दिल्ली. वीर बाल दिवस के अवसर पर दिल्ली के मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में आयोजित विशेष कार्यक्रम के शामिल हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत आज पहला वीर बाल दिवस मना रहा है. शहीदी सप्ताह और वीर बाल दिवस निस्संदेह भावनाओं से जुड़े हुए हैं, लेकिन ये निश्चित रूप से अंतहीन प्रेरणा लेकर चलते हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि वीर बाल दिवस हमें याद दिलाएगा कि दश गुरुओं का योगदान क्या है, देश के स्वाभिमान के लिए सिख परंपरा का बलिदान क्या है! वीर बाल दिवस हमें बताएगा कि भारत क्या है, भारत की पहचान क्या है! मैं वीर साहिबजादों के चरणों में नमन करते हुए उन्हें कृतज्ञ श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जो खुद दीवार में चिन गए, लेकिन औरंगजेब के आततायी मंसूबों को हमेशा के लिए दफन कर दिया. इसे मैं अपनी सरकार का सौभाग्य मानता हूं कि उसे आज 26 दिसंबर के दिन को वीर बाल दिवस के तौर पर घोषित करने का मौका मिला.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं पिता दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी और सभी गुरुओं के चरणों में भी भक्तिभाव से प्रणाम करता हूं. मैं मातृशक्ति की प्रतीक माता गुजरी के चरणों में भी अपना शीश झुकाता हूं. इतिहास से लेकर किंवदंतियों तक, हर क्रूर चेहरे के सामने महानायकों और महानायिकाओं के भी एक से एक महान चरित्र रहे हैं. लेकिन ये भी सच है कि, चमकौर और सरहिंद के युद्ध में जो कुछ हुआ, वो भूतो न भविष्यति था.
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक ओर धार्मिक कट्टरता में अंधी इतनी बड़ी मुगल सल्तनत, दूसरी ओर, ज्ञान और तपस्या में तपे हुए हमारे गुरु, भारत के प्राचीन मानवीय मूल्यों को जीने वाली परंपरा! एक ओर आतंक की पराकाष्ठा, तो दूसरी ओर आध्यात्म का शीर्ष! एक ओर मजहबी उन्माद, तो दूसरी ओर सबमें ईश्वर देखने वाली उदारता! इस सबके बीच, एक ओर लाखों की फौज और दूसरी ओर अकेले होकर भी निडर खड़े गुरु के वीर साहिबजादे! ये वीर साहिबजादे किसी धमकी से डरे नहीं, किसी के सामने झुके नहीं.
राजधानी दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में पहले वीर बाल दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अगर हमें भारत को भविष्य में सफलता के शिखरों तक लेकर जाना है, तो हमें अतीत के संकुचित नजरियों से भी आजाद होना होगा. इसलिए, आजादी के अमृतकाल में देश ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का प्राण फूंका है. उस दौर की कल्पना करिए! औरंगजेब के आतंक के खिलाफ, भारत को बदलने के उसके मंसूबों के खिलाफ, गुरु गोविंद सिंह जी पहाड़ की तरह खड़े थे.
उन्होंने कहा कि लेकिन, जोरावर सिंह साहब और फतेह सिंह साहब जैसे कम उम्र के बालकों से औरंगजेब और उसकी सल्तनत की क्या दुश्मनी हो सकती थी? वे दीवार में जिंदा चुन गए, लेकिन उन्होंने उन आततायी मंसूबों को हमेशा के लिए दफन कर दिया. दो निर्दोष बालकों को दीवार में जिंदा चुनवाने जैसी दरिंदगी क्यों की गई? इसलिए, क्योंकि औरंगजेब और उसके लोग गुरु गोविंद सिंह के बच्चों का धर्म तलवार के दम पर बदलना चाहते थे. लेकिन, भारत के वे बेटे, वे वीर बालक, मौत से भी नहीं घबराए. साहिबजादों ने इतना बड़ा बलिदान और त्याग किया, अपना जीवन न्यौछावर कर दिया, लेकिन इतनी बड़ी शौर्यगाथा को भुला दिया गया. लेकिन अब नया भारत दशकों पहले हुई एक पुरानी भूल को सुधार रहा है.
पीएम मोदी ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमने बाल राम के ज्ञान से लेकर उनके शौर्य तक, गुरु वशिष्ठ के आश्रम से लेकर गुरु विश्वामित्र के आश्रम तक मूल्यों और सिद्धांतों को संजो कर रखा है. हम आजादी के अमृत महोत्सव में देश के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं. स्वाधीनता सेनानियों, वीरांगनाओं, आदिवासी समाज के योगदान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हम काम कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब केरल, नॉर्थ ईस्ट सहित भारत के हर राज्य के युवा भी साहिबजादों की वीरगाथा और शहादत के बारे में जानेंगे. उन्होंने मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम से 3000 बच्चों एक मार्चपास्ट को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो कर्तव्य पथ पर आकर समाप्त हुआ. गौरतलब है कि इस साल 9 जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को सिख गुरु के बेटों जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सदैव अटल पहुंच कर पीएम मोदी ने अर्पित की पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपेयी को श्रद्धांजलि
गुरुकुल परंपरा का परिणाम है भारत की सांस्कृतिक समृद्धि: पीएम मोदी
मोदी सरकार ने वन रैंक वन पेंशन का किया रिवीजन, 25 लाख से ज्यादा पेंशनर्स को मिलेगा फायदा
कोरोना को लेकर पीएम मोदी की सलाह: मास्क पहनें और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें
Leave a Reply