देहरादून. जोशीमठ में एक मंदिर ढहने के बाद उत्तराखंड की धामी सरकार एक्शन में आ गई है और जल्द ही 600 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जाएगा. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ शहर के लगभग 600 परिवारों से तुरंत उन घरों को खाली कराने का आदेश दिया है, जिनमें बड़ी दरारें आ गई हैं और जो डूब के खतरे में हैं.
सीएम धामी ने एक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अधिकारियों के साथ शहर के हालात की समीक्षा करने के बाद मीडिया से कहा कि लोगों की जान बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है. अधिकारियों को जोशीमठ में जर्जर हो चुके घरों में रहने वाले लगभग 600 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने के लिए कहा गया है. पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जोशीमठ में स्थिति से निपटने के लिए कम और लंबे समय की योजनाओं पर भी काम चल रहा है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज जोशीमठ भी जाने वाले हैं, जहां वो प्रभावित लोगों से मिलेंगे और अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. धामी ने कहा कि गढ़वाल के आयुक्त सुशील कुमार और सचिव (आपदा प्रबंधन) रंजीत कुमार सिन्हा विशेषज्ञों की एक टीम के साथ हालात पर लगातार नजर रखने के लिए मौके पर डेरा डाले हुए हैं. धामी ने अधिकारियों से कहा कि प्रभावित इलाके से लोगों का पुनवाज़्स तेजी से किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इलाज की सुविधा मौके पर उपलब्ध होनी चाहिए और लोगों को एयरलिफ्ट करने की भी व्यवस्था की जानी चाहिए.
धामी ने कहा कि एक तत्कालिक कार्ययोजना के साथ-साथ एक दीर्घकालिक कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए और दोनों पर सही दिशा में काम शुरू किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि डेंजर जोन, सीवर और ड्रेनेज के ट्रीटमेंट के काम में तेजी लाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाए. धामी ने कहा कि हमारे नागरिकों का जीवन हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है. जोशीमठ को सेक्टरों और जोनों में बांटा जाना चाहिए और उसके अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए. कस्बे में एक आपदा नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रभावित लोगों के स्थायी पुनर्वास के लिए पीपलकोटी, गौचर और अन्य स्थानों पर वैकल्पिक स्थानों की पहचान की जानी चाहिए. धामी ने कहा कि लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाना जरूरी है. इसके लिए सेटेलाइट इमेज भी उपयोगी हो सकती हैं.
गौरतलब है कि जोशीमठ के सिंगधार वार्ड में शुक्रवार शाम को एक मंदिर ढह गया, जिससे शहरवासी लगातार बड़ी आपदा की आशंका से भयभीत हैं. स्थानीय लोगों ने कहा कि सौभाग्य से मंदिर के अंदर कोई नहीं था. पिछले 15 दिनों में इसमें बड़ी दरारें आने के बाद इसे खाली छोड़ दिया गया था. शहर के सैकड़ों मकानों में भारी दरारें आ गई हैं जबकि कई धंस गए हैं. करीब 50 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. निवासियों की मांग पर अगले आदेश तक चारधाम ऑल वेदर रोड और नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन की जल विद्युत परियोजना जैसी मेगा परियोजनाओं से संबंधित सभी निर्माण गतिविधियों को रोक दिया गया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-उत्तराखंड में जोशीमठ के पास टूटा ग्लेशियर, 291 लोगों को बचाया गया
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