पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी हाईकोर्ट ने सिंगरौली के ग्राम कसवई में हुई दोहरी हत्या के आरोपी रामजग को निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा को रद्द कर दिया है. मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपराध साबित करने में सफल नहीं रहे है. लिहाजा परिस्थितिजन्य साक्ष्य हत्या के दोषी को अपराधी न मानते हुए उसे रिहा करने का आदेश देती है.
हाईकोर्ट जस्टिस सुजयपाल व जस्टिस प्रकाश चंद्र गुप्ता की युगल पीठ ने 2014 में दम्पति की हत्या के मामले में सुनवाई करते हुए रामजग की अपील को स्वीकार किया. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि अभियोजन पक्ष ने हत्या के जो भी साक्ष्य प्रस्तुत किए है वे पर्याप्त नहीं है. जिसके चलते निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा को रद्द किया जाता है. गौरतलब है कि सिंगरौली के ग्राम कसवई थाना मोरवा में रहने वाले रामजग को वृद्ध दम्पति की हत्या के मामले में मई 2014 में हिरासत में लिया था. रामजग पर आरोप था कि रंजिश के चलते उसने दम्पति की हत्या की थी. सिंगरौली के न्यायालय ने रामजग को फांसी की सजा सुनाई थी. निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा को रामजग ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
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