राम रक्षा स्त्रोत को एक बार में पढ़ लिया जाए तो पूरे दिन तक इसका प्रभाव रहता है. अगर आप रोज 45 दिन तक राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करते हैं तो इसके फल की अवधि बढ़ जाती है. इसका प्रभाव दुगुना तथा दो दिन तक रहने लगता है और भी अच्छा होगा यदि कोई राम रक्षा स्त्रोत प्रतिदिन 11 बार पढ़े,अगर ग्यारह सम्भव न हो तो दिन में एक बार करना भी बहुत लाभदायक है.
इस स्तोत्र को सिद्ध करने के लिए नवरात्रि के 9 दिनों में प्रतिदिन सिर्फ 11 बार पाठ करना है.इस से मंत्र सिद्ध हो जाता है.
बिना राम रक्षा स्तोत्र सिद्ध किये हनुमान के किसी भी मंत्र स्तोत्रादि का साधना नही करना चाहिये.राम रक्षा स्तोत्र एक कवच है जिसका भेदन नही किया जा सकता.
सरसों के दाने एक कटोरी में दाल लें. कटोरी के नीचे कोई ऊनी वस्त्र या आसन होना चाहिए. राम रक्षा मन्त्र को 11 बार पढ़ें और इस दौरान आपको अपनी उँगलियों से सरसों के दानों को कटोरी में घुमाते रहना है. ध्यान रहे कि आप किसी आसन पर बैठे हों और राम रक्षा यंत्र आपके सम्मुख हो या फिर श्री राम कि प्रतिमा या फोटो आपके आगे होनी चाहिए जिसे देखते हुए आपको मन्त्र पढ़ना है. ग्यारह बार के जाप से सरसों सिद्ध हो जायेगी और आप उस सरसों के दानों को शुद्ध और सुरक्षित पूजा स्थान पर रख लें. जब आवश्यकता पड़े तो कुछ दाने लेकर आजमायें. सफलता अवश्य प्राप्त होगी.
वाद विवाद या #मुकदमा हो तो उस दिन सरसों के दाने साथ लेकर जाएँ और वहां दाल दें जहाँ विरोधी बैठता है या उसके सम्मुख फेंक दें. सफलता आपके कदम चूमेगी.
खेल या प्रतियोगिता या साक्षात्कार में आप सिद्ध सरसों को साथ ले जाएँ और अपनी जेब में रखें.
अनिष्ट की आशंका हो तो भी सिद्ध सरसों को साथ में रखें.
यात्रा में साथ ले जाएँ आपका कार्य सफल होगा.
राम रक्षा स्त्रोत से पानी सिद्ध करके रोगी को पिलाया जा सकता है परन्तु पानी को सिद्ध करने कि विधि अलग है. इसके लिए ताम्बे के बर्तन को केवल हाथ में पकड़ कर रखना है और अपनी दृष्टि पानी में रखें और महसूस करें कि आपकी सारी शक्ति पानी में जा रही है. इस समय अपना ध्यान श्री राम की स्तुति में लगाये रखें. मन्त्र बोलते समय प्रयास करें कि आपको हर वाक्य का अर्थ ज्ञात रहे.
॥ #श्रीरामरक्षास्तोत्रम् ॥
श्रीगणेशायनम: - अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य, बुधकौशिक ऋषि:। श्रीसीतारामचंद्रोदेवता, अनुष्टुप् छन्द:,सीता शक्ति:। श्रीमद्हनुमान् कीलकम्.
श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥
#अर्थ: — इस राम रक्षा स्तोत्र मंत्र के रचयिता बुध कौशिक ऋषि हैं, सीता और रामचंद्र देवता हैं, अनुष्टुप छंद हैं, सीता शक्ति हैं, हनुमान जी कीलक है तथा श्री रामचंद्र जी की प्रसन्नता के लिए राम रक्षा स्तोत्र के जप में विनियोग किया जाता हैं.
॥ अथ,ध्यानम् ॥
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्दद्पद्मासनस्थं.
पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ॥
वामाङ्कारूढसीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं.
नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम् ॥
ध्यान धरिए — जो धनुष-बाण धारण किए हुए हैं,बद्द पद्मासन की मुद्रा में विराजमान हैं और पीतांबर पहने हुए हैं, जिनके आलोकित नेत्र नए कमल दल के समान स्पर्धा करते हैं, जो बाएँ ओर स्थित सीताजी के मुख कमल से मिले हुए हैं- उन आजानु बाहु, मेघश्याम,विभिन्न अलंकारों से विभूषित तथा जटाधारी श्रीराम का ध्यान करें. ॥ इति ध्यानम् ॥
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्.
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥१॥
श्रीरघुनाथजी का चरित्र सौ करोड़ विस्तार वाला हैं.उसका एक-एक अक्षर महापातकों को नष्ट करने वाला है.
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्.
जानकीलक्ष्मणॊपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥२॥
नीले कमल के श्याम वर्ण वाले, कमलनेत्र वाले , जटाओं के मुकुट से सुशोभित, जानकी तथा लक्ष्मण सहित ऐसे भगवान् श्री राम का स्मरण करके,
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम्.
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥३॥
जो अजन्मा एवं सर्वव्यापक, हाथों में खड्ग, तुणीर, धनुष-बाण धारण किए राक्षसों के संहार तथा अपनी लीलाओं से जगत रक्षा हेतु अवतीर्ण श्रीराम का स्मरण करके,
रामरक्षां पठॆत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम्.
शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥
मैं सर्वकामप्रद और पापों को नष्ट करने वाले राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करता हूँ. राघव मेरे सिर की और दशरथ के पुत्र मेरे ललाट की रक्षा करें.
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती.
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥
कौशल्या नंदन मेरे नेत्रों की, विश्वामित्र के प्रिय मेरे कानों की, यज्ञरक्षक मेरे घ्राण की और सुमित्रा के वत्सल मेरे मुख की रक्षा करें.
प्राचीन शाबर मन्त्र Prachin shabar mantra
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-केरल की इस यूनिवर्सिटी का बड़ा फैसला, मासिक धर्म के दौरान छात्राएं ले सकेंगी छुट्टी
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