तिरुवनंतपुरम. केरल के एक यूनिवर्सिटी ने अपनी महिला छात्रों को मासिक धर्म की छुट्टी देने का फैसला किया है. कोचीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय के छात्र संघ की अपील के बाद ये निर्णय लिया है.
यूनिवर्सिटी ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है. कहा गया है कि छात्राओं की ओर से लंबे समय से लंबित मांग के बारे में चर्चा के बाद ये फैसला लिया गया है. यूनिवर्सिटी के इस फैसले से पीएचडी समेत विभिन्न स्ट्रीम में पढऩे वाली 4,000 से ज्यादा छात्रों को फायदा मिलेगा.
मासिक धर्म के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं
यूनिवर्सिटी के इस फैसले के बाद छात्राएं मासिक धर्म के दौरान छुट्टी का दावा कर सकती हैं. इस फैसले के तहत छात्राओं को प्रत्येक सेमेस्टर में 2 प्रतिशत का अतिरिक्त अवकाश लाभ दिया जाएगा.
मौजूदा समय में 75 फीसदी उपस्थिति वाले ही सेमेस्टर परीक्षा दे सकते हैं. इससे कम उपस्थिति होने पर कुलपति को आवेदन पत्र प्रस्तुत कर चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है. हालांकि, मासिक धर्म की छुट्टी के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है और छात्रों को सिर्फ एक आवेदन जमा करना होगा.
एसएफआई के नेतृत्व में छात्र संघ ने की थी मांग
स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के नेतृत्व में विश्वविद्यालय के छात्र संघ ने मांग की थी कि विश्वविद्यालय को मासिक धर्म की छुट्टी की अनुमति देनी चाहिए. संघ के हस्तक्षेप के बाद यह निर्णय लिया गया. बता दें कि केरल में महात्मा गांधी विश्वविद्यालय ने पिछले महीने अपनी डिग्री और स्नातकोत्तर छात्रों को 60 दिनों का मातृत्व अवकाश देने का फैसला किया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-केरल के मंत्री ने आदि शंकराचार्य पर दिया विवादित बयान, बताया क्रूर जाति व्यवस्था का हिमायती
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