मुंबई. रामचरितमानस को लेकर जारी घमासान के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के जाति-वर्ण पर दिए एक बयान पर विवाद शुरू हो गया है. हालांकि उनके बयान पर आरएसएस ने स्पष्टीकरण जारी किया है और कहा कि भागवत के बयान का गलत अर्थ निकाला जा रहा है. उधर, इस मुद्दे ने विरोधियों को आरएसएस और बीजेपी पर हमला बोलने का बैठे बिठाए मुद्दा दे दिया है.
संघ प्रमुख ने मुंबई में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में कोई जाति या वर्ण उच्च या निम्न नहीं है. एक समारोह में बोलते हुए भागवत ने कहा कि उच्च जाति या निम्न जाति की अवधारणा पंडितों ने बाद में की और इसका कोई आधार नहीं है. उन्होंने कहा कि ईश्वर के लिए सभी मनुष्य समान हैं.
आरएसएस ने क्या कहा?
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अम्बेकर ने कहा, उन्होंने अपने भाषण में पंडित शब्द का उपयोग किया, वह मराठी में बोल रहे थे, जिसमें पंडित का अर्थ विद्वान् होता है. उनके बयान को सही अर्थों में लिया जाना चाहिए. संघ प्रमुख डॉ भागवत के कहने का अर्थ था कि जो शास्त्रों का आधार लेकर पंडित अर्थात विद्वान लोग जातिवाद उंची-नीची की बात करते है वह झूठ है.
अम्बेकर ने मोहन भागवत के बयान को समझाते हुए कहा, सत्य यह है कि मैं सब प्राणियों में हूँ इसलिए रूप नाम कुछ भी हो लेकिन योग्यता एक है, मान सम्मान एक है, सबके बारे में अपनापन हैं. कोई भी ऊँचा नीचा नहीं है. शास्त्रों का आधार लेकर पंडित (विद्वान) लोग जो (जाति आधारित ऊँच-नीच की बात) कहते हैं वह झूठ हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मस्जिद और मदरसे पहुंचे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने की इमाम संगठन के चीफ से मुलाकात
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