राजस्थान में अति संवेदनशील अपराधों की जांच के लिए गठित की जाएगी क्विक इन्वेस्टीगेशन डिस्पोजल टीम

राजस्थान में अति संवेदनशील अपराधों की जांच के लिए गठित की जाएगी क्विक इन्वेस्टीगेशन डिस्पोजल टीम

प्रेषित समय :20:44:57 PM / Thu, Apr 6th, 2023

जयपुर. राजस्थान में अति संवेदनशील अपराधों में त्वरित और सटीक अनुसंधान के लिए क्विक इन्वेस्टीगेशन डिस्पोजल टीम का गठन किया जाएगा. क्राइम ब्रांच के डीआईजी राहुल प्रकाश के अनुसार प्रदेश में होने वाले अति संवेदनशील अपराधों में त्वरित और सटीक अनुसंधान के लिए क्विक इन्वेस्टीगेशन डिस्पोजल टीम बनाई जा रही है. प्रत्येक जिले में यह टीम 24 घंटे 7 दिन 3 शिफ्टों में 8-8 घंटे की ड्यूटी देकर आपराधिक घटना का अनुसंधान करेगी. किसी भी घटनास्थल पर प्रारंभिक जांच के दौरान तकनीकी व भौतिक साक्ष्यों को चिन्हित करेगी, साथ ही निश्चित समय में अनुसंधान को पूरा करेगी ताकि उस गंभीर आपराधिक प्रकरण में दोषी को शत प्रतिशत दोष सिद्धि हो और कड़ी सजा मिल सके.

डीआईजी क्राइम राहुल प्रकाश के अनुसार प्रत्येक जिले में क्विक इंवेस्टिगेशन डिस्पोजल टीम के प्रभारी एडिशनल एसपी रैंक के अफसर होंगे. सह प्रभारी पुलिस इंस्पेक्टर रैंक का अफसर होगा. इसके अलावा इन्वेस्टीगेशन टीम में 3-3 सब इंस्पेक्टर, 3-3 सहायक सब इंस्पेक्टर, 3-3 हेड कांस्टेबल व 8-8 कांस्टेबल होंगे. जानकारी के अनुसार क्विक इन्वेस्टीगेशन डिस्पोजल टीम में शामिल पुलिसकर्मियों की अनिवार्य निश्चित योग्यता होगी. इनमें टीम के प्रभारी एडिशनल एसपी रैंक के अफसर को 5 साल से ज्यादा का फील्ड में पदस्थापित रहने का अनुभव रहा हो. इसमें एएसपी के चयन में विधि की डिग्री या डिप्लोमाधारी को प्राथमिकता दी जाएगी.

टीम में सह प्रभारी पुलिस इंस्पेक्टर रैंक का वह अफसर होगा, जिसे 5 वर्ष या इससे ज्यादा फील्ड सर्विस का अनुभव होगा. वह कम से कम 2 वर्ष तक थाना प्रभारी के पद पर कार्य कर चुका हो साथ ही, इस इंस्पेक्टर को पुलिस थानों या क्राइम ब्रांच में 100 से ज्यादा गंभीर प्रकरणों के अनुसंधान का अनुभव होना चाहिए.

वहीं एएसआई, हेड कांस्टेबल व कांस्टेबल रैंक के उन पुलिसकर्मियों को टीम में चयन किया जाएगा, जो कि स्नातक स्तर के हों. जिन्होंने रेंज, जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय अथवा पुलिस थानों में साइबर क्राइम संबंधी कार्य कर रखा हो, साथ ही, नवीन तकनीकों तथा संसाधनों के उपयोग में प्रशिक्षित हो. इस टीम के द्वारा मोबाइल अनुसंधान वाहन व उसमें उपलब्ध सभी संसाधनों का उपयोग किया जाएगा, साथ ही, इस टीम में कार्य कुशलता में वृद्धि के लिए समय-समय पर कई चरणों में ट्रेनिंग करवाई जाएगी.
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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