भोपाल. कोरोना काल में जब सब-कुछ बंद था, तब भी किसान खेती कर रहे थे, ताकि देश में अन्न का संकट न हो. इसके बाद भी किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है. अलग-अलग चीजों पर टैक्स लिया जा रहा है. किसान सम्मान निधि अच्छी पहल है, लेकिन इसमें वृद्धि नहीं हुई है. खाद का अनुदान कंपनियों को देने की जगह सीधे किसानों को खाते में दी जाए. इन मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ मंगलवार को भोपाल में मोतीलाल नेहरू विज्ञान महाविद्यालय के मैदान पर प्रदर्शन कर रहा है. इस प्रदर्शन में प्रदेशभर से किसान संघ से जुड़े हजारों किसान पहुंचे हैं.
इस प्रदर्शन के दौरान किसान कृषि से जुड़े विषय पर सात दिन का विधानसभा का सत्र बुलाने, अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों को आपदा राहत कोष से तत्काल राशि के भुगतान, मुख्यमंत्री किसान कल्याण निधि में वृद्धि, देसी गाय के पालन पर 900 रुपये प्रतिमाह अनुदान देने, जले हुए ट्रांसफार्मर शीघ्र बदलने, राजस्व के लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए शिविर लगाने और मंडियों में कार्यरत महिला मजदूरों को हम्माल का दर्जा दिए जाने संबंधी मांग सरकार से कर रहे हैं.
इस दौरान भारतीय किसान संघ के मध्य भारत प्रांत संगठन मंत्री मनीष शर्मा ने मंच से सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार बस बोलती है, कुछ करती नहीं है. हम किसानों का पक्ष रख रहे हैं, किसी सरकार के विरोधी नहीं है.
किसान आंदोलन से हुआ नुकसान- मोहिनी मोहन मिश्र
इससे एक दिन पहले भोपाल में आयोजित पत्रकारवार्ता में भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि जिस ढंग से पिछले समय में जो किसान आंदोलन चला, उससे किसानों और आमजन का विश्वास चला गया. मध्य प्रदेश में खाद की कमी आदि विषयों पर उन्होंने कहा कि हम सरकार के सामने किसान हित के सभी मुद्दे उठाते रहे हैं. इसमें से कुछ का समाधान भी हुआ है. पत्रकारवार्ता में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे.
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