सोनीपत. हरियाणा के सोनीपत के गन्नौर में दिल्ली क्राइम ब्रांच और ड्रग विभाग की टीम ने बादशाही रोड पर फूड सप्लीमेंट बनाने की आड़ में कैंसर की नकली दवा बनाने की फैक्टरी भंडाफोड़ किया है. फैक्टरी के मालिक रामकुमार को दिल्ली की क्राइम ब्रांच की टीम गन्नौर से गिरफ्तार कर ले जा चुकी है. इस मामले में कई एमबीबीएस डॉक्टर और इंजीनियर को भी गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान डॉ पबित्रा नारायण, शुभम मन्ना, पंकज सिंह वोहरा, अंकित शर्मा, राम कुमार, आकांक्षा वर्मा व प्रभात कुमार के रूप में हुई है.
जानकारी के अनुसार फूड सप्लीमेंट बनाते हुए आरोपी कैंसर की नकली दवा बेचने वाले गिरोह से जुड़ गए और उनके लिए दवा तैयार करने लगे थे. फैक्टरी में कभी निरीक्षण ही नहीं हुआ. दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने मामले का खुलासा किया तो अधिकारियों ने सैंपल भी ले लिए और फैक्टरी को सील कर दिया. साथ ही आयुर्वेदिक अधिकारी ने फैक्टरी का लाइसेंस निरस्त कर दिया है. बताया गया है कि रिकॉर्ड नहीं मिलने चलते लाइसेंस रद्द किया गया है.
दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम और ड्रग विभाग के गाजियाबाद, नोएडा व बुलंदशहर के अधिकारियों की टीम ने कैंसर की नकली दवा बनाने वाली फैक्टरी पकड़ी थी. यहां बिना लाइसेंस के दवाओं का स्टॉक और बनाने का काम किया जा रहा था. टीम ने इसके बाद गन्नौर में छापा मारकर बादशाही रोड स्थित आरडीएम बायोटेक कंपनी से मालिक रामकुमार को गिरफ्तार किया था. यहां पर फूड सप्लीमेंट बनाने की फैक्टरी है. उसने यह फैक्टरी वर्ष 2016 में लगाई थी. इसके लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन से लाइसेंस लिया गया था. इतना ही नहीं, वर्ष 2020 में उसने जिला आयुर्वेदिक अधिकारी कार्यालय से भी देशी दवा बनाने का लाइसेंस लिया था. इस फैक्टरी में फूड सप्लीमेंट जिनोव्हे के नाम से बनाया जाता था. इसको यहां पर प्रोटीन पाउडर के रूप में तैयार किया जाता था, जिससे किसी को शक ना हो.
बताया जा रहा है कि गाजियाबाद ले जाने के बाद इसको कैंसर की दवा के रूप में पैक कर दिया जाता था. इस फैक्टरी में कभी जिला, प्रदेश व केंद्र की किसी टीम ने जांच नहीं की. उसने विभाग को जरूरी जानकारी भी उपलब्ध नहीं कराईं. दिल्ली पुलिस की तरफ से गिरोह के सदस्यों को पकड़े जाने के बाद यहां छापा मारा गया. यहां पर केंद्रीय खाद्य औषधि प्रशासन, राज्य खाद्य औषधि प्रशासन, ड्रग विभाग, फूड इंस्पेक्टर और राज्य आयुर्वेदिक अधिकारी की टीम ने छापा मारा था. यहां पर कैल्शियम कार्बोनेट और स्टार्च के 20 बोरे मिले हैं. इनने दो-दो सैंपल लेकर जांच को भेजा गया है. फैक्टरी में मिली मशीनों को सील कर दिया है. बताया गया है कि यहां पर चार साल पहले तक फूड सप्लीमेंट बनाया जाता था. उसके बाद कैंसर की नकली दवा तैयार की जाने लगी.
राज्य आयुर्वेद अधिकारी दिलीप मिश्रा ने बताया कि दिल्ली क्राइम ब्रांच की सूचना के बाद हमारी टीम और फूड एंड सेफ्टी विभाग की टीम फैक्ट्री में पहुंची थी. फैक्ट्री में बनाने वाले सामान की जांच फूड विभाग ने की है, लेकिन आयुर्वेद का कोई भी लाइसेंस फैक्ट्री के पास नहीं था. फैक्टरी मालिक ने आयुर्वेदिक दवा बनाने का लाइसेंस लिया था, लेकिन वह दवाओं का निर्माण नहीं कर रहा था. उसके पास आयुर्वेदिक दवा बनाने का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है, जिसके चलते उसका लाइसेंस निरस्त कर जांच शुरू कर दी गई है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-हरियाणा: सीएम को मिले गिफ्ट होंगे नीलाम, मुख्यमंत्री ने लॉन्च किया उपहार पोर्टल
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