नई दिल्ली. कर्नाटक मुस्लिम ओबीसी आरक्षण मामले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि जब मामला न्यायालय के समक्ष लंबित है, तब कर्नाटक चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधियों द्वारा इस मुद्दे पर सार्वजनिक टिप्पणियां की गईं.
वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे द्वारा कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा की गई टिप्पणियों पर पीठ का ध्यान आकर्षित करने के बाद जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस बीवी नागरांथा और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने मौखिक रूप से यह नाराजगी व्यक्त की. दवे उन याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए जिन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने के कर्नाटक सरकार के हालिया फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
मुस्लिम आरक्षण- क्या कहा था अमित शाह ने
कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा गर्माया रहा. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कर्नाटक में मुसलमानों के लिए कोटा बहाल करने और कोटा में छह प्रतिशत की वृद्धि की बात करने के अपने वादे पर कांग्रेस की खिंचाई की और कहा कि पार्टी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह कम करेगी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लिंगायत या वोक्कालिगा के लाभ.
उन्होंने कहा कि सिद्दारमैया को स्पष्ट करना चाहिए कि अगर कांग्रेस मुसलमानों के लिए आरक्षण चार प्रतिशत से बढ़ाकर छह प्रतिशत कर देती है, तो वह किसके आरक्षण में कटौती करेगी. एक विशेष साक्षात्कार में शाह ने ये बातें कही.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-SC से छत्तीसगढ़ सरकार को मिली बड़ी राहत, सरकारी नौकरी में 58% आरक्षण पर लगी रोक हटाई
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