का ध्यान किया.
18- परशुराम अवतार :
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार परशुराम भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक थे. भगवान परशुराम के जन्म के संबंध में दो कथाएं प्रचलित हैं. हरिवंशपुराण के अनुसार उन्हीं में से एक कथा इस प्रकार है-
प्राचीन समय में महिष्मती नगरी पर शक्तिशाली हैययवंशी क्षत्रिय कार्तवीर्य अर्जुन(सहस्त्रबाहु) का शासन था. वह बहुत अभिमानी था और अत्याचारी भी. एक बार अग्निदेव ने उससे भोजन कराने का आग्रह किया. तब सहस्त्रबाहु ने घमंड में आकर कहा कि आप जहां से चाहें, भोजन प्राप्त कर सकते हैं, सभी ओर मेरा ही राज है.
19- महर्षि वेदव्यास :
पुराणों में महर्षि वेदव्यास को भी भगवान विष्णु का ही अंश माना गया है. भगवान व्यास नारायण के कलावतार थे. वे महाज्ञानी महर्षि पराशर के पुत्र रूप में प्रकट हुए थे. उनका जन्म कैवर्तराज की पोष्यपुत्री सत्यवती के गर्भ से यमुना के द्वीप पर हुआ था. उनके शरीर का रंग काला था. 
20- हंस अवतार :
एक बार भगवान ब्रह्मा अपनी सभा में बैठे थे. तभी वहां उनके मानस पुत्र सनकादि पहुंचे और भगवान ब्रह्मा से मनुष्यों के मोक्ष के संबंध में चर्चा करने लगे. तभी वहां भगवान विष्णु महाहंस के रूप में प्रकट हुए और उन्होंने सनकादि मुनियों के संदेह का निवारण किया. इसके बाद सभी ने भगवान हंस की पूजा की. इसके बाद महाहंसरूपधारी श्रीभगवान अदृश्य होकर अपने पवित्र धाम चले गए.
21- श्रीराम अवतार:
त्रेतायुग में राक्षसराज रावण का बहुत आतंक था. उससे देवता भी डरते थे. उसके वध के लिए भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या के गर्भ से पुत्र रूप में जन्म लिया. इस अवतार में भगवान विष्णु ने अनेक राक्षसों का वध किया और मर्यादा का पालन करते हुए अपना जीवन यापन किया.
22- श्रीकृष्ण अवतार
द्वापरयुग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण अवतार लेकर अधर्मियों का नाश किया. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था. इनके पिता का नाम वसुदेव और माता का नाम देवकी था. भगवान श्रीकृष्ण ने इस अवतार में अनेक चमत्कार किए और दुष्टों का सर्वनाश किया.
23- बुद्ध अवतार
धर्म ग्रंथों के अनुसार बौद्धधर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध भी भगवान विष्णु के ही अवतार थे परंतु पुराणों में वर्णित भगवान बुद्धदेव का जन्म गया के समीप कीकट में हुआ बताया गया है और उनके पिता का नाम अजन बताया गया है. यह प्रसंग पुराण वर्णित बुद्धावतार का ही है.
24- कल्कि अवतार
धर्म ग्रंथों के अनुसार कलयुग में भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतार लेंगे. कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा. यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा. शास्त्रों में वर्णित है श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह अवतार होना तय है. भगवान का यह अवतार ‘‘निष्कलंक भगवान’’ के नाम से भी जाना जायेगा. श्रीमद्भागवतमहापुराण में विष्णु के अवतारों की कथाएं विस्तार से वर्णित है.कल्कि अवतार के कलियुग में हिन्दुस्तान के सम्भल में होने पर सभी हिन्दू सहमत हैं परन्तु सम्भल कहाँ है इसमें अनेक मतभेद हैं. कुछ विद्वान सम्भल को उड़ीसा, हिमालय, पंजाब, बंगाल और शंकरपुर में मानते हैं. कुछ सम्भल को चीन के गोभी मरूस्थल में मानते हैं जहाँ मनुष्य पहुंच ही नहीं सकता. कुछ वृन्दावन में मानते हैं. कुछ सम्भल को मुरादाबाद (उप्र ) जिले में मानते हैं जहाँ कल्कि अवतार मन्दिर भी है.
Koti Devi Devta

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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