दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 96वें संस्करण को संबोधित कर देशवासियों को क्रिसमस की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 98वीं जयंती पर उनको याद करते हुए श्रद्धांजलि दी. उन्होंने अपने संबोधन में गुजरते साल को विदाई देते हुए इस वर्ष भारत की उपलब्धियों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि अद्भुत रहा साल 2022, भारत ने आजादी के 75 साल पूरे किए, अमृत काल शुरू हुआ. भारत ने इस साल तेजी से प्रगति की और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया.
पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने शिक्षा, विदेश नीति और इंफ्रास्ट्रक्चर सहित हर क्षेत्र में भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. मैं उनकी 98वीं जन्म जयंती पर उन्हें विनम्रतापूर्वक नमन करता हूं. उन्होंने कहा कि अतीत का अवलोकन तो हमेशा हमें वर्तमान और भविष्य की तैयारियों की प्रेरणा देता है. 2022 में देश के लोगों का सामथ्र्य, उनका सहयोग, उनका संकल्प, उनकी सफलता का विस्तार इतना ज्यादा रहा कि मन की बात में सभी को समेटना मुश्किल होगा. साल 2022 एक और कारण से हमेशा याद किया जाएगा वह है, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना का विस्तार.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष देश के लोगों ने एकता और एकजुटता का जश्न मनाने के लिए भी कई अद्भुत आयोजन किए. प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 में देशवासियों ने एक और अमर इतिहास लिखा है. अगस्त के महीने में चला हर घर तिरंगा अभियान भला कौन भूल सकता है. वे पल थे, हर देशवासी के रोंगटे खड़े हो जाते थे. आजादी के 75 वर्ष के इस अभियान में पूरा देश तिरंगामय हो गया. 6 करोड़ से ज्यादा लोगों ने तो तिरंगे के साथ सेल्फियां भी भेजी. आजादी का यह अमृत महोत्सव अभी अगले साल भी ऐसे ही चलेगा- अमृतकाल की नींव को और मजबूत करेगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल भारत को जी-20 समूह की अध्यक्षता की जिम्मेदारी भी मिली है. मैंने पिछली बार इस पर विस्तार से चर्चा भी की थी. साल 2023 में हमें जी-20 के उत्साह को नई ऊंचाई पर लेकर जाना है, इस आयोजन को एक जन-आंदोलन बनाना है. उन्होंने कहा कि 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस है और मुझे इस अवसर पर दिल्ली में साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फतेह सिंह जी की शहादत को समर्पित एक कार्यक्रम में शामिल होने का सौभाग्य मिलेगा. देश, साहिबजादे और माता गुजरी के बलिदान को हमेशा याद रखेगा.
उन्होंने कहा कि हमारे यहां कहा जाता है- सत्यम किम प्रमाणम, प्रत्यक्षम किम प्रमाणम. यानि सत्य को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती, जो प्रत्यक्ष है, उसे भी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती. लेकिन बात जब आधुनिक मेडिकल साइंस की हो, तो उसमें सबसे महत्वपूर्ण होता है- प्रमाण. मुझे खुशी है कि एविडेंस बेस्ड मेडिसिन के युग में, अब योग और आयुर्वेद, आधुनिक युग की जांच और कसौटियों पर भी खरे उतर रहे हैं. आज के युग में, भारतीय चिकित्सा पद्धतियां, जितनी ज्यादा एचिडेंस बेस्ड होंगी, उतनी ही पूरे विश्व में उनकी स्वीकार्यता, बढ़ेगी. इसी सोच के साथ, दिल्ली एम्स में भी एक प्रयास किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री ने बताया कि दिल्ली एम्स में हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को वैलिडेट करने लिए 6 साल पहले एकीकृत चिकित्सा और अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई थी. इसमें नवीनतम आधुनिक तकनीकों और रिसर्च मेथड्स का उपयोग किया जाता है. यह सेंटर पहले ही प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल्स में 20 पेपर प्रकाशित कर चुका है. अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में सिन्कपी से पीडि़त मरीजों को योग से होने वाले लाभ के बारे में बताया गया है. इसी प्रकार, न्यूरोलॉजी जर्नल के पेपर में, माइग्रेन में योग के फायदों के बारे में बताया गया है. इनके अलावा कई और बीमारियों में भी योग के फायदे को लेकर स्टडी की जा रही है. जैसे हृदय रोग, अवसाद, नींद विकार और गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को होने वाली समस्याओं में योग कैसे लाभदायक हो सकता है.
पीएम मोदी ने कहा कि हमारी परंपरा और संस्कृति का मां गंगा से अटूट नाता है. ऐसे में सदियों से कल-कल बहती मां गंगा को स्वच्छ रखना हम सबकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. इसी उद्देश्य के साथ, आठ साल पहले हमने, नमामि गंगे अभियान की शुरुआत की थी. हम सभी के लिए यह गौरव की बात है, कि, भारत की इस पहल को आज दुनियाभर की सराहना मिल रही है. संयुक्त राष्ट्र ने नमामि गंगे मिशन को पारिस्थितिकी तंत्र को पुनस्र्थापित करने वाले दुनिया के शीर्ष दस पहलों में शामिल किया है. ये और भी खुशी की बात है कि पूरे विश्व के 160 ऐसे इनिशिएटिव में नमामि गंगे को यह सम्मान मिला है. वे पेड़ लगाने, घाटों की सफाई, गंगा आरती, नुक्कड़ नाटक, पेंटिंग और कविताओं के जरिए जागरूकता फैलाने में जुटे हैं. इस अभियान से जैव विविधता में भी काफी सुधार देखा जा रहा है. हिल्सा मछली, गंगा डॉल्फिन और कछुवों की विभिन्न प्रजातियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. गंगा का पारिस्थितिक तंत्र साफ होने से, आजीविका के अन्य अवसर भी बढ़ रहे हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-गुरुकुल परंपरा का परिणाम है भारत की सांस्कृतिक समृद्धि: पीएम मोदी
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